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Wednesday, May 6, 2015

सदाबहार परशुराम शर्मा जी से मेरी मुलाक़ात...


जीवन में कई बार छोटी-छोटी बातें आपको चौकाने का दम रखती है, बशर्ते आपकी आदत या किस्मत ऐसी बातों को देख सकने कि हो। भाग्य से कुछ सामान खरीदने बाजार गया और बाइक स्टैंड पर लगाते समय क्रिएटिव कोर्सेज का एक पोस्टर दिखा जिसपर एक नाम को पढ़कर लगा कि यह तो कहीं अच्छी तरह सुना लग रहा है पर उस समय भाग-दौड़ में याद नहीं आ रहा था कि कहाँ। पोस्टर पर एक संजीदा बुज़ुर्ग गिटार पकडे  खड़े थे। खैर, सामान खरीदते समय याद आया की पोस्टर पर लिखा नाम परशुराम शर्मा तो बीते ज़माने के प्रख्यात उपन्यास एवम कॉमिक्स लेखक का भी था। साथ में यह भी याद था कि परशुराम जी का पता मेरठ का बताया जाता था। इतना काफी था इस निष्कर्ष पर आने के लिए कि सामने लेखक-विचारक परशुराम शर्मा जी का ही ऑफिस है। पहले तो मैंने भगवान जी को धन्यवाद दिया कि उन्होंने बाइक जिस एंगल पर स्टैंड करवाई वहां से मुंडी टिल्ट करके थैला उठाने में मुझे सर का पोस्टर दिख गया। थोड़ी झिझक थी पर मैंने सोचा कि अब इतनी पास खड़ा हूँ तो बिना मिले तो नहीं जाऊँगा। उनसे बड़ी सुखद और यादगार भेंट हुई और काफी देर तक बातों का सिलसिला चलता रहा, इस बीच उन्होंने अपने सुन्दर 2 गीत मुझे सुनाये और बातों-बातों में मेरे कुछ आइडियाज पर चर्चा की।


270 से अधिक नोवेल्स और कई कॉमिक्स प्रकाशनों के लिए सौइयों कॉमिक्स लिख चुके 68 वर्षीय परशुराम जी अब मेरठ में अपना क्रिएटिव इंस्टिट्यूट चलाने के साथ-साथ स्थानीय म्यूजिक एलबम्स,  वीडिओज़ बनाते है। बहुमुखी प्रतिभा के धनि परशु जी लेखन के अलावा गायन, निर्देशन, अभिनय में भी हाथ आज़मा चुके है और अब तक उनकी लगन किसी किशोर जैसी है। यह उनके साथ हुयी भेंट, कुछ बातें उनके आग्रह पर हटा ली गयी है। 


*) - दशको तक इतना कुछ लिखने के बाद आपके बारे में पाठक बहुत कम जानते है, ऐसा क्यों?
परशुराम शर्मा - बस मुफलिसी का जीवन पसंद है जहाँ मैं अपनी कलाओं में लीन रहूँ। वैसे उस वक़्त अचानक सब छोड़ने का प्लान नहीं था वो हिंदी नोवेल्स, कॉमिक्स का बुरा दौर था इसलिए अपना ध्यान दूसरी बातों पर केंद्रित किया। 

*) - अब आप क्या कर रहे है?
परशुराम शर्मा - अब भी कला में लीन हूँ। बच्चो को संगीत और वाद्य सिखाता हूँ, डिवोशनल, रीजनल एलबम्स-वीडिओज़ बनाता हूँ। कभी कबार स्थानीय फिल्मो में अभिनय करता हूँ। 68 साल का हूँ पर इन कलाओं  सानिध्य में हमेशा जवान  रहूँगा। 

*) - क्या नोवेल्स-कॉमिक्स के ऑफर अब तक आते है आपके पास?
परशुराम शर्मा - कुछ प्रकाशक अब भी मुझसे हिंदी नावेल सीरीज लिखने की बात करते है पर अब इस फील्ड में पैसा बहुत कम हो गया है। युवाकाल जैसी तेज़ी नहीं जो वॉल्यूम बनाकर  मेहनताने भरपाई कर सकूँ। इतना दिमाग लगाने के बाद अगर  पारिश्रमिक ना मिले तो निराशा होती है। अखबार वाले मुझे लेखो के 200-300 रुपये  चैक देते थे और पूछने पर बताते कि लोग तो फ्री में लिखने को तैयार है, हम तो फिर भी आपको कुछ दे रहे है। 

*) - अब किन पुराने साथियों के संपर्क में है?
परशुराम शर्मा - कभी कबार कुछ मित्रों से बातचीत हो जाती है। यहाँ स्थानीय कार्यक्रमों में वेदप्रकाश शर्मा जी, अनिल मोहन आदि उपन्यासकारों से भी मिलना हो जाता है। 

Parshuram ji in T Series Video

*) - क्या अंतर है पहले और अब कि ज़िन्दगी में?
परशुराम शर्मा - पहले जीवन की गति इतनी तीव्र थी कि ठहर कर कुछ सोचना या अवलोकन कर पाना कठिन था। आजकल कुछ आराम है तो वह भागदौड़ में रचनात्मकता किसी सुखद फिल्म सी आँखों के सामने चलती है। 

*) - आपके लिए कुछ सबसे यादगार पल बांटे। 
परशुराम शर्मा - ऐसे बहुत से लम्हे आये जब मुझे विश्वास ही नहीं हुआ अपने भाग्य पर। जो अब याद है उनमे जैकी श्रॉफ का मेरे साथ फोटो खिंचवाने के लिए लाइन में लगना , अमिताभ बच्चन जी का मुझसे मिलने पर यह बताना कि मेरे लेटेस्ट उपन्यास की 5 कॉपीज़ उनके पास रखी है, प्रकाशकों का मेरी कई कृतियों के लिए लड़ना आदि। 

*) - इंटरनेट के आने से क्या बदलाव महसूस किये आपने?
परशुराम शर्मा - ज़्यादा तो मैंने सीखा नहीं पर कुछ वर्ष पहले जिज्ञासावश अपना नाम सर्च किया तो बहुत कम काम था मेरा वहां। मैं कुछ प्रशंषको का धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने जाने कहाँ-कहाँ से खोजकर मेरी कई कॉमिक्स और उपन्यासों की लिस्टस, चित्र आदि इंटरनेट पर अपलोड किये। सच कहूँ तो अब उनमे से काफी काम तो मैं भूल चुका हूँ  कि वो मैंने ही लिखे थे।  
Still from movie "Desi Don"

*) - आपके ऑफिस के बाहर कुछ पोस्टर्स और भी लगे है उनके बारे में बताएं? 
परशुराम शर्मा - एक पोस्टर कुछ समय पहले आई फिल्म "देसी डॉन" का है, कुछ एलबम्स साईं बाबा पर रिलीज़ हुयी पिछले 3 वर्षों में। 

*) - लेखन, संगीत, अभिनय, निर्देशन आदि विभिन्न कलाओं में ऐसी निरंतरता, दक्षता कैसे लाते है आप?
परशुराम शर्मा - इसका उत्त्तर मेरे पास भी नहीं है, शायद इन कलाओं के प्रति मेरा दीवानापन मुझे रचनात्मक कार्य करते रहने को प्रेरित करता है। 

*) - भविष्य कि योजनाओं और प्रोजेक्ट्स से अवगत करायें। 
परशुराम शर्मा - कुछ होनहार बच्चो को संगीत में लगातार शिक्षा दे रहा हूँ, उनमे एक ख़ास हीरा तराशा है जिसका नाम है अंश। उसके साथ साईं बाबा पर डिवोशनल एल्बम अक्टूबर 2014 में लांच की, अब वह कुछ टैलेंट शोज़ के ऑडिशंस दे रहा है। बहुत जल्द आप उसे टीवी पर देखेंगे। नयी पीढ़ी के प्रति  दायित्व निभाने के साथ - साथ जीवन में सोचे ख़ास, चुनिंदा आइडियाज को किस तरह अलग-अलग माध्यमो में  मूर्त रूप दूँ यह सोच रहा हूँ। 

Master Ansh

*) - कॉमिक्स पाठको को क्या संदेश देना चाहेंगे? क्या हम आपका नाम दोबारा कॉमिक्स में देखने की उम्मीद कर सकते है। 
परशुराम शर्मा - मैं उनका आभार प्रकट करूँगा जिन्होंने इस मरती हुयी इंडस्ट्री में जान फूँकी। काल बदलते है, इसलिए चाहे बदले प्रारूपों में ही सही कॉमिक्स का सुनहरा समय फिर से आयेगा। जी हाँ! आगे दोबारा मैं कॉमिक्स लिख सकता हूँ अगर परिस्थिति सही बनी तो। 

इस तरह उनका धन्यवाद करता हुआ, आशीर्वाद लेकर फूल के कुप्पा हुआ मैं उनके ऑफिस से बाहर निकला। जल्द ही उनकी अनुमति लेकर जो गीत उन्होंने मुझे सुनाये थे वो अपलोड करूँगा। 

- मोहित शर्मा (ज़हन) 
#mohitness #mohit_trendster #freelance_talents

Wednesday, March 25, 2015

कार्टूनिस्ट नीरद जी


"बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि कार्टूनिस्ट नीरद का पूरा नाम नीलकमल वर्मा 'नीरद' है। भारतीय कॉमिक जगत के सफल और लोकप्रिय कार्टूनिस्ट नीरद जी का जन्म १५ अगस्त १९६७ को हुआ। १०-११ साल की उम्र से ही इन्होंने कार्टूनिंग की शुरुआत कर दी थी और तब से अब तक देश भर की शीर्ष पत्र-पत्रिकाओं के लिए कॉमिक स्ट्रिप और कार्टून्स तो बनाये ही, साथ ही डायमंड कॉमिक्स के तमाम लोकप्रिय चरित्रों (जैसे ताऊ जी, चाचा-भतीजा, लम्बू मोटू, राजन इक़बाल आदि) के ढेरों कॉमिक बुक्स के लिए रेखांकन भी किया।" 

अब नीरद जी के कार्टून्स लोकप्रिय पत्रिका नन्हे सम्राट के साथ-साथ विभिन्न स्थानीय समाचार पत्रों, पत्रिकाओं में प्रकाशित होते है। 

Friday, March 6, 2015

स्पेशल ऑडियो मैगज़ीन - इंडियन कॉमिक्स फैंडम (Vol. 8)


कॉमिक्स से जुड़े विभिन्न विषयों, यादों पर मेरे द्वारा रिकॉर्ड की गयी 8 हिंदी पॉडकास्ट्स, रिकॉर्डिंग्स इस ऑडियो मैगज़ीन में है। आशा है आपको यह प्रयास भी पसंद आयेगा। मैगज़ीन कवर पर है प्रसिद्द कॉमिक कलेक्टर एवम अनुसंधानकर्ता श्री अरुण प्रसाद जी। - मोहित शर्मा (ज़हन) #trendster 


Wednesday, August 6, 2014

कार्टूनिस्ट प्राण जी को पीढ़ियों के बचपन की काव्य श्रद्धांजलि - मोहित शर्मा (ज़हन)



जिस राह कोई चला नहीं,
उस पर कदम बढ़ाये,
आम लोगो के बीच से ख़ास किरदार उठाये,
फैंटम-मैंड्रेक और फैंटसी की लथ छुड़वाई,
कितनी ही किवदंती याद करवाई,
जाने कैसे सहजता से कथाओं में अपना देसीपन भर लाये। 

दशको तक चाचा क्या पिंकी ऊँगली पकड़ चलाये,
भाषा की बंदिश को तोडा,
तरह-तरह बंदो को जोड़ा,
झूठी मिथको को झकझोरा,
बूढे, बच्चो और गृहणियों को पकड़ सुपरहीरो से करतब करवायें। 

आपका उदाहरण दें विस्मित किशोर आज तक कला में भविष्य बनायें,
मनोरंजन से जनचेतना की पूरी हुयी उनकी आशा,
ढाई साल के बच्चे से लेकर अर्द्धचेतन अधेड़ तक समझे उनकी भाषा। 
अरसो यूँ गुदगुदा कर आँखें नम करवायें,
लाखो चित्र, करोड़ों प्रशंषक,
आसमान को देखें एकटक,
चाचा जी के पापा को वापस बुलायें,
ताकि फिर से वो अपना एक स्वप्निल जगत बनाये,
और फिर से कितनी पीढ़ियों के बचपन में प्राण फूँक जायें। 

आज हमारे बीच प्रख्यात कलाकार, कथाकार, कार्टूनिस्ट और जनसेवक श्री प्राण कुमार शर्मा जी नहीं रहे। अनेको देसी-विदेशी सम्मानों (जिनमे प्रमुख है इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ कार्टूनिस्टस द्वारा लाइफ टाइम अचीवमेंट (2001), कॉमिक कॉन इंडिया का लाइफ टाइम अचीवमेंट, लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स के पीपल ऑफ़ दी ईयर सूची में सम्मिलित (1995), उनकी कॉमिक 'हम एक है' (रमन) का तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा राष्ट्रीय विमोचन (1983), अमेरिका के इंटरनेशनल म्यूज़ियम ऑफ़ कार्टून आर्ट में उनकी कला का स्थाई प्रदर्शन) के अलावा उनकी सबसे बढ़ी उपलब्धि है 1960 के दशक से लेकर अब तक कई पीढ़ियों पर एक सकारात्मक असर डालना और मुझे विश्वास है आगे भी उनका अमर काम ऐसा करता रहेगा। रोज़मर्रा के जीवन से ऐसे किरदार उठा लाये जिन्होंने आयातित विदेशी मनोरंजन के बाज़ार मे एक बड़ा हिस्सा ले लिया। उनकी आत्मा को शांति मिले और उनके काम से यूँ ही लोग प्रेरित होते रहे। प्राण जी को मेरा शत-शत नमन!

- मोहित शर्मा (ज़हन)

Monday, July 15, 2013

इंडियन कॉमिक्स फैंडम (Indian Comics Fandom Magazine)



इंडियन कॉमिक्स फैंडम (Indian Comics Fandom) एक पत्रिका के रूप में प्रयास है भारतीय कॉमिक परिदृश्य को दिखाने का कॉमिक्स से जुडी ख़बरों, साक्षात्कारो,  कहानियों, चित्रों, आयोजनों, रिपोर्ट्स, लेखों, विश्लेषण आदि द्वारा। वैसे तो काफी पहले से इसको प्रकाशित करने की इच्छा थी पर बात टलती रही। 2010  मे "कॉमिक्स स्टोलोन" नाम से एक पत्रिका का एक अंश आया पर फिर वो भी ठंडे बसते मे गयी। अंततः अक्टूबर 2012 में यह पत्रिका शुरू की और अब तक इसके 6 वॉल्यूम प्रकाशित हो चुके है।

इसका आगामी  सातवा अंश स्थानीय कॉमिक्स स्पेशल है जिसमे भारत की स्थानीय भाषाओँ की कॉमिक्स या अनुवादित कॉमिक्स को कवर किया जायेगा। इस से पहले ऐसे थीम बेस्ड दो वॉल्यूम आये एक इंडिपेंडेन्ट कॉमिक्स कम्पनीज केन्द्रित और एक व्यस्क कॉमिक्स केन्द्रित। अंग्रेजी-हिंदी (और कभी-कभी स्थानीय) भाषाओँ के लेख रहते है इस पत्रिका मे।




Indian Comics Fandom FB Page जहाँ आपको इस फ्री ऑनलाइन पत्रिका से जुडी साड़ी जानकारियाँ और लिंक्स मिल जायेंगे। 

Sunday, May 5, 2013

एक नज़र, फेनिल कॉमिक्स का अब तक का सफ़र

2011 में अस्तित्व मे आयी फेनिल कॉमिक्स, भारतीय कॉमिक्स के एक बहुत बड़े प्रशंषक और सूरत, गुजरात के व्यवसायी श्री फेनिल शेरडीवाला के निरंतर प्रयासों की देन है। फेनिल कॉमिक्स 2012 कॉमिक कॉन में भाग लेकर पाठको को अपनी प्रतिबद्धता भी दिखायी। हालाँकि, अभी तक फेनिल कॉमिक्स की 4 कॉमिक्स बाज़ार मे उपलब्ध है पर जल्द ही इनका अगला सेट प्रकाशित हो रहा है साथ ही फेनिल कॉमिक्स द्वारा कुछ ऑनलाइन कॉमिक्स समय-समय पर आ रही है।

जासूस बलराम "दस का दम" से फेनिल कॉमिक्स नए लेखकों एवं कलाकारों को मौके देने का बीड़ा उठाया है जिसकी पहली कॉमिक 'नादान' (जासूस बलराम के सर्वश्रेष्ठ कारनामे - 1) अप्रैल 2013 मे प्रकाशित की गयी।  ऑनलाइन कॉमिक्स मे फ्रीलांस टेलेंटस ग्रुप के साथ मिलकर फेनिल कॉमिक्स मे अब तक 3 काव्य कॉमिक्स भी आयी है जिनमे कहानी की जगह कविताओं के साथ कला का समागम कर कॉमिक्स बनायीं गयी है। वैसे फेनिल जी ने लगभग 3 दर्जन किरदारों और सीरिज़ सोच रखी है पर निकट भविष्य में आगामी कॉमिक्स मुख्यतः फौलाद, ओम, बजरंगी, क्राइमफाइटर और स्टंटगर्ल की होंगी।

कॉमिक्स के अलावा इनका अगला पड़ाव एक ऐसी कंपनी का निर्माण है जो अलग-अलग मनोरंजन के साधनों पर आना है जिसके तहत जासूस बलराम के टी.वी. सीरीयल और फौलाद के एनीमेशन पर कार्य जारी है। वैसे अभी मुख्यधारा के स्तर के हिसाब से फेनिल कॉमिक्स को चित्रांकन और कहानियों में काफी मेहनत करनी है, यह भी सलाह दूंगा कि एक समय मे सीमित प्रबंधन कि वजह से कम काम उठाना चाहिये। पर अभी तक प्रयास संतोषजनक रहे है और आगे बेहतर परिणाम आने की उम्मीद है।



मेरी शुभकामनायें फेनिल कॉमिक्स के साथ है। 

Monday, December 3, 2012

पवित्र गाय मनोरंजन! (Holy Cow Entertainment)


होली काऊ इंटरटेनमेंट, 2011 मे इस कंपनी का  नाम सुना और पता चला इस प्रकाशन के संस्थापक खुद एक नामी कलाकार श्री विवेक गोयल है। हालाँकि, ख़बरें तो 2010 से ही आने लगी थी पर पहले इतने प्रकाशनों का नाम सुनकर आगे काफी समय तक कोई अपडेट न आने पर निराशा होती थी इसलिए कुछ ऐसा सुनने पर अधिक उम्मीद नहीं रखी। पहले विवेक जी से शुरू करता  हूँ, 31 वर्षीय विवेक जी (वैसे अब अगले ही महीने उनका जन्मदिन आ रहा है) के पास कई राष्ट्रीय एवम अंतरराष्ट्रीय कॉमिक प्रकाशनों और कंपनियों मे काम करने का अनुभव है जिनमे प्रमुख है - लेवल 10, राज कॉमिक्स, मूनस्टोन बुक्स, कॉमिक्स इंडिया और अब होली काऊ। साथ ही  उन्होंने अपना शुरुआती पेशेवर दौर स्टार प्लस, कुछ विज्ञापन एजेन्सियों के साथ भी बिताया। 2008 मे जब ये राज कॉमिक्स के लिये काम कर रहे थे तब भी इनपर,  तब के कामो पर ज़ोर देते हुए एक ब्लॉग राज कॉमिक्स की साईट और फ़ोरम्स पर  लिखा था।

कॉमिक्स एक असेम्बली लाइन पद्धति के तहत एक परिकल्पना से होती हुई कहानी-पटकथा-चित्र-स्याही-रंग-शब्द, आदि   सबके साथ लगकर एक पूरा प्रोडक्ट बनती है। अब भरत नेगी जी, अनुपम सिन्हा जी जैसे कलाकार ये सारा काम स्वयं निपटा सकते है जबकि समय की कमी, आदि की वजह से अक्सर इस पद्धति मे क्रमवार कई लोग शामिल रहते है। कई बार चित्रकार, लेखक की शेली, सोच और बहुत सी बातें मेल नहीं खाती जिस वजह से रचनात्मक घर्षण और टकराव होता है। यही प्रमुख वजह थी होली काऊ के अस्तित्व मे आने का। इन बातों पर फिर कभी प्रकाश डालेंगे अभी तो मै  इस पवित्र गाय से इतना भौचक हूँ कि आज इसपर ही लिखता हूँ।  किसी कलाकार द्वारा कॉमिक प्रकाशन खोलना भारत के हिसाब से नयी बात है जिसके लिए मै  विवेक गोयल की तारीफ़ करता हूँ।

होली काऊ की पहली कॉमिक वेयरहाउस मई 2011 मे प्रकाशित हुई जिसमे 3 अलग कहानियाँ थी।  फिर बहुचर्चित 7 कॉमिक्स वाली रावाणयन सीरीज़ आई जिसमे कुछ नए दृष्टिकोणों से रामायण की महागाथा को दिखाया गया। जिसको काफी मीडिया कवरेज मिली. इस सीरीज़ के ख़त्म होने से पहले ही उनकी दूसरी मुख्य सीरीज़ अघोरी सितंबर 2012 से शुरू हुई और अक्टूबर मे ही उसका दूसरा भाग भी प्रकाशित हो चुका है। सीरीज़ का प्रमोशन एक छोटी मुफ्त कॉमिक  अघोरी (00) और यूट्यूब पर एक मोशन कॉमिक ट्रेलर से किया गया। साथ ही होली काऊ इंटरटेनमेंट लगातार भारतीय कॉमिक कोन और स्थानीय पुस्तक मेलो मे हिस्सा लेती रही है। इतने कम समय मे कॉमिक्स के लिए तत्कालीन भारत जैसे बाज़ार मे इतने अनुशासन के साथ लगातार अच्छी कॉमिक्स निकलना किसी अजूबे से कम नहीं। हालाँकि, अभी पेजों की संख्या, कॉमिक्स का दाम, कॉमिक्स मिलने के सीमित साधन जो अभी तक मुख्यतः ऑनलाइन है, कुछ बातें है जिनपर ध्यान दिया जाना चाहिए। इनसे जुड़े  प्रमुख कथाकार और कलाकार है - विजयेन्द्र मोहंती, राम वी, गौरव श्रीवास्तव, योगेश, श्वेता तनेजा, अंकुर आमरे। 

होली काऊ के आगामी आकर्षण है। मुझे लगता है ये प्रकाशन निकट भविष्य मे लोकप्रिय होगा।


*) - रावाणयन ( समापन भाग, विशेषांक)

*) - अघोरी (भाग 3) 


*) -  स्कल रोज़री (ग्राफ़िक नोवल)


*) - सेरेंगेटी स्ट्राइप्स सीरीज़ 


*) - देट मैन सोलोमन 


*) - प्रोज़ेक्ट शोकेस


Website: http://www.holycow.in/


Vivek Goel (Official Page): http://www.facebook.com/vivekart


Vivek & Ram (Mumbai Film and Comic Con, October 2012)