इससे पहले कि मैं असल ख़बर पर आऊं,
चाहूँगा कि दो लाइनें अपने और अपने पहले प्यार के बारे मे भी बता दूँ..
बचपन से ही कॉमिक्स का भूत मेरे सर चढ़ कर बोलता है और पढ़ पाने की उम्र से पहले ही रंगबिरंगे चित्रों से साजो कॉमिक बुक्स से मुझे प्यार हो गया।
इंद्रजाल कॉमिक्स का शौकीन तो रहा मगर पढने लायक उम्र होने से पहले ही उनका प्रकाशन बंद हो गया (
इसका मतलब ये नहीं कि इंद्रजाल पढ़ी नहीं,
मामा जी के पास करीब ५०० इंद्रजाल कॉमिक्स थे और समय के साथ हमने हर कहानी कम से कम २-
३ बार ज़रूर पढ़ी है)।
होश सँभालते ही चाचा चौधरी से परिचय हुआ और हर रविवार पापा जी से एक अमर चित्रकथा की रिश्वत लिए बिना रविवार की सुबह का नाश्ता गले के नीचे नहीं उतरता था।
मैं शायद क्लास ४थी का विद्यार्थी था जब मेरा परिचय राज कॉमिक्स से हुआ।
ये किरदार और इनकी कहानियाँ मेरे पसंदीदा चाचा चौधरी से कहीं ज़्यादा complicated
थे।
शुरू शुरू में मुझे ये इतने पसंद नहीं आए मगर एक वक्त के बाद नागराज और सुपर कमांडो ध्रुव मेरे फेवरेट हो गए और इस तरह शुरू हुआ मेरा राज कॉमिक्स प्रेम का सफर।
राज कॉमिक्स धीरे धीरे सफलता की और बढ़ रही थी और उनके प्रतिभाशाली लेखक और आर्टिस्ट्स की टीम नित नए सुपर-
हीरोज़ गढ़ रही थी।
साल जहाँ तक मुझे याद है १९९१ या ९२ रहा होगा जब राज कॉमिक्स ने हीरोज़ की नई तिकडी मैदान में एक साथ उतारी,
ये हीरो थे डोगा,
अश्वराज और गोजो ।
तरुण कुमार वाही की कलम से निकले इन सभी महानायकों ने हम बच्चो की वाह-
वाही लूटी।
गोजो ज़्यादा दिनों तक सफल नही रह सका हाँलाकि अश्वराज को आंशिक सफलता ज़रूर मिली।
जो किरदार इन सबके साथ आया ज़रूर मगर बाद में लम्बी रेस का घोड़ा साबित हुआ वो था कुत्ते की शक्ल वाला ज़बरदस्त हीरो डोगा।
डोगा की प्रथम कॉमिक कर्फ्यू,
मुझे अच्छी तरह याद है सुपर कमांडो ध्रुव की कॉमिक विडियो विलेन के सेट में रिलीज़ हुयी थी और सीमित पॉकेट मनी होने की वजह से मैं कभी क्रमशः (
आधी कहानियों)
वाली कॉमिक्स नहीं खरीदता था (
कौन जाने अगला भाग कब रिलीज़ हो और क्या पता उसको खरीदने के पैसे जेब में हो न हो)।
कर्फ्यू एक ऐसी ही कहानी का पहला भाग थी सो दुविधा में न पड़ते हुए हमने अपने Tried & Tested Superhero
ध्रुव की कॉमिक पर ही पैसे लगना उचित समझा।
और बाद में जब हमें पता चला डोगा की कहानी एक या दो नही बल्कि तीन भागो में पूरी की जायेगी तो मैं मन ही मन अपने इस निर्णय पर खुश भी बहुत हुआ।
खैर जब गर्मी की छुट्टियों में डोगा की तीनो कॉमिक्स कर्फ्यू ,
ये है डोगा और मैं हूँ डोगा पढ़ी तो बस पढ़ते ही चला गया।
तरुण कुमार वाही और संजय गुप्ता की कहानियों पर मनु की चित्रकारी हर तरह से अब तक की आई सभी भारतीय कॉमिक्स पर भारी पड़ती नज़र आई।
इसके बाद तो हम डोगा के अंधभक्त हो गए,
बीच में जब कुछ कहानियों में मनु की जगह विनोद जी से चित्रकारी करवाई गई (
चोर सिपाही और २ अन्य कहानियों में)
तो मुझे बिल्कुल पसंद नही आया मगर मनु की डोगा पर अबकी जो वापसी हुयी वह कम से कम साल २००० तक बेरोक टोक चली ।
डोगा की कहानियाँ हमेशा एक हकीक़त और dark touch
लिए होती थी और मनु के शानदार चित्र उन्हें और भी बेजोड़ बना देते थे।
भारतीय कॉमिक्स में इस तरह का एंटी हीरो मिलना नामुमकिन ही होगा।
मैं डोगा की कोई भी कहानी कितनी भी बार पढ़ सकता हूँ बशर्ते वे तरुण जी की कलम और मनु की ब्रश के संगम से निकली हो ।
कई कहानियाँ तो अच्छी अच्छी फिल्मों को मात दे सकती हैं,
भले ही कुछ कहानियों की प्रेरणा कुछ विदेशी कॉमिक्स से आई हो पर तरुण जी उनको हिन्दुस्तानी रंग देने में माहिर थे।
इन कहानियों में सलीम जावेद के रचे एंग्री यंगमैन की जो फिल्मी छाप थी वह शायद ही किसी और किरदार की किसी कहानी में देखने को मिलेगी।
जब मैंने गोथम कॉमिक्स में काम शुरू किया तो भारतीय कॉमिक्स बनाम विदेशी कॉमिक्स के वाद विवाद में डोगा और मनु की चित्रकारी मेरे लिए तुरुप के इक्के का काम करते रहे। (
बाद में गोथम कॉमिक्स का नाम वर्जिन कॉमिक्स हो गया और मनु ने बंगलोर आ कर वर्जिन के लिए काम शुरू कर दिया ,
ये एक अलग कहानी है किसी अन्य पोस्ट में चर्चा करेंगे ;
यदि आपने चाहा तो) ।
जब भी किसी ने मुझसे पूछा की किस एक इंडियन हीरो पर तुम फ़िल्म देखना/
बनाना पसंद करोगे तो मेरा जवाब हमेशा डोगा ही रहा (
ध्रुव की जगह कब डोगा ने ले ली पता भी नहीं चला)।
कुछ दिन पहले मैं फ़िल्म The Dark Knight
देखने के बाद अपने मित्र सौमिन से बात कर रहा था कि डोगा पर भी एक डार्क और ज़बरदस्त फ़िल्म बन सकती है शायद वो रात मुरादोंवाली रात थी।
अगली सुबह ही समाचार मिला अनुराग कश्यप ने डोगा पर फ़िल्म बनाने कि घोषणा कि है।
विस्तृत समाचार के लिए क्लिक करें यहाँ ।
अनुराग स्वयं बड़े कॉमिक प्रेमी हैं,
उनसे मैं मुंबई स्थित लैंडमार्क के कॉमिक्स/
ग्राफिक नॉवेल सेक्शन में कई बार टकराया हूँ और कॉमिक्स पर छोटी मोटी चर्चाएं भी की हैं।
एक बात तो तय है कि अनुराग के हाथों में डोगा सुरक्षित है और उनकी फिल्मों (
ब्लैक फ्राईडे और नो स्मोकिंग)
के डार्क ट्रीटमेंट को देखें तो लगता है डोगा के डार्क कथानक के साथ भी अनुराग सही न्याय कर पाएंगे।
बस एक ही बात है जो मुझे हज़म नहीं हो पा रही वो है डोगा के रोल के लिए कुनाल कपूर का चयन।
मुझे व्यक्तिगत तौर पर लगता है शायद कुनाल इस रोल के साथ न्याय न कर पाएं।
खैर पसंद अपनी अपनी।
आप सभी साथियों से मैं जानना चाहूँगा कि इस पर आपकी क्या राय है?
आपको क्या लगता है?
क्या आप मुझसे सहमत हैं?
यदि हाँ तो वो कौन सा भारतीय फ़िल्म कलाकार है जो डोगा/
सूरज के किरदारों के साथ सही न्याय कर पायेगा?
और डोगा कि कहानी के बाकी किरदारों के लिए आपके पसंदीदा कलाकार कौन होंगे?
साथ ही हम चर्चा कर सकते हैं कि और कौन से वो भारतीय हीरोज़ हैं,
जिनपर आप फिल्म देखना पसंद करेंगे?
इंद्रजाल के बहादुर (
जिसकी रचना आबिद सुरती जी ने की थी और चित्र गोविन्द ब्राह्मनिया जी के होते थे)
पर भी एक फिल्म की घोषणा हुयी थी मगर बात घोषणा से आगे बढती अब तक नज़र नहीं आई है।
(तमाम कोशिशों के बाद भी मैं इस पोस्ट पर कोई चित्र अपलोड नहीं कर पा रहा, यदि किसी सहृदय सदस्य के पास मनु की बनाई डोगा की कुछ अच्छी तसवीरें हो, कृपया अपलोड करेंगे। धन्यवाद।)
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लिजिये, मैंने डोगा की एक तस्वीर अपलोड कर दी है.. मेरे पास डोगा कि शुरू की तीनों कामिक्स है.. मैं कोशिश करूंगा की जल्द से जल्द उसे इंटरनेट पर अपलोड करके यहां पोस्ट कर सकूं..
:)धन्यवाद आलोक जी..