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Saturday, October 31, 2009

हिंदी एस्ट्रिक्स MINT में

यदि  आपको याद हो तो इसी ब्लॉग पर मैंने एक पोस्ट डाली थी Asterix के भारतीय संस्करण के विषय में. हाल ही में Mint ने Asterix की पचासवीं वर्षगाँठ पर एक story करने का निर्णय किया तो उनके रिपोर्टर कृष ने मुझसे हिंदी एस्ट्रिक्स पर एक लम्बी चर्चा की, मैंने उनका सीधा संपर्क हरीश एम् सूदन जी से भी करवाया जिन्होंने सभी छः हिंदी एस्ट्रिक्स का सुलेखन किया और चार का बेहतरीन अनुवाद भी. उनके द्वारा अनुवादित एस्ट्रिक्स में ये पकड़ना असंभव है कि अनुवाद कहाँ ख़त्म हुआ और सूदन साहब की लेखनी कहाँ शुरू हुयी.
बहरहाल पेश- ए -खिदमत है MINT में आज प्रकाशित उस Story का वह अंश जहां हिंदी एस्ट्रिक्स की चर्चा हुयी है और कहीं कहीं उसमें हमें भी Quote किया गया है... पूरी Story के लिए क्लिक करें यहाँ.


Saturday, August 30, 2008

जब पहुंचे Asterix और Obelix भारत

चलिए हम डोगा डोगा चिल्लाना बंद करके आज यादों के एक ऐसे दौर में चलते हैं जब डोगा क्या राज कॉमिक्स का भी जन्म नहीं हुआ था. राज कॉमिक्स तब राजा पॉकेट बुक्स हुआ करती थी और चाचा चौधरी हिंदी कॉमिक जगत के बेताज बादशाह. ये वो दौर था जब बाकी प्रकाशकों के लिए चाचा चौधरी, बिल्लू, पिंकी और कार्टूनिस्ट प्राण द्वारा रचे अन्य चरित्रों का सामना करना मुश्किल हो रहा था और कुछ नक्काल किस्म के प्रकाशक मामा श्री और काका श्री जैसे चरित्र बना कर चाचा चौधरी की सफलता भुनाने की कोशिश में थे.
ऐसे में एक प्रकाशक Goverson (आशा है मैंने spelling सही लिखी है) ने René Goscinny द्वारा लिखित और Albert Uderzo द्वारा चित्रित सुप्रसिद्ध फ्रेंच चरित्र Asterix की कॉमिक्स के rights खरीदे और भारत में Asterix का आगमन हुआ. मुझे ये जानकारी साल २००० में मिली जब मैं एक कार्टूनिस्ट मित्र विवेक गुप्ता से उनके खैरागढ़ निवास पर मिला. उन्होंने मुझे पुरानी किताबें दिखाने (मैं पुरानी किताबें, पत्रिकाएँ और कॉमिक्स इकठ्ठा करता हूँ,) के लिए अपना रद्दी पिटारा खोला जिसमें मैं Asterix & Cleopatra का हिंदी अनुवाद देख कर हतप्रभ रह गया.
हांलाकि उस समय तक मैंने Asterix की कुछ कहानियों की शर्मनाक नक़ल (मैं चरित्र या लेखक का नाम यहाँ बिना उल्लेख किए कहना चाहूँगा कि ये नक़ल मनोज कॉमिक्स के एक सुप्रसिद्ध चरित्र की एक कहानी में हुई थी, जहाँ Asterix The Gladiator की कहानी करीब करीब ज्यों की त्यों उठा ली गई थी) कुछ कहानियों में देखी थी और Asterix की कहानियाँ पढ़ कर मैं Asterix का fan बन चुका था पर ये मुझे भी तभी पता चला कि अस्सी के दशक की शुरुआत में ही Asterix साहब के कदम भारत में पड़ चुके थे. खैर ये मज़ेदार रहस्योद्घाटन और मज़ेदार बन गया जब मैंने पाया कि Asterix की इन कॉमिक्स का हिंदी अनुवाद किया था मेरे प्रिय कार्टूनिस्ट हरीश एम्. सूदन साहब ने.
हरीश जी के लिखने का अंदाज़ मुझे बचपन से ही पसंद है, उनके कार्टून डैडी जी, जोजो और हेडेक मधुमुस्कान- कार्टून पत्रिका / कॉमिक पत्रिका में अब भी देखने को मिलते हैं और बड़े ही मज़ेदार संवाद वाली ये कहानियाँ मैं बचपन में बड़े चाव से पढ़ा करता था. खैर हम बात कर रहे थे Asterix की भारत यात्रा की. तो विवेक के पास रखी ये कॉमिक मैंने तुंरत उनसे मांग ली और अपने विशाल ह्रदय का परिचय देते हुए उन्होंने ज़रा सी नानुकुर करने के बाद मुझे दे भी दी. यकीन मानिए Asterix जैसे चरित्र के संवादों का अनुवाद करना कोई हँसी का खेल नहीं. मगर कुछ इश्वर की इच्छा कहिये या बेहतरीन अनुवादकों का कमाल फ्रेंच से किए अंग्रेज़ी अनुवाद कभी अनुवादित नहीं लगे और शुक्र है हरीश साहब के sense of humor का कि अंग्रेज़ी से किया हिंदी अनुवाद भी इतना natural हुआ कि पढ़ते समय हँसी रोक पाना मुश्किल था.
अनुवाद करना बड़ा कठिन काम है, खासतौर पर humor का क्योंकि हर देश हर परिवेश का Humor अपने आप में अनोखा होता है और उसको किसी दूसरे देश या भाषा में अनुवादित करना करीब करीब असंभव है. मगर हरीश जी के अनुवाद में जब Cleopatra का सेवक दही भल्ले खाने भागता है या ओबेलिक्स से मार खा कर रोमन सैनिक पंजाबी बोलते हुए भागते हैं तो लगता ही नहीं हम एक फ्रेंच कॉमिक का हिंदी अनुवाद पढ़ रहे हैं. साथ में creative freedom लेते हुए हरीश जी ने कुछ चरित्रों के नामों का भी हिंदीकरण कर दिया जैसे Getafix बन गए वैद्यनाथिक्स और Vitalstatistix का नाम हो गया मोटूमिलिक्स, Dogmatix का हिंदी नामकरण हुआ भौंकिक्स. प्रमुख चरित्र एस्ट्रिक्स और ओबेलिक्स के नामों के साथ किसी किस्म का बदलाव नहीं हुआ.
एस्ट्रिक्स को अपनी भाषा में पढने का अनुभव अपने आप में एक था. काश कि सारे एस्ट्रिक्स टाइटल मुझे मिल पाते. बहरहाल जो टाइटल मिला था वह भी अब मेरे पास नहीं है. जल्द ही सूदन जी से मुलाक़ात का प्लान है शायद उनसे कुछ अंक मिल जाएँ. यदि ऐसा हुआ तो हिंदी एस्ट्रिक्स के कारनामे इस ब्लॉग पर ज़रूर पोस्ट करूँगा.

अगली पोस्ट में फिर मुलाक़ात होगी.