"मैंने मारा ध्रुव को" और "हत्यारा कौन"
चुम्बा का चक्रव्यूह
किरीगी का कहर
सजा-ए-मौत
मैं आपको कामिक्स भी पढ़ने को दूंगा और उस कामिक्स से सम्बंधित अपने बचपन कि कहानिया भी सुनाऊंगा.. अब सब कुछ आपके हाथ में है कि आप कौन सी कामिक्स और कौन सी कहानी सुनना चाहते हैं.. :)
hi u r doing a very good job.
ReplyDeletebut i would like to suggest please upload more old rare comics . spc. indrajaal.
सच्ची? झूठ तो नही बोल रहे न आप?
ReplyDeleteवैसे तो मै ध्रुव की सारी कामिक्स पढना चाहता हूँ, पर अभी ज्यादा लालच न कर के "मैंने मारा ध्रुव को" और "हत्यारा कौन" पर अपना ठप्पा लगा दिया है.
अब बेईमंटि मत करना और जल्दी से कामिक्स पढा देना. :-)
Kirigi Ka Keher Meri Sabse Priya Dhruv Ki Comics Hai...Isey Maine Pata Nahin Kitni Bar Padha Hai..Par Humesha Nayi Si Lagti Hai..Iska Multistarrer Hona Aur Rahasya Romanch Se BHarpoor Hona To Ek Kaaran Hai Hi Saath Mein Mythology ka legendary Tadka bhi Shaandaar Tha...
ReplyDeleteKirigi ka keher maine bachpan mein padhee thi...shayad 8-9 saal pehle...uske baad nahi padhe...logo ke beech iske prati itna crze dekhke isko fir se padhne ka bahut mann hai... :)
ReplyDeletemaine maara dhuv ko mere paas hai,aur isko bhi lagbhag 1000 baar padh chuke honge...ye comics to yaad ho gayee hai,par hatyaara kaun padhe huye bahut waqt ho gayaa....
chumba ka chakrvyuh humko utna khaas nahi lagaa tha...sazaa e maut mast hai,vaise ye bhi ghar pe padhee huyee hai :)
kiri ka kahar aur hatyaara kaun ka sabse zyaada intezaar hai :)
यूं तो ये तमाम कामिक्स मेरे संग्रह में अब भी सजे हुये हैं...लेकिन आपकी प्रस्तुती का इंतजार है
ReplyDeleteप्रशान्त जी मैं इस चिट्ठे को नियमित रूप से पढ़ता हूं और कॉमिक डाउनलोड करता हूं। अलग बात है कि समय आभाव के कारण टिप्पणी नहीं कर पाता हूं।
ReplyDeleteकॉमिक्स cbr मानक में होती हैं। मैंने केवल आपके चिट्ठे की कॉमिक्स पढ़ने के लिये मैंने लिनेक्स में चलने वाला खास प्रोग्राम ज़ॉमिक jomic स्थापित किया है। यह लिनेक्स में इस मानक को पढ़ने में मदद देता है।
मैं टिप्पणियां कम कर पाता हूं पर कुछ चिट्ठियों पर अवश्य टिप्पणी करता हूं। मैंने आलोक जी के अंग्रेजी चिट्ठे पर एक हिन्दी में चिट्ठी देखी थी। ऐसे चिट्ठियों में, मैं हमेशा टिप्पणी कर उन्हें हिन्दी में लिखने के लिये प्रेरित करता हूं। इनकी हिन्दी की चिट्ठी पर भी मैंने यही किया था। उसके बाद आलोक जी ने मुझे ई-मेल भेज कर 'यायावर की फिल्मी बातें' चिट्ठे का पता बताया था और कहा कि वे अब इस पर नियमित रूप से लिखेंगे। मैं उनका उत्साह बढ़ाने के लिये वहां गया था। जब इस चिट्ठे पर पहुंचा तब उस समय इस पर यह चिट्ठी थी। इसलिये वह खास तरह की वहां पर टिप्पणी है।
शाला
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