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Monday, June 18, 2012

ट्रेंडी बाबा अपडेट्स






नमस्ते!
ट्रेंडी बाबा कौन है और इनकी कहानी क्या है ये कभी आराम से बताऊंगा आज तो कुछ अपडेट्स देने आया हूँ.... 84 Tears को मिले ज़बरदस्त रेस्पोंस के बाद मैंने कुछ और इंडीपेनडेंट कॉमिक्स और कहानियाँ प्रकाशित करने की ठानी. हालाकि, मुझे भी अंदाज़ा है की अगर मैंने 84 Tears (ई-बुक) को मुफ्त न रखा होता यह तो काफी कम लोगो तक पहुँचती (पेपरबेक का तो उन चेनल्स के हिसाब से मूल्य है जो ज्यादा नहीं बिकी..ही ही..). ये बात इसलिए कह रहा हूँ क्योकि के 84 Tears साथ मैंने "देसी-पन!" (Desi-Pun!) नाम का अपनी  इंग्लिश कहानियों का संग्रह भी प्रकाशित किया था जिसको 84 Tears से कम पाठक मिले. पर मै कम से कम अभी तो पैसो के लिए नहीं लिख रहा. 

कभी-कभी सवाल आता है की आप किसी बड़े प्रकाशन से क्यों नहीं जुड़ते. मै उनसे जुड़ा हूँ और गाहे-बगाहे कोई आईडिया या छोटी स्क्रिप्ट दे देता हूँ. पर उनके कुछ नियम है और उनके दिए कामो की डेडलाइनस होती है जो मै अपने जीवन के दूसरे कामो की वजह से फोलो नहीं कर सकता. साथ ही अभी तक जो काम मै अलग से कर रहा हूँ वो पूरी तरह कामर्शियल श्रेणी मे नहीं आते...उन्हें प्रकाशक एक्सपेरिमेंटल कहते है और सही भी है इसपर दांव लगाना एक जुआ ही कहा जायेगा. 



भारतीय परिदृश्य की कुछ सीमायें है जो मैंने समझी है और आगे अपने लेखन मे इन सीमाओं को ध्यान मे रखूँगा. हाँ, कुछ 84 Tears जैसे प्रोजेक्ट्स रहेंगे जिनमे मै चाहूँगा की वो ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुँचे और भाग्य से मै अभी ऐसे 2 प्रोजेक्ट्स "माँ का मोनोलोग" और "लोंग लिव इंकिलाब" (कॉमिक) पर काम कर रहा हूँ....और भी कुछ कांसेप्टस है मन मे, आगे कोशिश करूँगा की कुछ कॉमिक प्रकाशनों से परमानेंट जुड़ सकूँ. 

मेरी कॉमिक्स, ई-बुक्स और प्रकाशित लेख, कहानियों, कविताओं के लिए मैंने फेसबुक पर  Mohitness {मोहितपन}
नाम से अपना पेज बनाया है. 


Sunday, November 27, 2011

पौराणिक वर्गीकरण


(Virgin Comics/Liquid Comics: 2006-2007)

भारतीय कॉमिक्स परिदृश्य मे उभरे एक नए विषय पर लिख रहा हूँ. चीज़ों, बातों, जगहों, व्यक्तियों, आदि का वर्गीकरण करना एक बड़ी समस्या है. मैंने गिनती करना छोड़ दिया है जब मैंने किसी व्यक्ति को असल जीवन मे या इंटरनेट पर गलत वर्गीकरण करने पर समझाया हो. यह एक छदम सामाजिक बुराई है जिसपर कम ही का ध्यान जाता है, विडंबना तो यह है की वर्गीकरण हर जगह है.

खैर, मै यह सब इसलिए बोल रहा हूँ की वर्गीकरण हमे कॉमिक्स मे देखने को मिलता है. इस बार मै बाहरी दुनिया (और बाहर का अनुसरण करते कई भारतियों) की भारत के बारे मे धारणा पर आपका ध्यान लाना चाहूँगा. हाल के वर्षो मे भारतीय कलाकारों की माँग दुनिया भर के कॉमिक्स प्रकाशनों मे बढ़ी है. कारण वही पुराना है की यहाँ के फनकार बाहरी कलाकारों की तुलना मे कम दाम पर उसी गुणवक्ता का काम देते है. बेंगलुरु, मुंबई, दिल्ली, आदि बड़े शेहरो से आउटसोर्स होकर वो कला दुनिया भर मे सराही जाती है. अब विश्व के प्रमुख प्रकाशन भारत मे कई जगह उपलब्ध है, जहाँ नहीं है वहां अपडेट और ज्ञान देता इंटरनेट है. साथ ही भारत मे बच्चो और युवा वर्ग के लिए कुछ नये भारतीय कॉमिक प्रकाशक भी आये है जिनकी कॉमिक्स मुख्यतः इंग्लिश मे होती है.

तो मुद्दे की बात ये है की मैंने ऐसे कई भारतीय कलाकारों की कॉमिक्स और नये भारतीय प्रकाशकों (मै नाम नहीं ले रहा हूँ) की कॉमिक्स पढ़ी. उनमे से अधिकतर मे मैंने एक बात देखी की उनमे वो कॉमिक सीरिज़ पौराणिक कथाओं, ग्रंथों, देव गाथाओं, पर आधारित या उनसे मिलते-जुलते परिवेश की काल्पनिक कहानियाँ थी. इतनी सारी कॉमिक्स मे यही बेकड्रॉप, थीम पढ़ कर मन मे सवाल उठा क्या बस यही है भारत? तरह-तरह के लोगो, जगहों, धर्मो, भाषाओँ, वन्य जीवन, विरासतों, किवदंतियों, प्रदेशों, संस्कृतियों और उनके विशाल इतिहास से मिलकर बना भारत? मन ने तुरंत ही जवाब भी दिया, "नहीं!"

भारत मे बहुत कुछ और भी है या था, जो दुनिया भर को और उसकी युवा पीढ़ी को काल्पनिक परिवेश मे लपेट कर दिखाया जा सकता है. जैसे पूर्वोतर भारत के राज्यों की अनगिनत किवदंतियां को बाहरी दुनिया तो क्या उन प्रदेशो के अलावा दूसरे भारतीय राज्यों तक मे लगभग अनसुनी है या जनजातियों की कुछ अचरच मे डाल देने वाली प्रथाएं और उनके पीछे के कारण. पिछले दशको के इतिहास की घटनाओ (जैसे गोधरा काण्ड, मुंबई बम विस्फोट, 1984 मे घटे सिख विरोधी दंगे और भोपाल गैस काण्ड, आदि) को बेस बनाकर उनपर कुछ काल्पनिक कहानियाँ जो न सिर्फ लोगो संदेश दे बल्कि नयी पीढ़ियों को बताये की भारत मे ऐसा भी हुआ था. पर दुर्भाग्यवश ऐसे विषयों पर प्रकाशकों का ध्यान न के बराबर ही जाता है.

अगर कोई कहे की ऐसा संभव नहीं है या अगर ऐसा किया जायेगा तो पाठको को आनंद नहीं आएगा. तो मै यही कहूँगा की कुशल लेखनी मे सब संभव है. मै भी अपने सीमित संसाधनों से ऐसा ही प्रयास कर रहा हूँ अगर सफल हुआ तो आप सबके साथ सबसे पहले बाँटूगा. वैसे आप इस वर्गीकरण के बारे मे क्या सोचते है?

Wednesday, June 16, 2010

Social Comics यानी सामाजिक चित्रकथायें





किसी भी सफल और बड़े व्यवसाय मे सबसे बड़ा हाथ उस जनता का होता है जिसको वो व्यवसाय किसी भी तरह का फायदा देता है और बदले मे लोग उस उद्योग को सफल बनाते है. वैसे तो अब अधिकतर कॉमिक्स प्रकाशन बंद हो चुके है पर डायमंड कॉमिक्स, राज कॉमिक्स और अभी हाल ही मे दोबारा शुरू हुई अमर चित्र कथा भी ऐसे सफल और प्रगतिशील प्रकाशन है. वैसे तो ये कॉमिक प्रकाशन अपना काम बखूबी निभा रही है पर फिर भी समाज के प्रति उसकी कुछ जिम्मेदारियां और ऋण बनते है. मै चाहता हूँ की राज कॉमिक्स, आदि को अपने ये ऋण "Social Comics" या "सामाजिक चित्रकथा" नामक सीरीज़ प्रकाशित करके उतारना चाहिए. अगर कुछ कॉमिक्स का ये प्रयास सफल होता है तो इसे आगे भी जारी रखा जा सकता है. हालाकि, "World Comics India" नामक संस्था सामाजिक विषयों पर कॉमिक्स प्रकाशित करती है पर उसका स्तर और पहुँच अभी सीमित है.


वैसे राज कॉमिक्स सामाजिक विषयो को आधार बना कर अपने किरदारों पर कॉमिक्स छापती रही है. इन किरदारों मे प्रमुख है डोगा, गमराज, तिरंगा, शक्ति, आदि. पर किसी किरदार के साथ ऐसे सामाजिक विषयो का प्रकाशन ठीक नहीं क्योकि उस किरदार की कहानी ही उस सामाजिक विषय और उस से जुडी बातों पर हावी हो जाती है. जिस वजह से ऐसी बातों पर पाठको का ध्यान नहीं जाता और लेखको, कलाकारों के प्रयास व्यर्थ हो जाते है.

इसलिए मुझे लगता है की "अन्य सीरीज़" की तरह ऐसे विषयों को लेकर अलग से एक सीरीज़ बननी चाहिए जिसमे हर कॉमिक मे किसी नए मुद्दे को उठाया जाये. जहाँ तक ऐसे विषयो की बात है तो उनकी कमी नहीं है... सामाजिक भेद-भाव, ग्रामीण कुरीतियाँ, दहेज़ उत्पीडन, घरेलु हिंसा, गरीबी, भुखमरी, यहाँ तक की प्रमुख रूप से शहरो मे होने वाली Ragging, Eve Teasing जैसी समस्याओ को भी शामिल किया जा सकता है. सिर्फ इन समस्याओं को दिखाना ही लक्ष्य नहीं होना चाहिए बल्कि इनके हो सकने वाले प्रमुख संभावित समाधान और पाठको को सीख भी मिलनी चाहिए. इन कॉमिक्स का सबसे बड़ा फायदा ये होगा की आम लोगो का कॉमिक्स के प्रति सुना सुनाया नजरिया बदलेगा की कॉमिक्स केवल बच्चो के लिए होती है.

राज कॉमिक्स की वेबसाइट पर मैंने 'eve teasing' पर "बड़ी देर हो गयी!" नामक परिकल्पना भी पोस्ट की है. जिसका वेबलिंक ये है. -

http://www.rajcomics.com/index.php?option=com_content&view=article&catid=17%3Astory-plots&id=1915%3ABadi-Dair-ho-Gayi&Itemid=246&lang=en

आप लोग Social Comics/सामाजिक चित्रकथा के बारे मे क्या सोचते है?