बहादुर चंबल के नामी डाकू का बेटा होते हुये भी आखिर कैसे नागरिक सुरक्षा दल(नासुद) का संस्थापक बना? इन सारी गुत्थियों को सुलझाता हुआ यह कामिक्स है.. इसमें बहादुर के बदले की आग और डाकुओं का हिंसक व्यवहार, इन दोनों को मिलाकर कहानी का तानाबाना बुना गया है.. कुल मिलाकर मैं इतना कह सकता हूं कि जो कोई भी इसे एक बार पढ़ना शुरू करे वो खत्म करके ही उठेगा..
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यह कामिक्स जब आयी होगी उस समय मैं शायद 5-6 साल का रहा होऊंगा, सो मुझे ज्यादा कुछ जानकारी नहीं है इस कामिक्स की.. अगर मेरे किसी मित्र को इसके बारे में जानकारी हो तो बताने का कष्ट करें.. उसे मैं अगले पोस्ट का हिस्सा जरूर बनाऊंगा.. धन्यवाद..