ध्रुव कि कौन सी कामिक्स आप पढना चाहते हैं नामक पोल का अंततः वोट देने का समय ख़त्म हुआ.. कुल जमा २८ वोट पड़े.. आप इस चित्र में पढ़ सकते हैं कि किस कामिक्स को सबसे ज्यादा वोट मिले.. अगर इन पांचों कामिक्स को नए और पुराने ढर्रों में बांटा जाये तो पुराने कामिक्स पूर्ण बहुमत से यह चुनाव जीत गए हैं.. हो भी क्यों ना? किस्सागोई में ध्रुव के पुराने कामिक्स किसी भी हालत में नए कामिक्स से बीस ही आते हैं.. सबसे ज्यादा 13 वोट किरीगी का कहर को मिला है.. जिसे आज मैं आपके सामने लेकर आ रहा हूँ..
मेरे घर में कहानी कि किताबें खरीदना मना तो नहीं था मगर कामिक्स पर सख्त पाबंदी थी.. हमारे लिये कहानी कि किताबों का मतलब चंपक, नंदन, नन्हे सम्राट और बालहंस हुआ करते थे.. जब कभी वह अपने किसी मित्र के पास जब वह ढ़ेर सारी कामिक्स देखता था तो मैं सोचता था कि जब मैं बड़ा हो जाऊंगा तो ढ़ेर सारी कामिक्स खरीद कर पढ़ूंगा.. ये कुछ-कुछ वैसा ही था जैसा छुटपन में जब किसी चीज को खरीदने से मना किया जाता है तो हम सोचने लगते हैं कि बड़े होकर वह खूब खरीदेंगे और मौज करेंगे.. मानो बड़े होने पर पैसे अपने-आप ही आ जाते हैं..
खैर, और किसी चीज से बचपना भले ही खत्म हो चुका हो मगर कामिक्स को लेकर यह बचपना अभी भी वैसा ही है.. जहां कहीं भी अपने पसंद की कोई कामिक्स दिखती है, बस टूट पड़ता हूं वहां..
किरिगी का कहर सर्वप्रथम मैंने अपने स्कूल में अपने एक मित्र के पास देखी थी और जब उससे पढ़ने को मांगा तो उसका कहना था कि पहले कोई और डाईजेस्ट कामिक्स या फिर पतली वाली दो कामिक्स लाकर दो फिर मैं यह पढ़ने के लिये दूंगा.. उस समय मेरे पास चाचा चौधरी कि एक कामिक्स और एक नटवरलाल कि कामिक्स थी.. मैंने उसे हामी तो भर दी मगर जिस दिन कामिक्स लाना तय हुआ था उस दिन मैं किसी कारण से नहीं ला सका, मगर वह लड़का अपनी कामिक्स लाना नहीं भूला था.. संयोग से उस दिन किसी बच्चे के पास से एक कामिक्स निकल आयी और फिर पूरे क्लास कि तलाशी शुरू हो गई.. इस तलाशी में उसकी किरिगी का कहर भी पकड़ा गया.. फिर क्या था, ये कामिक्स भी गई हाथ से.. मगर मैंने उसे धोखा नहीं दिया, और मुझे भले ही वो कामिक्स पढ़ने को नहीं मिली मगर मैंने उसे अपनी वो दोनों कामिक्स पढ़ने को दे दी.. :)
इस घटना के लगभग 4-5 साल के बाद जब मैं सपरिवार पटना शिफ्ट हो गया तब मेरे मकान मालिक के बेटे के पास यह कामिक्स थी और मुझे तब यह पढ़ने को मिला..
किरीगी का कहर एक ऐसी कामिक्स है जिसमें कुछ पौराणिक कथानायकों कि किस्सागोई भी मिलेगी और साथ ही साथ कुछ नये वैज्ञानिक तथ्य भी समायोजित हैं.. इस कामिक्स में ध्रुव के कई महानायक एक साथ दिखे हैं, जैसे किरीगी, जिंगालू और धनंजय.. साथ में राक्षसराज चंडकाल को पहली बार इसी कामिक्स में लाया गया था.. ऐक्सन से भरपूर यह एक ऐसी कामिक्स है जिसे मैं ध्रुव के कहानियों के पतन के लिये भी जिम्मेवार मानता हूं.. क्योंकि यह ध्रुव की पहली डाईजेस्ट कामिक्स थी जिसमे वैज्ञानिक तथ्यों से परे हटकर जादू-मंतर और टोने-टोटकों का सहारा लिया गया था.. वैसे इससे पहले ध्रुव कि वू-डू भी आ चुकी थी जिसमें जादू-टोना दिखाया गया था, मगर वह कहीं से भी अविश्वनीय नहीं लगा था..
अब आगे कि कहानी जानने के लिये आप खुद ही पढ़ लें किरिगी का कहर..
कामिक्स डाऊनलोड का लिंक
इस कामिक्स को डाऊनलोड करने के लिये आप फोटो पर भी क्लिक कर सकते हैं..
संजय गुप्ता जी के अनुरोध पर डाउनलोड लिंक हटाया जा रहा है..
आपने अपने बचपन के खट्टे मीठे अनभवो को रोचक ढंग से पेश किया है,जिसके लिये आप बधाई के पात्र है.
ReplyDeleteईन्द्रजाल,अमर चित्र एवं मनोज चित्र कथा के पश्चात् राज कॉमिक्स में ही मेरी रूचि रही है,एक समय था जब राज कॉमिक्स का पूरा सेट मैं पहले दिन ही ले आता था और दो घंटे में पढ़ कर वापस भी कर देता था.पढने की स्पीड और कॉमिक्स में रूचि इतनी थी के बिना किसी पुस्तक के समय काटना दुश्वार लगता था और 7-8 कॉमिक्स से तो अपनी दाढ़ भी गीली नहीं होती थी इसलिए बाकी का समय मोटे-मोटे नॉवेल्स से कटता था.
सुपर कमांडो ध्रुव,नागराज और डोगा की कहानियाँ अपने शुरूआती दिनों में बहुत रोचक लगती थी पर बाद में जब ये तीनो चरित्र ख़ुद को दोहराते हुए लगे तभी से इनमे रूचि कम होती गई,और अब तो ये अलामत है की बस कभी कभार ही कोई राज कॉमिक्स पढ़ लेता हूँ,हो सकता है के नए पाठक मेरी बातो से सहमत न हों.
कॉमिक्स से ज़्यादा उनसे जुड़ी हुई बचपन की खट्टी-मीठी यादें मुझे आकर्षित करती हैं,अपने पाठको से साथ बाँट कर जिसके द्वारा आपने इस प्रविष्टि को उत्तमता प्रदान की है.
सुंदर प्रस्तुती प्रशांत जी....कामिक्स और बचपन
ReplyDeleteहमें भी याद हो आया कि कैसे बचपन में बदल-बदल कर कामिक्सें पढ़ा करते थे.
आप पटना के हैं क्या?
@ कामिक वर्ल्ड - पोस्ट को पसंद करने के लिये धन्यवाद.. वैसे मैं आपसे इस बात पर सहमत हूं कि राज कामिक्स कि शुरूवाती कामिक्स अच्छी थी मगर बाद में एक ही चीजें खुद को दुहराती चली गई और रोमांच खत्म सा होता गया.. मैं जब कामिक्स कि समझ रखने लायक बड़ा हुआ तब तक इंद्रजाल कामिक्स भारत में अपनी आखिरी सांसें गिन रहा था, जिसके कारण यह बाजार में बहुत ज्यादा उपलब्ध नहीं था.. यह मेरा सौभाग्य कहिये जो मैं लगभग सारे इंद्रजाल कामिक्स से प्रकाशित वेताल कथा पढ़ चुका हूं और इसका श्रेय जाता है मेरी मम्मी के मौसेरे भाईयों को.. मैं अक्सर पूरा दिन अपनी मौसी नानी के घर गुजारता था सिर्फ कामिक्स पढ़ने के लिये..
ReplyDeleteइस कामिक्स चिट्ठे को शुरू करने से पहले मैंने लगभग सभी भारतीय कामिक ब्लौग कि छनबीन की थी और पाया था कि अधिकतर इंद्रजाल कामिक्स से संबंधित ब्लौग ही हैं.. इसी सोच ने मुझे एक ऐसा चिट्ठा बनाने को प्रेरित किया जिसमें राज कामिक्स से संबंधित चीजें मिले.. इसी कारण से मेरे अधिकतर पोस्ट राज कामिक्स पर होते हैं..
@ गौतम जी - अजी हम क्या बतायें अपने बारे में कि हम कहां के हैं? खानाबदोश जिंदगी जिये जा रहे हैं.. छोटे थे तब पापाजी का ट्रांस्फरेबल नौकरी होने के कारण पूरे बिहार(अब बिहार-झारखंढ) दर्शन हो चुके हैं.. पहले सीतामढ़ी, फिर चक्रधरपुर, फिर पटना, गोपालगंज, जमशेदपुर, बोकारो, सीवान, बेतिया, छपरा, मधुबनी, दरभंगा, हाजीपुर, मुजफ़्फ़रपुर, नालंदा, राजगीर, रांची इत्यादी से संपूर्ण परिचय है..
और बड़े होने के बाद दिल्ली, कोलकाता, संपूर्ण उड़िसा, तमिलनाडु, कर्नाटक, अहमदाबाद, माऊंट आबू, जयपुर, पटियाला, मुंबई, भोपाल इत्यादी जगहों के चक्कर लगा चुका हूं..
लेकीन अगर पूछा जाये कि मैं कहां का हूं तो मूलतं मैं दरभंगा का रहने वाला हूं, मगर पिताजी पटना में पूरी तरह से शिफ्ट हो चुके हैं.. मैं फिलहाल चेन्नई में अपनी रोजी-रोटी के जुगाड़ में भिड़ा हुआ हूं..:)
प्रशांत जी को नमस्कार है...दर असल मैं आपके एकदम पास सहरसा से हूं ....और इस विस्तृत परिचय के लिये धन्यवाद
ReplyDeleteआपने ब्लौग को राज कामिक्स को समर्पित कर रक्खा है...मैं इस पर स्पाइडी और सुपर-मैन के बारे में लिखने का सिलसिला जारी रख सकता हूं कि नहीं
HI FRIENDS
ReplyDeleteI AM ALSO LIKE COMICS SO MUCH
I HAVE A SIGHT IN MEDIAFIRE FOR UPLOADING COMICS
MAINE MEDIAFIRE AUR ESNIPS MAI BHI COMICS UPLOAD KI HAI
BUT YAAR THERE IS SORTAGE OF ANTHONY AND GAMRAJ COMICS IN MY CITY
SO MAI UNKI KUCK HI COMICS PADH PAYA AUR UPLOAD KI
BUT MAI UNKI AUR BHI COMICS PADHANA CHAHTA HOON AS E-COMICS ALSO
YAAR KOI SHAKTIMAAN KI COMICS KE LINK DE SAKTA HAI
PLEASE .............