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Saturday, March 28, 2020

कॉमिक्स की सुगंध बिखेरते इंटरनेट के कुछ पन्ने

रुद्र राजपूत (नागराज कॉस्प्ले)

इस समय कई पुराने कॉमिक्स प्रशंसक अपना शौक छोड़ जीवन में व्यस्त हो चुके हैं। ऐसे में अगर आपके पास समय कम है और कभी-कभार कॉमिक्स जगत की हलचल के बारे में जानना चाहते हैं या यूं ही कुछ देर के लिए उस दौर की बेफ़िक्र साँसे लेना चाहते हैं, तो यहां कुछ पेज, वेबसाइट के लिंक दे रहा हूं। इंटरनेट के इन छोटे से कोनों पर आपको नई जानकारी और पुरानी यादें दोनों मिलेंगी।

कॉमिक्स बाइट - इस साइट पर नई-पुरानी कॉमिक्स पर कई लेख हैं।

इंडी कॉमिक्स फेस्ट, स्थानीय और सीमित स्तर पर काम कर रहे कॉमिक्स कलाकारों, प्रकाशकों को एक जगह पर लाने और ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचाने का काम कर रहा है।

स्ट्रिप-टीज़ मैगज़ीन - नाम पर न जाएं, यह साइट भारत में अंग्रेजी, इंडिपेंडेंट कॉमिक्स रचनाकारों, कॉमिक स्ट्रिप, वेब कॉमिक जैसे विषयों को कवर करती है।

राज कॉमिक्स का ऑफिशियल फेसबुक ग्रुप जहां फैन्स और कलाकार अपना काम, अपडेट और अन्य जानकारी साझा करते हैं।
  
इंडियन कॉमिक्स फैंडम - इस ब्लॉग पर मैं भारतीय कॉमिक्स और भारतीय कॉमिक्स रचनाकारों, प्रशंसकों से जुड़ी ख़बरें, लेख पोस्ट करता हूं। इससे जुड़ी एक मैगज़ीन और सालाना अवार्ड भी आयोजित किए जाते है।

इसी तरह का एक ब्लॉग और फेसबुक ग्रुप यह भी है - ICUFC

कल्चर पॉपकॉर्न - यहां देश-विदेश के सिनेमा, कॉमिक्स और टीवी सीरीज पर लेख मिलेंगे।

कुछ सालों से फैन मेड ऑनलाइन कॉमिक्स भी चल रही हैं। यहां फैन फिक्शन, फैन आर्ट के साथ-साथ प्रशंसकों द्वारा बनाई गईं कॉमिक्स उपलब्ध हैं।

साथ ही, यूट्यूब पर भारतीय कॉमिक्स पर फैन एनिमेशन, मोशन कॉमिक्स बनाने वाले कुछ कलाकार काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। अगर आपके पास ऐसे ही लिंक या जानकारी हो तो कमेंट में साझा करें।
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#ज़हन

Sunday, November 22, 2015

नागराज जन्मोत्सव 2015

Pic Credit - Mr. Vishi Sinha

नागराज जन्मोत्सव 2015 का हिस्सा बना, बुराड़ी, दिल्ली में राज कॉमिक्स के बंद हो चुके एनिमेशन स्टूडियो Rtoonz जो अब पाम गार्डन्स में परिवर्तित हो गया है, वहां के प्रांगण में 15 नवंबर 2015 को राज कॉमिक्स द्वारा भव्य आयोजन किया गया। सजावट, तैयारियां बहुत अच्छी थी पर शायद दिवाली के बाद होने के कारण आने वाले फैंस और कलाकारों, लेखकों की संख्या अपेक्षा से काफी कम रही। पर इसका फायदा यह रहा कि कई कलाकारों, प्रशंषको से तस्सल्ली से बात करने का अवसर मिला जो वैसे अधिक भीड़ में नहीं हो पाता। हनीफ अज़हर जी, हरविंदर मांकड़ जी, फैसल मोहम्मद भाई, अंसार अख्तर जी इनमे प्रमुख थे। बाकी राज कॉमिक्स से जुड़े क्रिएटिव्स संजय जी, मनीष जी, अनुपम जी, हेमंत जी, आदिल जी, ललित शर्मा जी, ललित सिंह जी, मंदार भाई, शादाब भाई, क्षितीश जी आदि सम्मानित सदस्य थे ही।

Vinod Kumar ji
मुझे इवेंट में आने में थोड़ा झिझक थी क्योकि बीच में काफी वज़न बढ़ गया है मेरी लापरवाही से और जो पहली छवि थी मेरी उसको बदलना नहीं चाहता था पर फिर कई मित्रों को आने की बात कह चुका था खासकर देवेन जी को जो ख़ास मुंबई से आ रहे थे यहाँ तो मैंने सोचा कि कहीं जन्मोत्सव के बाद ये सब मुझे पीटने ना आ जाएँ इसलिए मैं भी आ गया। अमित अल्बर्ट और हुसैन ज़ामिन जी से नहीं मिल पाने का मलाल रहा। स्टेज पर हो रहे मनोरंजन के साथ-साथ आर सी फ़ोरम्स से लेकर इंडियन कॉमिक्स गैलेक्सी के नए-पुराने मित्रों से बातों का दौर चलता रहा। फिर रात को रूककर विशाल, देवेन भाई, मैड्डी, नरेंद्र भाई, शादाब भाई, जॉन रॉक और इंडियन कॉमिक्स गैलेक्सी के सदस्यों से गप्पे चले। अगली सुबह पहले से काफी बदल चुके राज कॉमिक्स परिसर का भ्रमण किया, पहली बार आये मित्रों ने ऑफिस का अवलोकन किया, बस फिर बुरारी पार कर अगली बार मिलने की बात कर सबसे विदा ली। ओवरआल एक और यादगार इवेंट! 
smile emoticon
अब 29 नवम्बर को दिल्ली में ही अगले इवेंट कॉमिक फैन फेस्ट का इंतज़ार है।
- मोहित शर्मा (ज़हन)

Saturday, April 24, 2010

शेर का बच्चा सूरज

इस कहानी का सारा ताना बना बुना गया है सूरज, डोगा, मोनिका, चीता, अदरक चाचा और चंद समाज के बेहिसाब दौलत और ताकत रखने वाले भेड़ियों पर.. डोगा के कम ही कामिक्स में ऐसे गजब की चित्रकारी, डायलॉग, एक्शन, इमोशन और सिक्वेंस एक साथ देखने को मिलेगा.. कुल मिला कर अगर मुझे इस कामिक्स को रेटिंग देने को कहा जाए तो मैं इसे पांच में चार दूँगा(****4/5)..

अब तक सूरज(नए आने वालों के लिए - सूरज ही डोगा है) को पता चल चुका होता है कि उसकी सोनू जो बीहड़ के घने जंगलों से भागते समय नदी कि धारा में बह गई थी वह मोनिका ही है, मगर मोनिका को यह नहीं पता होता है कि सूरज ही डोगा है.. मोनिका डोगा से बेहिसाब नफ़रत करती होती है, क्योंकि उसके हिसाब से डोगा का तरीका सही नहीं है.. उसका यह भी मानना होता है कि अगर सभी डोगा कि ही राह अपना लें तो इस समाज का कोई नाम लेने वाला भी बचा नहीं रहेगा..

मोनिका का भाई चीता को इस बात इल्म हो चुका था कि सूरज ही डोगा है, मगर अभी तक वह भी यह समझ चुका था कि इस समाज को डोगा कि जरूरत है.. घटनाक्रम कुछ ऐसा मोड़ लेती है कि डोगा को भी पता चलता है कि चीता उसका राज जान चुका है, और वह किसी भी कीमत पर अपना राज जानने वाले को जिन्दा नहीं छोड़ सकता है.. इसी जूनून में वह अपनी बन्दूक कि सारी गोली चीता के सीने में उतार देता है और वह भी मोनिका के सामने ही.. बाद में मोनिका को भी पता चल जाता है सूरज ही वह डोगा है जिसने अभी अभी उसके भाई को गोली मारी है.. इसी बीच अदरक चाचा डोगा और चीता-मोनिका के सामने दीवार बन कर सामने आ जाते हैं..

कुल मिला कर इस जबदस्त कामिक्स को पढ़ना ना भूलें.. और कुछ नहीं तो मेरी बात पर भरोसा करें कि "यह कामिक्स जबरदस्त है"..

चलते चलते बताता चलूँ, कि यह मेरे द्वारा स्कैन करके नेट पर अपलोड की जाने वाली पहली कामिक्स थी.. जो डोगा कि नेट पर उपलब्ध पहली ई-कामिक्स भी थी.. :)

डाउनलोड लिंक : शेर का बच्चा
संजय गुप्ता जी के अनुरोध पर डाउनलोड लिंक हटाया जा रहा है..




डाउनलोड लिंक : शेर का बच्चा
संजय गुप्ता जी के अनुरोध पर डाउनलोड लिंक हटाया जा रहा है..



आगे आने वाले कामिक्स के नाम :
  • खाकी और खद्दर (डोगा)

  • खूनी खानदान (ध्रुव)

  • अतीत (ध्रुव)

  • जिग्सा (ध्रुव)


एक दफ़े ये सभी पोस्ट हो जाने के बाद नागराज के उन कामिक्स को कुरेदा जायेगा जो नागराज कि शुरुवाती कामिक्स थी और अब बाजार में भी उपलब्ध नहीं है.. :)

नागायण - वरणकांड

यह कामिक्स श्रृंखला मेरी नजर में राज कामिक्स का अभी तक के बिक्री का सारा रिकार्ड तोड़ डाले थे.. आज मैं इसके पहले भाग का प्रस्तावना जैसा ही कुछ ले कर आया हूँ, जिसमे इसके प्रमुख पात्रों का जिक्र है..

मैंने जब से ये ब्लॉग शुरू किया है तभी से अपने ही बनाये इस नियम को मानता चला आ रहा हूँ कि मैं कोई भी ऐसा कामिक्स का लिंक यहाँ ना दूँ जो पिछले दो वर्षों मे आया हो या फिर अभी भी उसकी खूब बिक्री हो रही हो.. मैं कुछ भी ऐसी सामग्री यहाँ नहीं डालना चाहता हूँ, जिससे कामिक्स इंडस्ट्री पर कुछ भी बुरा असर ना हो, जिससे भविष्य में और भी कामिक्स पढ़ने को मिले.. :) मगर फिर भी मुझे अफ़सोस के साथ कहना पर रहा है कि लगभग सभी नई-पुरानी कामिक्स इस अंतर्जाल पर कहीं ना कहीं बिखरे पड़े हैं..

फिलहाल तो आप इस कामिक्स के कुछ झलकियाँ देखें..

प्रमुख पृष्ठ :



नागराज :



ध्रुव :



नागपाशा :



नताशा :



विसर्पी :



बाबा गोरखनाथ :


Thursday, April 22, 2010

जब प्रतिशोध लेने कि बात करने वाला पिट गया, मेरा मतलब विलेन :)

सन 1996 कि बात है, उस जमाने में कामिक्स का नशा सर चढ़ कर बोला करता था(वैसे बोलता तो अभी भी वैसे ही है :D).. मगर घर में पापा-मम्मी कामिक्स के धुर-विरोधी हुआ करते थे.. मगर एक दिन "जैसे हर कुत्ते का एक दिन होता है" मेरा भी दिन आया, और पापा जी मुझे बोले कि "जाओ बच्चा तुम्हे सौ रूपये देता हूँ.. इसमें जितना कामिक्स खरीद सकते हो खरीद लो.." उनकी यह वाणी मुझे किसी आकाशवाणी से कम नहीं लगी.. ठीक वैसे ही जैसे महाभारत में देवकी के ब्याह के समय कंस को आकाशवाणी सुनाई दिया था.. (वैसे कभी कभी सोचता हूँ कि महाभारत काल और उसके आस पास के काल मे इत्ते सारे आकाशवाणी क्यों लोगों को सुनाई देता था?? :o ;))

अब एक अंधे को क्या चैये, बस दो ऑंखें.. उस समय मैं बिक्रमगंज नामक शहर में रहता था, जो बिहार के रोहतास(सासाराम) जिले में अवस्थित है.. वहाँ राज कामिक्स मिलता नहीं था और मैं अपने अमूल्य सौ रूपये डायमंड कामिक्स के चाचा चौधरी जैसे कामिक्स पर खर्च करने को तैयार नहीं था.. अब विकट स्थिति जान पड़ी.. करें तो क्या करें.. बस संभाल कर रख लिया वह सौ रूपया, सोचा "केकयी" जैसे ही समय आने पर इसका उपयोग करूँगा और बेचारे पापा मना भी नहीं कर पायेंगे..

फिर वो दिन भी आया जब पापाजी को किसी मीटिंग में डेहरी-ऑन-सोन जाना था और साथ में हम भी लटक लिए.. पापाजी गए मीटिंग के अंदर और हम उनके बॉडीगार्ड साहब को लेकर पहुँच गए वहाँ के रेलवे स्टेशन.. ध्रुव या नागराज का कोई कामिक्स तो मिल ही जायेगा, इसी उम्मीद में.. और वहाँ से ख़रीदे तीन कामिक्स.. तीनो के तीनो ही ध्रुव के..
  • "स्वर्ग कि तबाही"

  • "दलदल" और

  • "ब्लैक कैट"


जिसमे से स्वर्ग कि तबाही ध्रुव कि एक दूसरी कामिक्स का आखरी भाग था, उसके पहले भाग का नाम आदमखोरों का स्वर्ग था.. इन दोनों कामिक्स को मैं पहले भी आपके सामने ला चुका हूँ जिसका लिंक उन कामिक्स के नाम के साथ दे रहा है मैंने.. Link Deleted on request of Sanjay Gupta Ji..

दूसरी कामिक्स "दलदल" अपने आप में पूरी कामिक्स थी.. आगे पीछे कोई भी रोवनहार नहीं था उस कामिक्स का, मतलब कोई दूसरा भाग नहीं था.. :)

और तीसरी कामिक्स "ब्लैक कैट" के साथ भारी पंगा हो गया.. लेते समय मैंने देखा नहीं और पढ़ने पर पता चला कि यह तो पहला भाग है.. अब दूसरा भाग कहाँ से आये.. भारी लोचा.. अब तो पटना आयें तो यहाँ पता करे उसके दूसरे भाग के बारे में.. डेहरी-ऑन सोन जाए तो फिर वही चक्कर.. पटना के पुस्तक मेला में भी मेरे घूमने कि वजह सिर्फ यही कामिक्स थी(उस जमाने में साहित्य भगोरों में मेरा नाम अव्वल हुआ करता था सो किसी साहित्यिक पुस्तक मैं खरीदने से रहा.. वैसे मेरा मानना है कि कामिक्स भी साहित्य के ही किसी श्रेणी का हिस्सा है :)).. "रोबो का प्रतिशोध" नाम था उसके दूसरे भाग का.. सबसे बड़ी मुसीबत तो यह कि पहले भाग में ध्रुव को बुरी तरह घायल दिखा दिया था.. मन में सवाल यह नहीं था कि वह बचा या नहीं, क्योंकि उसकी नई कामिक्स लगातार आ रही थी(ही ही ही :D).. सवाल यह था कि वह बचा तो कैसे बचा..

खैर एक दिन ब्रह्म देव मुझ पर भी प्रसन्न हुए और मेरी मुह मांगी मुराद पूरी हो गई.. मुझे यह कामिक्स मिली पटना जंक्शन के पास वाले एक बुक स्टोल पर(मीठापुर सब्जी मार्केट के कोर्नर वाला बुक स्टोर).. और पढकर दिल को उतनी ही ठंढक मिली जितनी कि एक बच्चे को कुत्ते कि पूंछ खिंच कर मिलती है(ही ही ही :D)..

फिलहाल तो आप भी इसे पढ़िए.. :)



चूंकि इसमें अपनी कुछ यादें भी जुडी हैं सो सोचता हूँ कि इसे अपने दूसरे ब्लॉग पर भी डाला जाए.. :) शायद तीन-चार दिन बाद..

Wednesday, February 17, 2010

पहला प्यार और नताशा


मुझे वह अच्छी लगाती थी, और मैं उसे कभी-कभी नताशा कह कर बुलाता था.. वह मुझसे पूछती थी कि ये नताशा कौन है, मैं बस कहता कि ऐसे ही.. अब उससे कौन कहे कि मेरा पहला प्यार का नाम नताशा ही है.. मैं दिल ही दिल में खुदा को शुक्रिया अदा करता था कि वह कामिक्स नहीं पढ़ती थी.. कुल मिलकर कुछ ऐसा ही नशा हुआ करता था उस कामिक कैरेक्टर का..

पिछले पोस्ट में गौतम जी ने मुझे भी मेरा पहला प्यार याद दिला दिया.. मेरा शुरू से ये मानना रहा है कि हर पीढ़ी का अपना अलग हीरो होता है.. जैसे मुझ से ४-५ साल पहले कि पीढ़ी का वेताल हुआ करता था कमोबेश वैसा ही मेरे उम्र के लोग अपना हीरो ध्रुव और नागराज जैसे कैरेक्टर में ढूँढते रहे.. फिर कब जवान हुए और कब प्यार हुआ कुछ पता ही नहीं चला.. मेरी कई मित्र भी हैं जिसे अपना पहला प्यार ध्रुव या डोगा में दिखता रहा है, वहीँ कईयों को नागराज भी खूब भाता रहा है..

नताशा का पहला परिचय ग्रैंड मास्टर रोबो में कराया गया था.. मैंने बहुत पहले कभी ग्रैंड मास्टर रोबो नामक कामिक्स पोस्ट भी की थी जिसे आप यहाँ पढ़ सकते हैं.. नताशा का पिता रोबो जो अपराध की दुनिया का बादशाह हुआ करता था, जब तक की वह ध्रुव से नहीं टकराया था.. नताशा उसके रोबो ट्रूप्स की कमांडर हुआ करती थी.. फिर जब वह चंडिका उर्फ श्वेता को जान पर खेल कर उसकी जान बचाते देखती है तो अपराध की दुनिया छोड़ देती है.. वैसे पूरी कहानी पढ़ने के लिए आप ग्रैंड मास्टर रोबो वाले लिंक से उस कामिक्स को डाउनलोड कर सकते हैं..

अब बढते हैं अगले प्रेम की ओर.. ऋचा.. वह भी ध्रुव के कामिक्स की ही कैरेक्टर है.. जो छद्म वेश रखकर ब्लैक कैट भी बनती है और अपराधियों से भी लड़ती है.. खाली समय में वह जिमनास्ट है, वही साथ में एक सुपर कम्प्युटर जीनियस भी.. आप फिलहाल ब्लैक कैट की पहली कामिक्स पढ़े, बाकी अगले पोस्ट में अपने एक और प्यार के साथ लौटता हूँ.. वैसे भी यह कामिक्स दो भागों में बनती हुई है.. सो मुझे जल्द ही आना है दूसरा भाग पोस्ट करने के लिए.. :)

"ब्लैक कैट" कामिक्स का डाउनलोड लिंक


आप कामिक्स डाउनलोड करने के लिए ब्लैक कैट कामिक्स की तस्वीर पर भी क्लिक कर सकते हैं..

Sunday, February 8, 2009

कैसे एक कामिक्स ने बदल दी जिंदगी.. "चुंबा का चक्रव्यूह"

जैसा मैंने पहले कहा था की मैं आने वाले पांच कामिक्स के साथ गुजारे हुये अपने जीवन के कुछ हसीन पल भी आप लोगों के साथ बाटूंगा और वैसा कुछ ही मैं इस कामिक्स के साथ भी करने के इरादे में था.. मगर मैं यह पोस्ट लिखता उससे पहले ही मुझे इस कामिक्स से संबंधित एक बहुत ही जबरदस्त कहानी आरकुट के एक कम्यूनिटी में मिल गई.. तो आज मैं आप लोगों के सामने ए.पी.दुबे जी की कहानी पेश कर रहा हूं.. मगर उससे पहले मैं आप लोगों के सामने इनका कुछ परिचय भी देता चलूं(जैसा मुझे इनके आरकुट प्रोफ़ाईल से मिला है)..

कामिक्स के बहुत बड़े पंखे(फैन) हैं यह महाशय.. बचपन से ही कामिक्स के दिवाने, खासकर के सुपर कमांडो ध्रुव के.. इन्होंने तो अपने होने वाले संतानों के नाम तक सोच लिया है(उसकी भी एक अलग कहानी है जो फिर कभी).. अगर लड़का हुआ तो ध्रुव और यदी लड़की हुई तो श्वेता(मेरे इस चिट्ठे को पढ़ने वाले कई पाठ्क ध्रुव के बारे में बहुत ज्यादा नहीं जानते हैं, सो उनके लिये यह जानकारी - ध्रुव की छोटी बहन का नाम श्वेता है).. यह अभी हाल फिलहाल में एक साईट भी शुरू किये हैं जिस पर आप यहां क्लिक करके पहूंच सकते हैं.. तो चलिये आज सुनते हैं इनकी दिलचस्प कहानी जो ध्रुव के कामिक्स चुंबा का चक्रव्यूह के साथ जुड़ी हुई है.. यह कहते हैं -



यह कहानी है तड़ित चालक के बारे में, जो मैंने ध्रुव के किसी कामिक्स में पढ़ा था.. ठीक-ठीक याद नहीं मगर शायद मैं आठवीं या नवमीं कक्षा में था जिस समय की यह घटना है.. हमारी शिक्षिका तडित चालक के बारे में हमें पढ़ा रही थे और उन्होंने कक्षा से पूछा, "कोई तडित चालक के बारे में जानता है?" मेरे और मेरे ही एक सहपाठी के अलावा और किसी ने हाथ नहीं उठाया..

हमारी शिक्षिका ने सबसे पहले मुझसे ही पूछा और मैंने उन्हें विस्तार पूर्वक बताया.. मेरे उत्तर से पूर्णतः संतुष्ट होने के बाद उन्होंने मुझसे पूछा की कहां से तुम्हें यह जानकारी मिली? मैंने बताया कि पिछले साल मैंने एक कामिक्स में इसके बारे में विस्तार से जाना था और उन्हें मेरी बातों पर भरोसा नहीं हुआ.. तब मेरे एक सहपाठि ने मेरी बातों का समर्थन किया जो अभी का मेरा सबसे अच्छा मित्र है.. और हमने कहा कि हम आपको कल यह सारी बात कामिक्स में भी दिखा देंगे..

अगले दिन मेरा मित्र उस कामिक्स के साथ विद्यालय आया लेकीन गणित के शिक्षक को एक लड़के ने बता दिया कि मेरा मित्र अपने स्कूल बैग में कामिक्स लेकर आया है.. हमारे गणित के शिक्षक ने हमें इसकी सजा देनी चाही मगर हम दोनों ही इसके लिये तैयार नहीं थे, क्योंकि हम दोनों की ही नजर में हमारी कोई गलती नहीं थी जो हम सजा भुगतते.. हमने कहा कि कृप्या हमारी विज्ञान की शिक्षिका को बुलाया जाये..

हमारे गणित के शिक्षक ने हमारी विज्ञान की शिक्षिका के साथ-साथ हमारे प्रधानाध्यापक को भी बुला लिया.. और उन सबके सामने हमने बताया कि हमने कहां से तडित चालक के बारे में पढ़ा था.. हमारी विज्ञान की शिक्षिका ने ना सिर्फ हमे शाबासी दी वरन् हमें पूरी कक्षा के सामने हीरो जसा बना दिया और वह भी प्रधानाध्यापक के सामने..

इन सब चीजों के परे, मुझे इस घटना से मेरा सबसे अच्छा मित्र मिल गया.. :)

आप इस कामिक्स को पढ़ने के लिए इस लिंक पर जाकर कामिक्स ऑर्डर कर सकते हैं..

आप भी तडित चालक के बारे में जानने के लिये पढ़ सकते हैं चुंबा का चक्रव्यूह, पृष्ठ नंबर 34.. :)

Wednesday, January 21, 2009

सुपर कमांडो ध्रुव और मुक्ता

कल मैं अपनी एक मित्र मुक्ता से फोन पर बात कर रहा था जो कुछ मजेदार सा था.. उसी का एक अंश मैं यहां लिख रहा हूं..

मैं : "उस दिन मैं पूरे दिन भर तुम्हारा इंतजार करता रहा और तू नहीं आयी.. अबे अगर नहीं आना था तो फोन कर देती या मैसेज दे देती.."

मुक्ता : "अरे यार मैं बोली थी ना की मैं उस दिन आफिस चली गयी थी.."

मैं : "नहीं तू बोली थी की तू उससे एक दिन पहले सैटरडे को आफिस गयी थी.. अब मैं घर से खाने का सामान लाया हूं तो लालची की तरह मेरे घर आना चाह रही है.."

मुक्ता : "अच्छा गलती हो गई.. अब डांटो मत.."

मैं : "ठीक है नहीं डाटूंगा मिल तो पिटाई करता हूं.."

मुक्ता : "पिटाई तो मैं करूंगी तेरा.."

मैं : "क्यों?"

मुक्ता : "बस ऐसे ही मन कर रहा है.."

मैं : "अब तो तू मेरे हाथ से पिटने के लिये तैयार रहो.."

मुक्ता : "तू लड़की पर हाथ उठायेगा?"

मैं : "हां.."

मुक्ता : "तू ऐसा नहीं कर सकता है.. मुझे मालूम है तू लड़की पर हाथ नहीं उठाएगा.."

मैं : "कभी बचपन में कामिक्स पढी है सुपर कमांडो ध्रुव का?"

मुक्ता : "हां.. पर क्यों पूछ रहा है?"

मैं : "वो लड़की पर हाथ नहीं उठाता था.. तू क्या मेरे को सुपर कमांडो ध्रुव समझ रखी है? मैं लड़कीयों पर हाथ के साथ-साथ पैर भी उठा सकता हूं.."

मुक्ता : "अबे तू वही है सुपर कमांडो ध्रुव, लेकीन मुझे ना मारना.. समझा? तू भी क्या याद दिला दिया.. सुपर कमांडो ध्रुव.."

सम्मीलित हंसी.. "हा हा हा हा...."


मैंने यह पोस्ट 21 मार्च सन् 2008 को अपने चिट्ठे मेरी छोटी सी दुनिया पर पोस्ट किया था.. चूंकी यह पोस्ट कामिक्स से जुड़ी मेरी जिंदगी का एक हिस्सा ही है सो आज मैं इसे यहां भी पोस्ट कर रहा हूं.. मेरे अगले पोस्ट में आप चुंबा का चक्रव्यूह पढ़ सकते हैं.. और हां भूले नहीं, साथ में होगी इस कामिक्स से जुड़ी मेरे बचपन की एक कहानी भी.. :)

Sunday, January 18, 2009

डबल धमाका! "मैंने मारा ध्रुव" को और "हत्यारा कौन"

आप ध्रुव कि कौन सी कामिक्स पढ़ना चाहते हैं वाले पॉल में दूसरे स्थान पर यही दोनों कामिक्स आयी थी जिसे मैंने इस पोस्ट का शीर्षक बनाया है.. और अपने उस पोस्ट में किये वादे के मुताबिक चलते-चलते आपको इससे जुड़ी बचपन कि कहानी भी सुनाते चलना है..

बात सन् 1994 की है.. मैं उस समय 13 साल का था और चक्रधरपुर(जो अब झारखंढ में है) में रहता था.. उसी समय मेरे छोटे चाचाजी कि शादी तय हुयी थी और इंगेजमेंट के लिये मुझे और मेरे पापाजी को पटना से होते हुये दरभंगा जाना था.. हमें पटना के लिये ट्रेन पकड़ने के लिये पहले चक्रधरपुर से जमशेदपुर जाना था और वहां से पटना के लिये ट्रेन पकड़नी थी.. हम इस्पात एक्सप्रेस से घंटे भर में समय से जमशेदपुर पहूंच गये.. हमारे पास अभी भी 1 घंटे का समय था.. जैसा कि मैं पहले भी बता चुका हूं कि बचपन में हम बच्चों को कामिक्स खरीदने कि सख्त मनाही थी, मगर हमें ट्रेन में कामिक्स खरीदते समय मना नहीं किया जाता था.. सो इस मौके को मैं गवाना नहीं चाहता था और पहूंच गया कामिक्स के स्टॉल पर..

वहां नयी-नयी कामिक्स "मैंने मारा ध्रुव को" स्टॉल पर टंगी हुई थी.. मैंने आव ना देखा ताव और झट से कामिक्स खरीद ली.. ये भी नहीं देखा कि इसका कोई अगला भाग तो नहीं है? ये भी नहीं सोचा कि अगर इसका अगला भाग भी होगा तो वो कभी पढ़ने को मिलेगा या नहीं.. मैं उचक कर ट्रेन में अपने जगह पर बैठकर कामिक्स पढ़ने लगा, और जब तीन कहानी खत्म हो गयी फिर जाकर पता चला कि ये तो आधी ही है.. और फिर उदास हो गया.. ये उदासी ज्यादे देर तक नहीं रही क्योंकि अपने चाचाजी की इंगेजमेंट में जो जा रहा था..

"हत्यारा कौन" कामिक्स मुझे पटना आने के बाद शायद सन् 1997 में पढ़ने को मिली.. मगर इसका रोमांच तब तक कम नहीं हुआ था.. :)






चलते-चलते कुछ इन कामिक्स की भी बात कर ली जाये.. मेरी नजर में यह दोनों ही कामिक्स ध्रुव के कामिक्स का मील का पत्थर कहा जा सकता है, जिसमें रोमांच अंत तक बना रहता है.. शुरूवात होते ही एक बड़ा झटका लगता है कि ध्रुव मर कैसे गया, मगर मन में यह बात भी रहती है कि नायक कभी मरता नहीं, और एक विश्वास भी मन में होता है कि वो अंत में वापस जरूर आयेगा.. इन दोनों कामिक्स का प्रमुख किरदार "कंकालतंत्र" ही-मैन के कामिक्स का "स्केलेटन" का नकल भर ही है जिसके पास काफी कुछ उसी के जैसी शक्तियां भी है.. मगर फिर भी कहानी काफी चुस्त है.. दो कामिक्स में छः कहानियों को पढ़ने का अनुभव भी अलग ही है.. इसमें ध्रुव के लगभग सारे खलनायकों को एक जगह इकट्ठा किया गया है जिसमें वैज्ञानिकों के साथ-साथ तंत्र-मंत्र सम्राट चंडकाल भी है.. फिलहाल पूरी कहानी जानने के लिये आप यह कामिक्स डाऊनलोड करके पढ़िये.. :)

लिंक
मैंने मारा ध्रुव को का डाऊनलोड लिंक
हत्यारा कौन का डाऊनलोड लिंक

डाऊनलोड करने के लिये आप तस्वीर पर भी क्लिक कर सकते हैं..


संजय गुप्ता जी के अनुरोध पर डाउनलोड लिंक हटाया जा रहा है..

Saturday, January 17, 2009

राज कामिक्स मेरा जूनून

मैं मेरठ से दिल्ली 8 मार्च को 3 बजे दिन मे पहूंचा और रिगल, कनाट प्लेस के पास चला गया क्योंकि वहां मुझसे मिलने वंदना आ रही थी.. लगभग आधे घंटे बाद वो आई और उसके साथ मैं लगभग 4:45 तक रहा.. फिर वहां से हम दोनों ही पैदल ही टहलते हुये नई दिल्ली रेल्वे स्टेशन की तरफ बढ चले.. मेरा अपना अनुमान था की रीगल से स्टेशन तक जाने में लगभग 20 मिनट लगना चाहिये और मेरी ट्रेन 5:20 पर थी.. मतलब मेरे पास 15 मिनट बच रहा था अपनी ट्रेन पकड़ने के लिये..

मेरा अनुमान ट्रैफिक ने गलत साबित कर दिया और जब मैं स्टेशन पहूंचा तो 5:10 हो रहे थे.. अब मैंने वंदना को कहा की अब आप यहीं से वापस जाओ क्योंकि अगर मैं आपके लिये प्लेटफार्म टिकट लिया तो मुझे मेरी ट्रेन छोड़नी परेगी.. फिर उससे विदा लेकर प्लेटफार्म के अंदर घुस गया.. मैं पहाड़गंज के तरफ से अंदर गया था और पिछली बार जब मैंने संपूर्णक्रांती पकड़ी थी तो वह 9 या 10 नंबर से रवाना होती थी.. सो मुझे पता था की मेरे पास ज्यादा समय नहीं है.. इस बार तो वह 12 से जाने वाली थी..

मैं लगभग भागते हुये 12 नंबर पहूंचा.. समय देखा तो 4 मिनट बचे हुये थे.. सामने देखा तो S1 डब्बा था और मुझे B3 में जाना था.. मैंने कुली से पूछा की B3 कहां है तो पता चला की S1 से S10, फिर एक पैंट्री कार है और उसके बाद B1, B2 फिर जाकर B3 है.. मैंने फिर से भागना शुरू किया मगर मन में ये तसल्ली थी की ट्रेन अब नहीं छूटने वाली है..

बचपन से ही हम बच्चों के लिये ट्रेन से सफर करने का मतलब कोई कामिक या कहानी की किताब और ढेर कुछ ना कुछ खाते जाना होता था.. अब भैया दीदी तो सुधर गये हैं मगर मैं अपने घर का बच्चा होने का कर्तव्य अभी भी निभा रहा हूं.. :D जब मैं अपने डब्बे की तरफ भाग रहा था तभी मुझे एक किताब की दुकान पर कामिक दिख गई.. अब तो मैं सोचा चाहे दौड़कर ही मुझे ट्रेन पकड़नी परे मगर मैं पहले कामिक तो जरूर खरीदूंगा.. मैं अभी तक कामिक पढने का शौकीन हूं मगर चेन्नई में मुझे हिंदी कामिक नागराज, ध्रुव, डोगा वाली नहीं मिलती है.. मगर मैं भी पीछे नहीं हूं.. नेट से राज कामिक के साईट पर जाकर खरीदता हूं.. सो अधिकतर कामिक मेरी पढी होती है.. मैंने उसके पास जितनी कामिक थी वो सारी जल्दी-जल्दी में पलट डाली और 4 कामिक निकाल कर उसे दिया और कहा, "कितने का हुआ भैया, जल्दी बताओ.." वो हक्का बक्का होकर मेरा चेहरा देख रहा था.. सोच रहा होगा की इतना बड़ा होकर भी बच्चों वाला शौक.. :) मगर मुझे जो अच्छा लगता है मैं बस वही करता हूं.. आज तक दुनिया की कभी परवाह नहीं कि की दुनिया क्या सोचती है.. उसने मुझे बताया 120 की हुई.. मैंने बिना दाम जोड़े ही उसे 120 पकड़ाये और फिर दौड़ पड़ा अपने डब्बे की तरफ.. डब्बे पर अपना नाम चेक किया और डब्बे में चढ गया.. जब तक मैं अपनी सीट तक पहूंचता तब-तक ट्रेन खुल गई.. बाद में मैंने दाम जोड़े तो बिलकुल सही पाया.. :)



राज कामिक्स मेरा जूनून आजकल राज कामिक्स का पंच लाईन बना हुआ है जिसे मैंने शीर्षक के रूप में प्रयोग किया है..:) अभी कुछ दिन पहले नागराज के ऊपर सिनेमा बनाने के लिये एक अमेरिकन स्टूडियो ने राज कामिक्स के साथ करार भी किया है.. उम्मीद है अगले साल तक वो सिनेमा हमारे बीच भी होगी..

मैंने यह लेख बहुत पहले 29 मार्च सन 2008 को अपने ब्लौग छोटी सी दुनिया के लिये लिखा था जिसे आज मैं यहां भी पोस्ट कर रहा हूं और यही वह पोस्ट है जिसने मुझे यह ब्लौग बनाने की प्रेरणा दी थी.. ध्रुव कि अगली कामिक्स मैंने मारा ध्रुव को और हत्यारा कौन मैं अगले पोस्ट में लेकर आता हूं..
धन्यवाद..

Wednesday, January 14, 2009

"किरीगी का कहर" बचपन के सफर में

ध्रुव कि कौन सी कामिक्स आप पढना चाहते हैं नामक पोल का अंततः वोट देने का समय ख़त्म हुआ.. कुल जमा २८ वोट पड़े.. आप इस चित्र में पढ़ सकते हैं कि किस कामिक्स को सबसे ज्यादा वोट मिले.. अगर इन पांचों कामिक्स को नए और पुराने ढर्रों में बांटा जाये तो पुराने कामिक्स पूर्ण बहुमत से यह चुनाव जीत गए हैं.. हो भी क्यों ना? किस्सागोई में ध्रुव के पुराने कामिक्स किसी भी हालत में नए कामिक्स से बीस ही आते हैं.. सबसे ज्यादा 13 वोट किरीगी का कहर को मिला है.. जिसे आज मैं आपके सामने लेकर आ रहा हूँ..


मेरे घर में कहानी कि किताबें खरीदना मना तो नहीं था मगर कामिक्स पर सख्त पाबंदी थी.. हमारे लिये कहानी कि किताबों का मतलब चंपक, नंदन, नन्हे सम्राट और बालहंस हुआ करते थे.. जब कभी वह अपने किसी मित्र के पास जब वह ढ़ेर सारी कामिक्स देखता था तो मैं सोचता था कि जब मैं बड़ा हो जाऊंगा तो ढ़ेर सारी कामिक्स खरीद कर पढ़ूंगा.. ये कुछ-कुछ वैसा ही था जैसा छुटपन में जब किसी चीज को खरीदने से मना किया जाता है तो हम सोचने लगते हैं कि बड़े होकर वह खूब खरीदेंगे और मौज करेंगे.. मानो बड़े होने पर पैसे अपने-आप ही आ जाते हैं..

खैर, और किसी चीज से बचपना भले ही खत्म हो चुका हो मगर कामिक्स को लेकर यह बचपना अभी भी वैसा ही है.. जहां कहीं भी अपने पसंद की कोई कामिक्स दिखती है, बस टूट पड़ता हूं वहां..

किरिगी का कहर सर्वप्रथम मैंने अपने स्कूल में अपने एक मित्र के पास देखी थी और जब उससे पढ़ने को मांगा तो उसका कहना था कि पहले कोई और डाईजेस्ट कामिक्स या फिर पतली वाली दो कामिक्स लाकर दो फिर मैं यह पढ़ने के लिये दूंगा.. उस समय मेरे पास चाचा चौधरी कि एक कामिक्स और एक नटवरलाल कि कामिक्स थी.. मैंने उसे हामी तो भर दी मगर जिस दिन कामिक्स लाना तय हुआ था उस दिन मैं किसी कारण से नहीं ला सका, मगर वह लड़का अपनी कामिक्स लाना नहीं भूला था.. संयोग से उस दिन किसी बच्चे के पास से एक कामिक्स निकल आयी और फिर पूरे क्लास कि तलाशी शुरू हो गई.. इस तलाशी में उसकी किरिगी का कहर भी पकड़ा गया.. फिर क्या था, ये कामिक्स भी गई हाथ से.. मगर मैंने उसे धोखा नहीं दिया, और मुझे भले ही वो कामिक्स पढ़ने को नहीं मिली मगर मैंने उसे अपनी वो दोनों कामिक्स पढ़ने को दे दी.. :)

इस घटना के लगभग 4-5 साल के बाद जब मैं सपरिवार पटना शिफ्ट हो गया तब मेरे मकान मालिक के बेटे के पास यह कामिक्स थी और मुझे तब यह पढ़ने को मिला..


किरीगी का कहर एक ऐसी कामिक्स है जिसमें कुछ पौराणिक कथानायकों कि किस्सागोई भी मिलेगी और साथ ही साथ कुछ नये वैज्ञानिक तथ्य भी समायोजित हैं.. इस कामिक्स में ध्रुव के कई महानायक एक साथ दिखे हैं, जैसे किरीगी, जिंगालू और धनंजय.. साथ में राक्षसराज चंडकाल को पहली बार इसी कामिक्स में लाया गया था.. ऐक्सन से भरपूर यह एक ऐसी कामिक्स है जिसे मैं ध्रुव के कहानियों के पतन के लिये भी जिम्मेवार मानता हूं.. क्योंकि यह ध्रुव की पहली डाईजेस्ट कामिक्स थी जिसमे वैज्ञानिक तथ्यों से परे हटकर जादू-मंतर और टोने-टोटकों का सहारा लिया गया था.. वैसे इससे पहले ध्रुव कि वू-डू भी आ चुकी थी जिसमें जादू-टोना दिखाया गया था, मगर वह कहीं से भी अविश्वनीय नहीं लगा था..

अब आगे कि कहानी जानने के लिये आप खुद ही पढ़ लें किरिगी का कहर..

कामिक्स डाऊनलोड का लिंक

इस कामिक्स को डाऊनलोड करने के लिये आप फोटो पर भी क्लिक कर सकते हैं..


संजय गुप्ता जी के अनुरोध पर डाउनलोड लिंक हटाया जा रहा है..

Monday, January 5, 2009

आप ध्रुव कि कौन सी कामिक्स पढना चाहते हैं?

आज मैं लेकर आया हूँ आपके पास आपकी पसंद कि ध्रुव कि बेहतरीन कामिक्स पढ़ने का मौका लेकर.. आज आप ही मुझे बताएं कि आप इनमे से कौन सी ध्रुव कि कामिक्स पढ़ना चाहते हैं? इस पोस्ट के बगल में एक पॉल भी लगा हुआ है, वहां अपना कीमती वोट देना ना भूलें.. वैसे तो मैं इन पांचो कामिक्स को एक एक करके आपके पास लेकर आऊंगा, मगर जिसे सबसे ज्यादा वोट मिलेगा उसे सबसे पहले यहाँ डालूँगा.. :)

"मैंने मारा ध्रुव को" और "हत्यारा कौन"






चुम्बा का चक्रव्यूह



किरीगी का कहर



सजा-ए-मौत



मैं आपको कामिक्स भी पढ़ने को दूंगा और उस कामिक्स से सम्बंधित अपने बचपन कि कहानिया भी सुनाऊंगा.. अब सब कुछ आपके हाथ में है कि आप कौन सी कामिक्स और कौन सी कहानी सुनना चाहते हैं.. :)

Saturday, January 3, 2009

डोगा का एनकाऊंटर

आज मैं लेकर आया हूं डोगा का एनकाऊंटर नामक कामिक्स.. यह कामिक्स 2007 के मध्य में आया था और मैंने इसे हावड़ा जंक्शन से खरीदा था.. मेरी नजर में यह डोगा के सबसे अच्छे कामिक्स में से एक है.. आज नेट पर घूमते हुये इसकी ई-कामिक्स मुझे मिल गई तो मैंने सोचा कि क्यों ना इसे आपलोगों से बांट लिया जाये.. आज इस कामिक्स के बारे में मैं ज्यादा नहीं बताऊंगा मगर एक बात जरूर कहूंगा कि डोगा कि कामिक्स में हमेशा से ही हाल-फिलहाल में घटी घटनाओं से संबंधित कहानी ही आपको मिलेगी.. ठीक जैसे इसमें एनकाऊंटर के मुद्दे को लेकर कहानी का ताना बाना बुना है तरूण कुमार वाही जी ने.. मुझे याद आता है कि डोगा कि एक कामिक्स खाकी और खद्दर में भी एनकाऊंटर को लेकर ही कहानी कि शुरूवात की गई थी.. और मुझे खुशी है कि सबसे पहले मैंने ही डोगा कि उस कामिक्स को नेट पर अपलोड किया था.. आज से लगभग 3-4 साल पहले.. जहां मैंने अपलोड किया था वह लिंक तो अब हट गया है मगर मेरे द्वारा अपलोड कामिक्स का लिंक मुझे कई दूसरे जगहों पर दिखी है.. :)

इसे RFN(राज कामिक्स फैन नेशन) नामक और्कुट कम्यूनिटी के सदस्यों ने नेट पर अपलोड किया था, जिसमें मैंने कुछ और छेड़छाड़ की और इसका साईज घटाया जिससे पाठकों को डाऊनलोड करने में कोई परेशानी ना हो, मगर क्वालिटी के साथ कोई समझौता नहीं किया है मैंने.. मैंने छेड़-छाड़ तो की मगर RFN Club के सदस्यों का नाम नहीं हटाया, जिससे मेरे नियमित पाठकों को भी उनके बारे में जानकारी मिले.. :)



इस कामिक्स को डाऊनलोड करने के लिये आप इस चित्र पर क्लिक करें या फिर यहां क्लिक करें..

इसे पढ़ने के लिये CDisplay नामक साफ्टवेयर की आवश्यकता होगी जिसे आप यहां से डाऊनलोड कर सकते हैं.. इस कामिक्स फारमेट के बारे में ज्यादा जानने के लिये आप इस पोस्ट को पढ़ें..

अब चलिये कुछ बातें करते हैं पिछले पोस्ट के बारे में.. संजय बेंगाणी जी हमेशा कि तरह आये और हमारा उत्साह बढ़ा गये.. इस बार चिट्ठाजगत के नाम भी एक कमेंट रहा.. और अंत में हमारे आलोक जी कह गये कि-
वाह.. ये विडियो राज कामिक्स कि साईट पर कुछ समय पहले देखा.. अब तक के भरतीय 3-डी एनिमेशन से इनका स्टार काफी अच्छा है.. ध्रुव के कैरेक्टर के बालों पर अभी काम कुछ बाकी लगा.. मैं खुद इस विषय पर लिखने कि सोच रहा था मगर आप तो गुरू निकले..
हमारा उनसे कहना है कि आलोक जी, आप तो लिख ही डालिये इस पर एक पोस्ट.. आपका लिखा पढ़ने में एक अलग ही आनंद है.. हर बात तथ्यपरक होती है आपकी.. :)


Note - All download links are removed

Sunday, September 28, 2008

रोमण हत्यारा - सुपर कमांडो ध्रुव


ये कहानी है कुछ ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों कि जो पद और पैसे के लालच में कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं और बन जाते हैं रोमण हत्यारा..

ये कामिक्स सुपर कमांडो ध्रुव के शुरूवाती दिनों के कामिक्स में से आती है.. शायद ध्रुव की दूसरी कामिक्स.. उन दिनों कामिक्स बाजार में इंद्रजाल कामिक्स, मनोज कामिक्स, डायमंड कामिक्स और तुलसी कामिक्स चला करते थे.. राज कामिक्स भी बाजार में अपनी पहचान नागराज के कामिक्स के द्वारा बना रहे थे.. ऐसे समय में राज कामिक्स ने ध्रुव नाम के एक नये कैरेक्टर को जन्म दिया और धीरे-धीरे पूरे बाजार पर छा गये.. अगर आज विशुद्ध भारतीय कामिक्स सुपर हीरोज की बात की जाये तो ध्रुव और नागराज ही सबसे पहले दिमाग में आते हैं.. मनीष गुप्ता जी और संजय गुप्ता जी को मैं तहेदिल से धन्यवाद देना चाहूंगा ऐसे चरित्रों का निर्माण करने के लिये.. आज भारतीय बाजार से मनोज कामिक्स, इंद्रजाल कामिक्स और तुलसी कामिक्स पूरी तरह से बंद हो चुके हैं(मेरी जानकारी मे, अगर मैं गलत हूं तो सही करें)..

मेरी नजर में शुरूवाती दिनों में आने वाली ध्रुव के कामिक्स कि बात ही कुछ और हुआ करती थी.. स्टोरी लाईन बिलकुल कसी हुई.. कहानी में तेजी और कुछ भी ऐसा नहीं जिसे आप यह कह सकें कि ये संभव नहीं है या फिर यह कि ये बस कहानियों या कामिक्स में ही हो सकते हैं.. आजकल उसके आने वाले कामिक्सो में वह बात नहीं रही.. मगर फिर भी मैं उम्मीद करता हूं कि वो स्वर्णिम दिन फिर से लौट कर आयेंगे..

आप फिलहाल यह कामिक्स पढें.. मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि ये आपको जबरदस्त लगेगी..

डाऊनलोड लिंक - XXXXXXXXXXXXX
इसे डाऊनलोड करने के लिये आप इस चित्र पर भी क्लिक कर सकते हैं..


संजय गुप्ता जी के अनुरोध पर डाउनलोड लिंक हटाया जा रहा है..

Saturday, August 30, 2008

बेसी डोगा-डोगा मत चिल्लाईये

हम आपके कामिक मित्र हैं आलोक भैया। हम तो बस आपके लिये एक तोहफा लेकर आयें हैं। डोगा की शुरूवाती तीनों कामिक्स का कवर, जिससे आप डोगा के उपर और भी बढिया पोस्ट लिख सकें, और जैसा चाहें वैसा पोस्ट कामिक्स के उपर ठेलते रहें। आप अपने पहले ही पोस्ट से डोगा-डोगा चिल्लाये हुये हैं। अब बेसी मत चिल्लाईये। प्रताप मुलीक जी की मौलिक तस्वीर के साथ। वैसे आपकी जानकारी के लिये हम आपको बताते जाते हैं की डोगा के बहुते बड़े पंखा हमउ रह चुके हैं.. :)


पहली कामिक्स - कर्फ़्यू


दूसरी कामिक्स - ये है डोगा


तीसरी कामिक्स - मैं हूं डोगा

Wednesday, August 27, 2008

अनुराग कश्यप बनायेंगे डोगा पर फ़िल्म

इससे पहले कि मैं असल ख़बर पर आऊं, चाहूँगा कि दो लाइनें अपने और अपने पहले प्यार के बारे मे भी बता दूँ..
बचपन से ही कॉमिक्स का भूत मेरे सर चढ़ कर बोलता है और पढ़ पाने की उम्र से पहले ही रंगबिरंगे चित्रों से साजो कॉमिक बुक्स से मुझे प्यार हो गयाइंद्रजाल कॉमिक्स का शौकीन तो रहा मगर पढने लायक उम्र होने से पहले ही उनका प्रकाशन बंद हो गया (इसका मतलब ये नहीं कि इंद्रजाल पढ़ी नहीं, मामा जी के पास करीब ५०० इंद्रजाल कॉमिक्स थे और समय के साथ हमने हर कहानी कम से कम - बार ज़रूर पढ़ी है)। होश सँभालते ही चाचा चौधरी से परिचय हुआ और हर रविवार पापा जी से एक अमर चित्रकथा की रिश्वत लिए बिना रविवार की सुबह का नाश्ता गले के नीचे नहीं उतरता था
मैं शायद क्लास ४थी का विद्यार्थी था जब मेरा परिचय राज कॉमिक्स से हुआये किरदार और इनकी कहानियाँ मेरे पसंदीदा चाचा चौधरी से कहीं ज़्यादा complicated थेशुरू शुरू में मुझे ये इतने पसंद नहीं आए मगर एक वक्त के बाद नागराज और सुपर कमांडो ध्रुव मेरे फेवरेट हो गए और इस तरह शुरू हुआ मेरा राज कॉमिक्स प्रेम का सफर

राज कॉमिक्स धीरे धीरे सफलता की और बढ़ रही थी और उनके प्रतिभाशाली लेखक और आर्टिस्ट्स की टीम नित नए सुपर-हीरोज़ गढ़ रही थीसाल जहाँ तक मुझे याद है १९९१ या ९२ रहा होगा जब राज कॉमिक्स ने हीरोज़ की नई तिकडी मैदान में एक साथ उतारी, ये हीरो थे डोगा, अश्वराज और गोजोतरुण कुमार वाही की कलम से निकले इन सभी महानायकों ने हम बच्चो की वाह-वाही लूटीगोजो ज़्यादा दिनों तक सफल नही रह सका हाँलाकि अश्वराज को आंशिक सफलता ज़रूर मिलीजो किरदार इन सबके साथ आया ज़रूर मगर बाद में लम्बी रेस का घोड़ा साबित हुआ वो था कुत्ते की शक्ल वाला ज़बरदस्त हीरो डोगा
डोगा की प्रथम कॉमिक कर्फ्यू, मुझे अच्छी तरह याद है सुपर कमांडो ध्रुव की कॉमिक विडियो विलेन के सेट में रिलीज़ हुयी थी और सीमित पॉकेट मनी होने की वजह से मैं कभी क्रमशः (आधी कहानियों) वाली कॉमिक्स नहीं खरीदता था (कौन जाने अगला भाग कब रिलीज़ हो और क्या पता उसको खरीदने के पैसे जेब में हो हो)। कर्फ्यू एक ऐसी ही कहानी का पहला भाग थी सो दुविधा में पड़ते हुए हमने अपने Tried & Tested Superhero ध्रुव की कॉमिक पर ही पैसे लगना उचित समझाऔर बाद में जब हमें पता चला डोगा की कहानी एक या दो नही बल्कि तीन भागो में पूरी की जायेगी तो मैं मन ही मन अपने इस निर्णय पर खुश भी बहुत हुआ
खैर जब गर्मी की छुट्टियों में डोगा की तीनो कॉमिक्स कर्फ्यू , ये है डोगा और मैं हूँ डोगा पढ़ी तो बस पढ़ते ही चला गयातरुण कुमार वाही और संजय गुप्ता की कहानियों पर मनु की चित्रकारी हर तरह से अब तक की आई सभी भारतीय कॉमिक्स पर भारी पड़ती नज़र आईइसके बाद तो हम डोगा के अंधभक्त हो गए, बीच में जब कुछ कहानियों में मनु की जगह विनोद जी से चित्रकारी करवाई गई (चोर सिपाही और अन्य कहानियों में) तो मुझे बिल्कुल पसंद नही आया मगर मनु की डोगा पर अबकी जो वापसी हुयी वह कम से कम साल २००० तक बेरोक टोक चली
डोगा की कहानियाँ हमेशा एक हकीक़त और dark touch लिए होती थी और मनु के शानदार चित्र उन्हें और भी बेजोड़ बना देते थेभारतीय कॉमिक्स में इस तरह का एंटी हीरो मिलना नामुमकिन ही होगामैं डोगा की कोई भी कहानी कितनी भी बार पढ़ सकता हूँ बशर्ते वे तरुण जी की कलम और मनु की ब्रश के संगम से निकली होकई कहानियाँ तो अच्छी अच्छी फिल्मों को मात दे सकती हैं, भले ही कुछ कहानियों की प्रेरणा कुछ विदेशी कॉमिक्स से आई हो पर तरुण जी उनको हिन्दुस्तानी रंग देने में माहिर थे
इन कहानियों में सलीम जावेद के रचे एंग्री यंगमैन की जो फिल्मी छाप थी वह शायद ही किसी और किरदार की किसी कहानी में देखने को मिलेगी
जब मैंने गोथम कॉमिक्स में काम शुरू किया तो भारतीय कॉमिक्स बनाम विदेशी कॉमिक्स के वाद विवाद में डोगा और मनु की चित्रकारी मेरे लिए तुरुप के इक्के का काम करते रहे। (बाद में गोथम कॉमिक्स का नाम वर्जिन कॉमिक्स हो गया और मनु ने बंगलोर कर वर्जिन के लिए काम शुरू कर दिया , ये एक अलग कहानी है किसी अन्य पोस्ट में चर्चा करेंगे ; यदि आपने चाहा तो) ।
जब भी किसी ने मुझसे पूछा की किस एक इंडियन हीरो पर तुम फ़िल्म देखना/बनाना पसंद करोगे तो मेरा जवाब हमेशा डोगा ही रहा (ध्रुव की जगह कब डोगा ने ले ली पता भी नहीं चला)।
कुछ दिन पहले मैं फ़िल्म The Dark Knight देखने के बाद अपने मित्र सौमिन से बात कर रहा था कि डोगा पर भी एक डार्क और ज़बरदस्त फ़िल्म बन सकती है शायद वो रात मुरादोंवाली रात थीअगली सुबह ही समाचार मिला अनुराग कश्यप ने डोगा पर फ़िल्म बनाने कि घोषणा कि हैविस्तृत समाचार के लिए क्लिक करें यहाँ

अनुराग स्वयं बड़े कॉमिक प्रेमी हैं, उनसे मैं मुंबई स्थित लैंडमार्क के कॉमिक्स/ग्राफिक नॉवेल सेक्शन में कई बार टकराया हूँ और कॉमिक्स पर छोटी मोटी चर्चाएं भी की हैंएक बात तो तय है कि अनुराग के हाथों में डोगा सुरक्षित है और उनकी फिल्मों (ब्लैक फ्राईडे और नो स्मोकिंग) के डार्क ट्रीटमेंट को देखें तो लगता है डोगा के डार्क कथानक के साथ भी अनुराग सही न्याय कर पाएंगेबस एक ही बात है जो मुझे हज़म नहीं हो पा रही वो है डोगा के रोल के लिए कुनाल कपूर का चयनमुझे व्यक्तिगत तौर पर लगता है शायद कुनाल इस रोल के साथ न्याय कर पाएंखैर पसंद अपनी अपनी
आप सभी साथियों से मैं जानना चाहूँगा कि इस पर आपकी क्या राय है? आपको क्या लगता है? क्या आप मुझसे सहमत हैं? यदि हाँ तो वो कौन सा भारतीय फ़िल्म कलाकार है जो डोगा/सूरज के किरदारों के साथ सही न्याय कर पायेगा? और डोगा कि कहानी के बाकी किरदारों के लिए आपके पसंदीदा कलाकार कौन होंगे?
साथ ही हम चर्चा कर सकते हैं कि और कौन से वो भारतीय हीरोज़ हैं, जिनपर आप फिल्म देखना पसंद करेंगे?
इंद्रजाल के बहादुर (जिसकी रचना आबिद सुरती जी ने की थी और चित्र गोविन्द ब्राह्मनिया जी के होते थे) पर भी एक फिल्म की घोषणा हुयी थी मगर बात घोषणा से आगे बढती अब तक नज़र नहीं आई है

(तमाम कोशिशों के बाद भी मैं इस पोस्ट पर कोई चित्र अपलोड नहीं कर पा रहा, यदि किसी सहृदय सदस्य के पास मनु की बनाई डोगा की कुछ अच्छी तसवीरें हो, कृपया अपलोड करेंगे। धन्यवाद।)
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लिजिये, मैंने डोगा की एक तस्वीर अपलोड कर दी है.. मेरे पास डोगा कि शुरू की तीनों कामिक्स है.. मैं कोशिश करूंगा की जल्द से जल्द उसे इंटरनेट पर अपलोड करके यहां पोस्ट कर सकूं.. :)
धन्यवाद आलोक जी..