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Saturday, March 28, 2020

कॉमिक्स की सुगंध बिखेरते इंटरनेट के कुछ पन्ने

रुद्र राजपूत (नागराज कॉस्प्ले)

इस समय कई पुराने कॉमिक्स प्रशंसक अपना शौक छोड़ जीवन में व्यस्त हो चुके हैं। ऐसे में अगर आपके पास समय कम है और कभी-कभार कॉमिक्स जगत की हलचल के बारे में जानना चाहते हैं या यूं ही कुछ देर के लिए उस दौर की बेफ़िक्र साँसे लेना चाहते हैं, तो यहां कुछ पेज, वेबसाइट के लिंक दे रहा हूं। इंटरनेट के इन छोटे से कोनों पर आपको नई जानकारी और पुरानी यादें दोनों मिलेंगी।

कॉमिक्स बाइट - इस साइट पर नई-पुरानी कॉमिक्स पर कई लेख हैं।

इंडी कॉमिक्स फेस्ट, स्थानीय और सीमित स्तर पर काम कर रहे कॉमिक्स कलाकारों, प्रकाशकों को एक जगह पर लाने और ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचाने का काम कर रहा है।

स्ट्रिप-टीज़ मैगज़ीन - नाम पर न जाएं, यह साइट भारत में अंग्रेजी, इंडिपेंडेंट कॉमिक्स रचनाकारों, कॉमिक स्ट्रिप, वेब कॉमिक जैसे विषयों को कवर करती है।

राज कॉमिक्स का ऑफिशियल फेसबुक ग्रुप जहां फैन्स और कलाकार अपना काम, अपडेट और अन्य जानकारी साझा करते हैं।
  
इंडियन कॉमिक्स फैंडम - इस ब्लॉग पर मैं भारतीय कॉमिक्स और भारतीय कॉमिक्स रचनाकारों, प्रशंसकों से जुड़ी ख़बरें, लेख पोस्ट करता हूं। इससे जुड़ी एक मैगज़ीन और सालाना अवार्ड भी आयोजित किए जाते है।

इसी तरह का एक ब्लॉग और फेसबुक ग्रुप यह भी है - ICUFC

कल्चर पॉपकॉर्न - यहां देश-विदेश के सिनेमा, कॉमिक्स और टीवी सीरीज पर लेख मिलेंगे।

कुछ सालों से फैन मेड ऑनलाइन कॉमिक्स भी चल रही हैं। यहां फैन फिक्शन, फैन आर्ट के साथ-साथ प्रशंसकों द्वारा बनाई गईं कॉमिक्स उपलब्ध हैं।

साथ ही, यूट्यूब पर भारतीय कॉमिक्स पर फैन एनिमेशन, मोशन कॉमिक्स बनाने वाले कुछ कलाकार काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। अगर आपके पास ऐसे ही लिंक या जानकारी हो तो कमेंट में साझा करें।
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#ज़हन

Tuesday, January 23, 2018

विजेताओं के विचार (इंडियन कॉमिक्स फैंडम अवार्ड्स 2017)

भारतीय कॉमिक्स जगत के कलाकारों और प्रशंसकों को प्रोत्साहित करने के लिए वर्ष 2012 से फ्रीलांस टैलेंट्स द्वारा इंडियन कॉमिक्स फैंडम अवार्ड्स का आयोजन किया जाता है। हाल ही में घोषित हुए 2017 संस्करण के कुछ विजेताओं के अनुभव यहाँ साझा कर रहा हूँ। नयी पीढ़ी का जोश देखकर दिलासा मिला कि आगे कॉमिक्स की साँसें चलती रहेंगी।


*) - नितिन स्वरुप (स्वर्ण, सर्वश्रेष्ठ फैन वर्क 2016 और 2017) - इस वर्ष परमाणु पर एनिमेटिड वीडियो ट्रेलर के लिए नितिन को यह सम्मान प्राप्त हुआ। अपने पेशे के साथ संगीत के शौक को ज़िन्दा रखने वाले नितिन बताते हैं कि 3-4 वर्ष पहले तक उन्हें एनिमेशन की कुछ ख़ास जानकारी नहीं थी। एक दिन इन्हें  अपने गाने पर एनीमेटिड वीडियो बनाने का विचार आया। यूट्यूब से सीख कर और अपने अनेकों प्रयोग करते हुए आज काफी दूर आ गये हैं। किसी पढाई, ट्रेनिंग के बिना केवल कला, कहानी के जुनून के सहारे अपनी रचनात्मकता को दुनिया के सामने ला रहे हैं। बचपन और किशोरावस्था में नितिन को कॉमिक्स का बड़ा शौक था पर इंजीनियरिंग की पढाई में कॉमिक्स से नाता टूट गया, ये कॉमिक प्रेम पिछले कुछ समय से वापस जग गया है। पिछले वर्ष इन्होने वीएफएक्स-वेब सीरीज में शुरुआत की और अबतक इनके वीडिओज़ या वे वीडिओज़ जिनमे इनका काम है कुल डेढ़ करोड़ व्यूज़ से अधिक प्राप्त कर चुके हैं। जल्द ही उनके कुछ नये प्रोजेक्ट्स की घोषणा की जायेगी। 

*) - मनीष मिश्रा (रजत, रिव्यूअर-ब्लॉगर श्रेणी 2017) - बहुराष्ट्रीय कंपनी में कार्यरत मनीष मिश्रा खुद को कॉमिक्स का कीड़ा बताते हैं। उनका ध्यान अपना कलेक्शन बनाने के बजाय अधिक से अधिक कॉमिक्स पढ़ने पर और कला के इस रूप का आनंद लेने पर होता है। कॉमिक्स ऑर पैशन कम्युनिटी से जुड़ने के बाद अपने स्तर पर कहानियाँ, समीक्षाएँ लिखनी शुरू कर दी। कॉमिक पत्रिका "अनिक प्लैनेट" में उनके रिव्यूज़ काफी पसंद किये जाते हैं। मनीष ने मन्नू नाम का एक किरदार रचा है और जल्द ही उसपर शार्ट कॉमिक स्ट्रिप शुरू करने का विचार है। 

*) - आदित्य किशोर (स्वर्ण, फैन आर्ट 2017) - पटना निवासी आदित्य किशोर 11वी कक्षा के छात्र हैं। बचपन से ड्राइंग कर रहे आदित्य का कक्षा 10 में कला के प्रति रुझान काफी बढ़ गया। वो मोटिवेशनल स्पीकर संदीप माहेश्वरी को अपना आदर्श मानते हैं। छोटी उम्र से इन्द्रजाल, डायमंड कॉमिक्स, राज कॉमिक्स और मनोज कॉमिक्स पढ़ना शुरू किया और साथ ही किरदारों के आकर्षक पोज़ के आधार पर अभ्यास करना शुरू किया। वो ट्रेडिशनल और डिजिटल दोनों माध्यम में कला करते हैं। आदित्य एक दिन किसी बड़ी गेम कंपनी या कॉमिक प्रकाशन के लिए काम करना चाहते हैं। 

*) - कृष्ण कुमार (रजत, फैन फिक्शन लेखक 2017) - कृष्ण कुमार स्वयं को लेखक से अधिक एक जिज्ञासु भौतिक विज्ञानी मानते हैं। वर्तमान में वो सापेक्षता के सिद्धांत का अध्यन्न कर रहे हैं। अपने काम से बोर होकर लेखन या फैन फिक्शन की गलियों में घूम लेते हैं। लिखने की प्रेरणा इन्हे जापानी एनिमे, मांगा से मिलती है और कृष्ण भी उस ख़ूबसूरती से अपनी हर कहानी गढ़ना चाहते हैं। लेखन की दूसरी वजह विज्ञान है...विज्ञानं के गूढ़ रहस्यों और खोजों की जानकारी अपनी लेखनी के ज़रिये दुनिया के सामने लाना इन्हे पसंद है। 

*) - जंगली कोकई (कांस्य, फैन आर्ट 2017) - 'जंगली' कृतक नाम इस्तेमाल करने वाले अरुणाचल प्रदेश के कलाकार अवलैंग कोकई 16-17 वर्षों से कॉमिक्स पढ़ रहे हैं। मनोज, तुलसी, फोर्ट आदि कॉमिक्स के गुम हो चुके किरदारों पर फैन आर्ट करना इन्हें भाता है। ऑनलाइन कॉमिक कम्युनिटीज़ से जुड़ने के बाद यह शौक और बढ़ गया है। कोकई कुछ ऑनलाइन पत्रिकाओं के लिए कला कर चुके हैं। 

*) - बलबिन्दर सिंह (रजत, फैन वर्क श्रेणी 2017)


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इंडियन कॉमिक्स फैंडम अवार्ड्स 2017 विजेता लिस्ट

1) - कार्टूनिस्ट: काक कार्टूनिस्ट / हरीश चंद्र शुक्ला (स्वर्ण), सतीश आचार्य (रजत), ज़ोंग ब्रॉस (कांस्य)
2) - फैन कलाकार: आदित्य किशोर (स्वर्ण), उत्तम चंद (रजत), अवलैंग कोकई और रवि बिरुली (कांस्य) [टाई]
3) - ब्लॉगर-आलोचक: श्रीजिता बिस्वास (स्वर्ण), मनीष मिश्रा (रजत), अभिलाष अशोक मेंडे
4) - फैन वर्क: परमाणु फैन वीडियो ट्रेलर - नितिन स्वरुप (स्वर्ण), गांधीगिरी - कृति कॉमिक्स और फैन मेड कॉमिक्स - बलबिन्दर सिंह टीम [टाई], विज्ञापन वॉर कॉमिक (कांस्य)
5) - फैन फिक्शन लेखक: अंकित निगम (स्वर्ण), कृष्ण कुमार (रजत), दिव्यांशु त्रिपाठी (कांस्य)
6) - वेबकॉमिक: अग्ली स्वेटर - ब्राइस रिचर्ड (स्वर्ण), फ्रीलांस टैलेंट्स कॉमिक्स (रजत), ब्राउन पेपरबैग - शैलेश गोपालन (कांस्य)
7) - रंगकार (कलरिस्ट) - शहाब खान (स्वर्ण), पंकज देवरे (रजत), रुद्राक्ष (कांस्य)
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हॉल ऑफ़ फेम 2017
प्रेम गुप्ता, दिलदीप सिंह, सुप्रतिम साहा, गौरव श्रीवास्तव, सौरभ सक्सेना
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उल्लेखनीय कार्य (Non-Award Categories)

1) - कॉस्प्ले - रूद्र राजपूत (नागराज)
2) - पत्रकारिता - कल्चर पॉपकॉर्न और अनिक प्लेनेट
3) - प्रकाशन - टीबीएस प्लेनेट कॉमिक्स
4) - समुदाय - कॉमिक्स ऑर पैशन (COP), अल्टीमेट फैंस ऑफ़ कॉमिक्स (UFC)

Wednesday, May 6, 2015

सदाबहार परशुराम शर्मा जी से मेरी मुलाक़ात...


जीवन में कई बार छोटी-छोटी बातें आपको चौकाने का दम रखती है, बशर्ते आपकी आदत या किस्मत ऐसी बातों को देख सकने कि हो। भाग्य से कुछ सामान खरीदने बाजार गया और बाइक स्टैंड पर लगाते समय क्रिएटिव कोर्सेज का एक पोस्टर दिखा जिसपर एक नाम को पढ़कर लगा कि यह तो कहीं अच्छी तरह सुना लग रहा है पर उस समय भाग-दौड़ में याद नहीं आ रहा था कि कहाँ। पोस्टर पर एक संजीदा बुज़ुर्ग गिटार पकडे  खड़े थे। खैर, सामान खरीदते समय याद आया की पोस्टर पर लिखा नाम परशुराम शर्मा तो बीते ज़माने के प्रख्यात उपन्यास एवम कॉमिक्स लेखक का भी था। साथ में यह भी याद था कि परशुराम जी का पता मेरठ का बताया जाता था। इतना काफी था इस निष्कर्ष पर आने के लिए कि सामने लेखक-विचारक परशुराम शर्मा जी का ही ऑफिस है। पहले तो मैंने भगवान जी को धन्यवाद दिया कि उन्होंने बाइक जिस एंगल पर स्टैंड करवाई वहां से मुंडी टिल्ट करके थैला उठाने में मुझे सर का पोस्टर दिख गया। थोड़ी झिझक थी पर मैंने सोचा कि अब इतनी पास खड़ा हूँ तो बिना मिले तो नहीं जाऊँगा। उनसे बड़ी सुखद और यादगार भेंट हुई और काफी देर तक बातों का सिलसिला चलता रहा, इस बीच उन्होंने अपने सुन्दर 2 गीत मुझे सुनाये और बातों-बातों में मेरे कुछ आइडियाज पर चर्चा की।


270 से अधिक नोवेल्स और कई कॉमिक्स प्रकाशनों के लिए सौइयों कॉमिक्स लिख चुके 68 वर्षीय परशुराम जी अब मेरठ में अपना क्रिएटिव इंस्टिट्यूट चलाने के साथ-साथ स्थानीय म्यूजिक एलबम्स,  वीडिओज़ बनाते है। बहुमुखी प्रतिभा के धनि परशु जी लेखन के अलावा गायन, निर्देशन, अभिनय में भी हाथ आज़मा चुके है और अब तक उनकी लगन किसी किशोर जैसी है। यह उनके साथ हुयी भेंट, कुछ बातें उनके आग्रह पर हटा ली गयी है। 


*) - दशको तक इतना कुछ लिखने के बाद आपके बारे में पाठक बहुत कम जानते है, ऐसा क्यों?
परशुराम शर्मा - बस मुफलिसी का जीवन पसंद है जहाँ मैं अपनी कलाओं में लीन रहूँ। वैसे उस वक़्त अचानक सब छोड़ने का प्लान नहीं था वो हिंदी नोवेल्स, कॉमिक्स का बुरा दौर था इसलिए अपना ध्यान दूसरी बातों पर केंद्रित किया। 

*) - अब आप क्या कर रहे है?
परशुराम शर्मा - अब भी कला में लीन हूँ। बच्चो को संगीत और वाद्य सिखाता हूँ, डिवोशनल, रीजनल एलबम्स-वीडिओज़ बनाता हूँ। कभी कबार स्थानीय फिल्मो में अभिनय करता हूँ। 68 साल का हूँ पर इन कलाओं  सानिध्य में हमेशा जवान  रहूँगा। 

*) - क्या नोवेल्स-कॉमिक्स के ऑफर अब तक आते है आपके पास?
परशुराम शर्मा - कुछ प्रकाशक अब भी मुझसे हिंदी नावेल सीरीज लिखने की बात करते है पर अब इस फील्ड में पैसा बहुत कम हो गया है। युवाकाल जैसी तेज़ी नहीं जो वॉल्यूम बनाकर  मेहनताने भरपाई कर सकूँ। इतना दिमाग लगाने के बाद अगर  पारिश्रमिक ना मिले तो निराशा होती है। अखबार वाले मुझे लेखो के 200-300 रुपये  चैक देते थे और पूछने पर बताते कि लोग तो फ्री में लिखने को तैयार है, हम तो फिर भी आपको कुछ दे रहे है। 

*) - अब किन पुराने साथियों के संपर्क में है?
परशुराम शर्मा - कभी कबार कुछ मित्रों से बातचीत हो जाती है। यहाँ स्थानीय कार्यक्रमों में वेदप्रकाश शर्मा जी, अनिल मोहन आदि उपन्यासकारों से भी मिलना हो जाता है। 

Parshuram ji in T Series Video

*) - क्या अंतर है पहले और अब कि ज़िन्दगी में?
परशुराम शर्मा - पहले जीवन की गति इतनी तीव्र थी कि ठहर कर कुछ सोचना या अवलोकन कर पाना कठिन था। आजकल कुछ आराम है तो वह भागदौड़ में रचनात्मकता किसी सुखद फिल्म सी आँखों के सामने चलती है। 

*) - आपके लिए कुछ सबसे यादगार पल बांटे। 
परशुराम शर्मा - ऐसे बहुत से लम्हे आये जब मुझे विश्वास ही नहीं हुआ अपने भाग्य पर। जो अब याद है उनमे जैकी श्रॉफ का मेरे साथ फोटो खिंचवाने के लिए लाइन में लगना , अमिताभ बच्चन जी का मुझसे मिलने पर यह बताना कि मेरे लेटेस्ट उपन्यास की 5 कॉपीज़ उनके पास रखी है, प्रकाशकों का मेरी कई कृतियों के लिए लड़ना आदि। 

*) - इंटरनेट के आने से क्या बदलाव महसूस किये आपने?
परशुराम शर्मा - ज़्यादा तो मैंने सीखा नहीं पर कुछ वर्ष पहले जिज्ञासावश अपना नाम सर्च किया तो बहुत कम काम था मेरा वहां। मैं कुछ प्रशंषको का धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने जाने कहाँ-कहाँ से खोजकर मेरी कई कॉमिक्स और उपन्यासों की लिस्टस, चित्र आदि इंटरनेट पर अपलोड किये। सच कहूँ तो अब उनमे से काफी काम तो मैं भूल चुका हूँ  कि वो मैंने ही लिखे थे।  
Still from movie "Desi Don"

*) - आपके ऑफिस के बाहर कुछ पोस्टर्स और भी लगे है उनके बारे में बताएं? 
परशुराम शर्मा - एक पोस्टर कुछ समय पहले आई फिल्म "देसी डॉन" का है, कुछ एलबम्स साईं बाबा पर रिलीज़ हुयी पिछले 3 वर्षों में। 

*) - लेखन, संगीत, अभिनय, निर्देशन आदि विभिन्न कलाओं में ऐसी निरंतरता, दक्षता कैसे लाते है आप?
परशुराम शर्मा - इसका उत्त्तर मेरे पास भी नहीं है, शायद इन कलाओं के प्रति मेरा दीवानापन मुझे रचनात्मक कार्य करते रहने को प्रेरित करता है। 

*) - भविष्य कि योजनाओं और प्रोजेक्ट्स से अवगत करायें। 
परशुराम शर्मा - कुछ होनहार बच्चो को संगीत में लगातार शिक्षा दे रहा हूँ, उनमे एक ख़ास हीरा तराशा है जिसका नाम है अंश। उसके साथ साईं बाबा पर डिवोशनल एल्बम अक्टूबर 2014 में लांच की, अब वह कुछ टैलेंट शोज़ के ऑडिशंस दे रहा है। बहुत जल्द आप उसे टीवी पर देखेंगे। नयी पीढ़ी के प्रति  दायित्व निभाने के साथ - साथ जीवन में सोचे ख़ास, चुनिंदा आइडियाज को किस तरह अलग-अलग माध्यमो में  मूर्त रूप दूँ यह सोच रहा हूँ। 

Master Ansh

*) - कॉमिक्स पाठको को क्या संदेश देना चाहेंगे? क्या हम आपका नाम दोबारा कॉमिक्स में देखने की उम्मीद कर सकते है। 
परशुराम शर्मा - मैं उनका आभार प्रकट करूँगा जिन्होंने इस मरती हुयी इंडस्ट्री में जान फूँकी। काल बदलते है, इसलिए चाहे बदले प्रारूपों में ही सही कॉमिक्स का सुनहरा समय फिर से आयेगा। जी हाँ! आगे दोबारा मैं कॉमिक्स लिख सकता हूँ अगर परिस्थिति सही बनी तो। 

इस तरह उनका धन्यवाद करता हुआ, आशीर्वाद लेकर फूल के कुप्पा हुआ मैं उनके ऑफिस से बाहर निकला। जल्द ही उनकी अनुमति लेकर जो गीत उन्होंने मुझे सुनाये थे वो अपलोड करूँगा। 

- मोहित शर्मा (ज़हन) 
#mohitness #mohit_trendster #freelance_talents

Wednesday, March 25, 2015

कार्टूनिस्ट नीरद जी


"बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि कार्टूनिस्ट नीरद का पूरा नाम नीलकमल वर्मा 'नीरद' है। भारतीय कॉमिक जगत के सफल और लोकप्रिय कार्टूनिस्ट नीरद जी का जन्म १५ अगस्त १९६७ को हुआ। १०-११ साल की उम्र से ही इन्होंने कार्टूनिंग की शुरुआत कर दी थी और तब से अब तक देश भर की शीर्ष पत्र-पत्रिकाओं के लिए कॉमिक स्ट्रिप और कार्टून्स तो बनाये ही, साथ ही डायमंड कॉमिक्स के तमाम लोकप्रिय चरित्रों (जैसे ताऊ जी, चाचा-भतीजा, लम्बू मोटू, राजन इक़बाल आदि) के ढेरों कॉमिक बुक्स के लिए रेखांकन भी किया।" 

अब नीरद जी के कार्टून्स लोकप्रिय पत्रिका नन्हे सम्राट के साथ-साथ विभिन्न स्थानीय समाचार पत्रों, पत्रिकाओं में प्रकाशित होते है। 

Friday, March 6, 2015

स्पेशल ऑडियो मैगज़ीन - इंडियन कॉमिक्स फैंडम (Vol. 8)


कॉमिक्स से जुड़े विभिन्न विषयों, यादों पर मेरे द्वारा रिकॉर्ड की गयी 8 हिंदी पॉडकास्ट्स, रिकॉर्डिंग्स इस ऑडियो मैगज़ीन में है। आशा है आपको यह प्रयास भी पसंद आयेगा। मैगज़ीन कवर पर है प्रसिद्द कॉमिक कलेक्टर एवम अनुसंधानकर्ता श्री अरुण प्रसाद जी। - मोहित शर्मा (ज़हन) #trendster 


Wednesday, October 22, 2014

इंडियन फैन फिक्शन पॉडकास्ट - मोहित शर्मा (ज़हन)



मनोरंजन के माध्यमो के विस्तार और विकास के साथ उनमे नये आयाम जुड़ जाते है, उन्ही में से एक है फैन फिक्शन यानी किसी लोकप्रिय टेलीविजन, फिल्म, कॉमिक्स सीरीज पर उसके अधिकृत लेखक, निर्माताओ, प्रकाशकों के अलावा अगर कोई प्रशंषक या अन्य लेखक उस किरदार जगत को लेकर कुछ लिखता है उसे फैन फिक्शन की श्रेणी में रखा जाता है। इस आयाम की खासियत यह है की कई लोगो के लिए यह महज़ हल्का-फुल्का, बे सर-पैर का लेखन है जबकि कई लोगो के लिए यह एक ख़ास साहित्य है जो उन हज़ारो-लाखो संभावनाओं को खंगालता है जिन सबको प्रदर्शित करना निर्माताओं के लिए संभव नहीं। 

इस विषय पर एक छोटी सी हिंदी पॉडकास्ट सीरीज हाल ही में रिकॉर्ड कर प्रकाशित की है। आशा है आपको यह प्रयास आयेगा। 



*) - Complete Indian Fanfic Podcast Series Playlist (17:37 Minutes)

*) - Indian Fanfic Podcast (Part # 01)

*) - Indian Fanfic Podcast (Part # 02)

*) - Indian Fanfic Podcast (Part # 03)

*) - Indian Fanfic Podcast (Part # 04)

- मोहित शर्मा (ट्रेंडी बाबा)

Wednesday, August 6, 2014

कार्टूनिस्ट प्राण जी को पीढ़ियों के बचपन की काव्य श्रद्धांजलि - मोहित शर्मा (ज़हन)



जिस राह कोई चला नहीं,
उस पर कदम बढ़ाये,
आम लोगो के बीच से ख़ास किरदार उठाये,
फैंटम-मैंड्रेक और फैंटसी की लथ छुड़वाई,
कितनी ही किवदंती याद करवाई,
जाने कैसे सहजता से कथाओं में अपना देसीपन भर लाये। 

दशको तक चाचा क्या पिंकी ऊँगली पकड़ चलाये,
भाषा की बंदिश को तोडा,
तरह-तरह बंदो को जोड़ा,
झूठी मिथको को झकझोरा,
बूढे, बच्चो और गृहणियों को पकड़ सुपरहीरो से करतब करवायें। 

आपका उदाहरण दें विस्मित किशोर आज तक कला में भविष्य बनायें,
मनोरंजन से जनचेतना की पूरी हुयी उनकी आशा,
ढाई साल के बच्चे से लेकर अर्द्धचेतन अधेड़ तक समझे उनकी भाषा। 
अरसो यूँ गुदगुदा कर आँखें नम करवायें,
लाखो चित्र, करोड़ों प्रशंषक,
आसमान को देखें एकटक,
चाचा जी के पापा को वापस बुलायें,
ताकि फिर से वो अपना एक स्वप्निल जगत बनाये,
और फिर से कितनी पीढ़ियों के बचपन में प्राण फूँक जायें। 

आज हमारे बीच प्रख्यात कलाकार, कथाकार, कार्टूनिस्ट और जनसेवक श्री प्राण कुमार शर्मा जी नहीं रहे। अनेको देसी-विदेशी सम्मानों (जिनमे प्रमुख है इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ कार्टूनिस्टस द्वारा लाइफ टाइम अचीवमेंट (2001), कॉमिक कॉन इंडिया का लाइफ टाइम अचीवमेंट, लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स के पीपल ऑफ़ दी ईयर सूची में सम्मिलित (1995), उनकी कॉमिक 'हम एक है' (रमन) का तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा राष्ट्रीय विमोचन (1983), अमेरिका के इंटरनेशनल म्यूज़ियम ऑफ़ कार्टून आर्ट में उनकी कला का स्थाई प्रदर्शन) के अलावा उनकी सबसे बढ़ी उपलब्धि है 1960 के दशक से लेकर अब तक कई पीढ़ियों पर एक सकारात्मक असर डालना और मुझे विश्वास है आगे भी उनका अमर काम ऐसा करता रहेगा। रोज़मर्रा के जीवन से ऐसे किरदार उठा लाये जिन्होंने आयातित विदेशी मनोरंजन के बाज़ार मे एक बड़ा हिस्सा ले लिया। उनकी आत्मा को शांति मिले और उनके काम से यूँ ही लोग प्रेरित होते रहे। प्राण जी को मेरा शत-शत नमन!

- मोहित शर्मा (ज़हन)

Tuesday, December 24, 2013

वो ज़हन मे जिंदगी जीते रहेंगे! - मोहित शर्मा (ज़हन)

नमस्ते!

वैसे तो कुछ साल पहले कि कविता है पर इसमें हास्य भाग ख़ास Comics Fest India 2013 के लिए जोड़ा था। अभिनेता शिवा जी आर्यन ने बस एक-दो बार में इसको याद कर के स्टेज पर अपने एक्ट से पहले बोला।  देखें आप इनमे से कितने अमर किरदारो को पहचान पातें है।

साथ ही जोड़ रहा हूँ अंसार अख्तर जी और हवलदार बहादुर को ट्रिब्यूट देती यह आर्ट जिसको मैंने अथर्व ठाकुर और युधवीर सिंह के साथ तैयार किया है। 



वो ज़हन मे जिंदगी जीते रहेंगे! 

इंसानियत के जज्बे को जागते रहेंगे।
सुनी है रात के अन्धकार मे कुत्तो की गुर्राहट ?
और कब्र पर प्रिंस की कर्कशाहट ?
या दिल्ली की छत के नीचे अपराध की दस्तक ?
महसूस किये है जासूस सर्पो के मानसिक संकेत ?
या सूचना देता कमांडो फोर्स का कैडेट ?
झेला है जंगल मे किसी निर्बल पर अत्याचार ?
या सुनी है किसी अबला की करुण पुकार ?
ली है राजनगर पुलिस हेडक्वाटर से प्रेषित कोई ज़िम्मेदारी ?
या मिला है रोशन सुरक्षा चक्र के पीछे इंतज़ार करता कोई वर्दीधारी?
जब तक अपराध होते रहेंगे,
पन्नो मे कैद ही सही,
ये सभी किरदार इंसानों मे जिंदा होकर इंसानियत के जज्बे को जागते रहेंगे। 

मिली है कभी किसी से अनचाही पुच्ची?
या फटते देखा है किसी के गुस्से से ज्वालामुखी? 
मनाया है क्या किटी पार्टी को मेला?
या पाया है किसी ने दर्जन बच्चो वाला चेला?
खायी है क्या किन्ही चार फ़ुटियों से लातें?
या बड़े ध्यान से सुनी किसी कि छोटी-छोटी मगर मोटी बातें? 
बोले कहीं एक कुपोषित जासूस ने धावे,
या किसी हवलदार के हवालात मे सड़ाने के दावे? 
खुद को जीनियस क्यों समझता एक बुद्धू बच्चा सिंगल पसली?
या साथ रहा कभी आजकल के नेताओ का पूर्वज असली?
और एक बिना बात धर्मार्थ करने वाले क्यूट अंकल जी.… 
जब तक लोग जीवन से बोर होने लगेंगे .... 
पन्नो मे कैद ही सही,
ये किरदार अंतर्मन में जीवित हो हमे गुदगुदाते रहेंगे।

Monday, November 25, 2013

कॉमिक्स फेस्ट इंडिया 2013




पहले कॉमिक्स फेस्ट इंडिया का आयोजन को दिल्ली में होने जा रहा है। पिछले वर्ष तक राज कॉमिक्स में "नागराज जन्मोत्सव" नाम से प्रख्यात आयोजन को इस बार और बड़ा रूप दिया गया है जिसमे देश भर से हिंदी-अंग्रेजी के कई विख्यात कॉमिक्स एवम बाल साहित्य के प्रकाशक हिस्सा ले रहे है। साथ ही नामी कलाकार और लेखक इवेंट में शिरकत करेंगे। 30 नवंबर और 1 दिसंबर चलने वाले इवेंट के मुख्य आकर्षण है। 




*) - राज कॉमिक्स, डायमंड कॉमिक्स, कैंपफायर-कल्याणी प्रकाशन, फेनिल कॉमिक्स, होली काऊ एंटरटेनमेंट,  पुस्तक महल, लोट-पोट, नेशनल बुक ट्रस्ट आदि बहुत से प्रकाशनों का एक जगह जमावड़ा।

*) - कॉमिक्स, एनिमेशन से जुडी बड़ी हस्तियों उपस्थिति और वर्कशॉपस, सेमिनार्स। हर दिल अज़ीज़ अभिनेता श्री मुकेश खन्ना जी कि इवेंट मे शिरकत। 

*) - मशहूर जादूगर खरबंदा बंधुओ का मैजिक-मिरैकल शो। 

*) - प्रकाशको द्वारा आयोजन के लिए तैयार ख़ास कॉमिक्स, किताबें, कलेक्टर्स एडिशन वस्तुएँ।

*) - कलाकारों को सम्मान देने के लिए विभिन्न कैटगिरीज़ जैसे चित्रांकन, पटकथा, वेबकॉमिक, इंकिंग, रंगसज्जा आदि में कल्पना लोक अवार्ड्स। 

*) - अभिनेता श्री शिवा जी आर्यन के प्ले, स्किट्स एवम स्टेज परफॉरमेंस। 

*) - शाम को श्री रजत मिश्रा और बैंड का एक रॉक शो कॉन्सर्ट। 

*) - पश्चिम बंगाल के मूर्तिकार श्री मिहिर वैद द्वारा रचित आदमकद मूर्तियाँ ।  

*) - मनोरंजन के लिए करैक्टर डॉल्स, विशालकाय डोगा झूला आदि।  

*) - कॉमिक क्विज, रचनात्मक लेखन, कॉसप्ले, मिमीक्री, ऑनलाइन  आदि बहुत सी प्रतियोगिताएँ। 

*) - सुपर कमांडो ध्रुव पर आधारित गेम का प्रीव्यू।

*) - साथ ही कॉमिक्स, एनिमेशन से जुड़े बहुत से आयोजन।

तो दिल्ली हाट में इस ऐतिहासिक आयोजन का हिस्सा बनकर भारत में दोबारा जाग रहे कॉमिक्स कल्चर को बढ़ावा दें, और उन सैंकडो मेहनती-प्रतिभावान कलाकारो, प्रकाशको को इन दो दिन बस अपनी उपस्थिति से प्रोत्साहित करें।  

सेलिब्रेटिंग कॉमिक्स!








*एंट्री का कोई चार्ज नहीं है और वेबसाइट पर  रेजिस्ट्रशन करने पर आप पा सकते है आकर्षक गिफ्ट्स, बाहर से आने वाले फैंस के लिए रुकने कि व्यवस्था भी है। 

आपके इंतज़ार में....


*आर्यन क्रिएशनज़ के कलाकारो द्वारा कॉमिक्स फेस्ट के प्रोमोशन में बनायीं गयी स्ट्रिप, इसमें आप अप्रकाशित बाली और धुरंदर पाण्डेय के बाल रूप को देख सकते है. 

Monday, July 15, 2013

इंडियन कॉमिक्स फैंडम (Indian Comics Fandom Magazine)



इंडियन कॉमिक्स फैंडम (Indian Comics Fandom) एक पत्रिका के रूप में प्रयास है भारतीय कॉमिक परिदृश्य को दिखाने का कॉमिक्स से जुडी ख़बरों, साक्षात्कारो,  कहानियों, चित्रों, आयोजनों, रिपोर्ट्स, लेखों, विश्लेषण आदि द्वारा। वैसे तो काफी पहले से इसको प्रकाशित करने की इच्छा थी पर बात टलती रही। 2010  मे "कॉमिक्स स्टोलोन" नाम से एक पत्रिका का एक अंश आया पर फिर वो भी ठंडे बसते मे गयी। अंततः अक्टूबर 2012 में यह पत्रिका शुरू की और अब तक इसके 6 वॉल्यूम प्रकाशित हो चुके है।

इसका आगामी  सातवा अंश स्थानीय कॉमिक्स स्पेशल है जिसमे भारत की स्थानीय भाषाओँ की कॉमिक्स या अनुवादित कॉमिक्स को कवर किया जायेगा। इस से पहले ऐसे थीम बेस्ड दो वॉल्यूम आये एक इंडिपेंडेन्ट कॉमिक्स कम्पनीज केन्द्रित और एक व्यस्क कॉमिक्स केन्द्रित। अंग्रेजी-हिंदी (और कभी-कभी स्थानीय) भाषाओँ के लेख रहते है इस पत्रिका मे।




Indian Comics Fandom FB Page जहाँ आपको इस फ्री ऑनलाइन पत्रिका से जुडी साड़ी जानकारियाँ और लिंक्स मिल जायेंगे। 

Monday, December 3, 2012

पवित्र गाय मनोरंजन! (Holy Cow Entertainment)


होली काऊ इंटरटेनमेंट, 2011 मे इस कंपनी का  नाम सुना और पता चला इस प्रकाशन के संस्थापक खुद एक नामी कलाकार श्री विवेक गोयल है। हालाँकि, ख़बरें तो 2010 से ही आने लगी थी पर पहले इतने प्रकाशनों का नाम सुनकर आगे काफी समय तक कोई अपडेट न आने पर निराशा होती थी इसलिए कुछ ऐसा सुनने पर अधिक उम्मीद नहीं रखी। पहले विवेक जी से शुरू करता  हूँ, 31 वर्षीय विवेक जी (वैसे अब अगले ही महीने उनका जन्मदिन आ रहा है) के पास कई राष्ट्रीय एवम अंतरराष्ट्रीय कॉमिक प्रकाशनों और कंपनियों मे काम करने का अनुभव है जिनमे प्रमुख है - लेवल 10, राज कॉमिक्स, मूनस्टोन बुक्स, कॉमिक्स इंडिया और अब होली काऊ। साथ ही  उन्होंने अपना शुरुआती पेशेवर दौर स्टार प्लस, कुछ विज्ञापन एजेन्सियों के साथ भी बिताया। 2008 मे जब ये राज कॉमिक्स के लिये काम कर रहे थे तब भी इनपर,  तब के कामो पर ज़ोर देते हुए एक ब्लॉग राज कॉमिक्स की साईट और फ़ोरम्स पर  लिखा था।

कॉमिक्स एक असेम्बली लाइन पद्धति के तहत एक परिकल्पना से होती हुई कहानी-पटकथा-चित्र-स्याही-रंग-शब्द, आदि   सबके साथ लगकर एक पूरा प्रोडक्ट बनती है। अब भरत नेगी जी, अनुपम सिन्हा जी जैसे कलाकार ये सारा काम स्वयं निपटा सकते है जबकि समय की कमी, आदि की वजह से अक्सर इस पद्धति मे क्रमवार कई लोग शामिल रहते है। कई बार चित्रकार, लेखक की शेली, सोच और बहुत सी बातें मेल नहीं खाती जिस वजह से रचनात्मक घर्षण और टकराव होता है। यही प्रमुख वजह थी होली काऊ के अस्तित्व मे आने का। इन बातों पर फिर कभी प्रकाश डालेंगे अभी तो मै  इस पवित्र गाय से इतना भौचक हूँ कि आज इसपर ही लिखता हूँ।  किसी कलाकार द्वारा कॉमिक प्रकाशन खोलना भारत के हिसाब से नयी बात है जिसके लिए मै  विवेक गोयल की तारीफ़ करता हूँ।

होली काऊ की पहली कॉमिक वेयरहाउस मई 2011 मे प्रकाशित हुई जिसमे 3 अलग कहानियाँ थी।  फिर बहुचर्चित 7 कॉमिक्स वाली रावाणयन सीरीज़ आई जिसमे कुछ नए दृष्टिकोणों से रामायण की महागाथा को दिखाया गया। जिसको काफी मीडिया कवरेज मिली. इस सीरीज़ के ख़त्म होने से पहले ही उनकी दूसरी मुख्य सीरीज़ अघोरी सितंबर 2012 से शुरू हुई और अक्टूबर मे ही उसका दूसरा भाग भी प्रकाशित हो चुका है। सीरीज़ का प्रमोशन एक छोटी मुफ्त कॉमिक  अघोरी (00) और यूट्यूब पर एक मोशन कॉमिक ट्रेलर से किया गया। साथ ही होली काऊ इंटरटेनमेंट लगातार भारतीय कॉमिक कोन और स्थानीय पुस्तक मेलो मे हिस्सा लेती रही है। इतने कम समय मे कॉमिक्स के लिए तत्कालीन भारत जैसे बाज़ार मे इतने अनुशासन के साथ लगातार अच्छी कॉमिक्स निकलना किसी अजूबे से कम नहीं। हालाँकि, अभी पेजों की संख्या, कॉमिक्स का दाम, कॉमिक्स मिलने के सीमित साधन जो अभी तक मुख्यतः ऑनलाइन है, कुछ बातें है जिनपर ध्यान दिया जाना चाहिए। इनसे जुड़े  प्रमुख कथाकार और कलाकार है - विजयेन्द्र मोहंती, राम वी, गौरव श्रीवास्तव, योगेश, श्वेता तनेजा, अंकुर आमरे। 

होली काऊ के आगामी आकर्षण है। मुझे लगता है ये प्रकाशन निकट भविष्य मे लोकप्रिय होगा।


*) - रावाणयन ( समापन भाग, विशेषांक)

*) - अघोरी (भाग 3) 


*) -  स्कल रोज़री (ग्राफ़िक नोवल)


*) - सेरेंगेटी स्ट्राइप्स सीरीज़ 


*) - देट मैन सोलोमन 


*) - प्रोज़ेक्ट शोकेस


Website: http://www.holycow.in/


Vivek Goel (Official Page): http://www.facebook.com/vivekart


Vivek & Ram (Mumbai Film and Comic Con, October 2012)

Monday, June 18, 2012

ट्रेंडी बाबा अपडेट्स






नमस्ते!
ट्रेंडी बाबा कौन है और इनकी कहानी क्या है ये कभी आराम से बताऊंगा आज तो कुछ अपडेट्स देने आया हूँ.... 84 Tears को मिले ज़बरदस्त रेस्पोंस के बाद मैंने कुछ और इंडीपेनडेंट कॉमिक्स और कहानियाँ प्रकाशित करने की ठानी. हालाकि, मुझे भी अंदाज़ा है की अगर मैंने 84 Tears (ई-बुक) को मुफ्त न रखा होता यह तो काफी कम लोगो तक पहुँचती (पेपरबेक का तो उन चेनल्स के हिसाब से मूल्य है जो ज्यादा नहीं बिकी..ही ही..). ये बात इसलिए कह रहा हूँ क्योकि के 84 Tears साथ मैंने "देसी-पन!" (Desi-Pun!) नाम का अपनी  इंग्लिश कहानियों का संग्रह भी प्रकाशित किया था जिसको 84 Tears से कम पाठक मिले. पर मै कम से कम अभी तो पैसो के लिए नहीं लिख रहा. 

कभी-कभी सवाल आता है की आप किसी बड़े प्रकाशन से क्यों नहीं जुड़ते. मै उनसे जुड़ा हूँ और गाहे-बगाहे कोई आईडिया या छोटी स्क्रिप्ट दे देता हूँ. पर उनके कुछ नियम है और उनके दिए कामो की डेडलाइनस होती है जो मै अपने जीवन के दूसरे कामो की वजह से फोलो नहीं कर सकता. साथ ही अभी तक जो काम मै अलग से कर रहा हूँ वो पूरी तरह कामर्शियल श्रेणी मे नहीं आते...उन्हें प्रकाशक एक्सपेरिमेंटल कहते है और सही भी है इसपर दांव लगाना एक जुआ ही कहा जायेगा. 



भारतीय परिदृश्य की कुछ सीमायें है जो मैंने समझी है और आगे अपने लेखन मे इन सीमाओं को ध्यान मे रखूँगा. हाँ, कुछ 84 Tears जैसे प्रोजेक्ट्स रहेंगे जिनमे मै चाहूँगा की वो ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुँचे और भाग्य से मै अभी ऐसे 2 प्रोजेक्ट्स "माँ का मोनोलोग" और "लोंग लिव इंकिलाब" (कॉमिक) पर काम कर रहा हूँ....और भी कुछ कांसेप्टस है मन मे, आगे कोशिश करूँगा की कुछ कॉमिक प्रकाशनों से परमानेंट जुड़ सकूँ. 

मेरी कॉमिक्स, ई-बुक्स और प्रकाशित लेख, कहानियों, कविताओं के लिए मैंने फेसबुक पर  Mohitness {मोहितपन}
नाम से अपना पेज बनाया है. 


Sunday, November 27, 2011

पौराणिक वर्गीकरण


(Virgin Comics/Liquid Comics: 2006-2007)

भारतीय कॉमिक्स परिदृश्य मे उभरे एक नए विषय पर लिख रहा हूँ. चीज़ों, बातों, जगहों, व्यक्तियों, आदि का वर्गीकरण करना एक बड़ी समस्या है. मैंने गिनती करना छोड़ दिया है जब मैंने किसी व्यक्ति को असल जीवन मे या इंटरनेट पर गलत वर्गीकरण करने पर समझाया हो. यह एक छदम सामाजिक बुराई है जिसपर कम ही का ध्यान जाता है, विडंबना तो यह है की वर्गीकरण हर जगह है.

खैर, मै यह सब इसलिए बोल रहा हूँ की वर्गीकरण हमे कॉमिक्स मे देखने को मिलता है. इस बार मै बाहरी दुनिया (और बाहर का अनुसरण करते कई भारतियों) की भारत के बारे मे धारणा पर आपका ध्यान लाना चाहूँगा. हाल के वर्षो मे भारतीय कलाकारों की माँग दुनिया भर के कॉमिक्स प्रकाशनों मे बढ़ी है. कारण वही पुराना है की यहाँ के फनकार बाहरी कलाकारों की तुलना मे कम दाम पर उसी गुणवक्ता का काम देते है. बेंगलुरु, मुंबई, दिल्ली, आदि बड़े शेहरो से आउटसोर्स होकर वो कला दुनिया भर मे सराही जाती है. अब विश्व के प्रमुख प्रकाशन भारत मे कई जगह उपलब्ध है, जहाँ नहीं है वहां अपडेट और ज्ञान देता इंटरनेट है. साथ ही भारत मे बच्चो और युवा वर्ग के लिए कुछ नये भारतीय कॉमिक प्रकाशक भी आये है जिनकी कॉमिक्स मुख्यतः इंग्लिश मे होती है.

तो मुद्दे की बात ये है की मैंने ऐसे कई भारतीय कलाकारों की कॉमिक्स और नये भारतीय प्रकाशकों (मै नाम नहीं ले रहा हूँ) की कॉमिक्स पढ़ी. उनमे से अधिकतर मे मैंने एक बात देखी की उनमे वो कॉमिक सीरिज़ पौराणिक कथाओं, ग्रंथों, देव गाथाओं, पर आधारित या उनसे मिलते-जुलते परिवेश की काल्पनिक कहानियाँ थी. इतनी सारी कॉमिक्स मे यही बेकड्रॉप, थीम पढ़ कर मन मे सवाल उठा क्या बस यही है भारत? तरह-तरह के लोगो, जगहों, धर्मो, भाषाओँ, वन्य जीवन, विरासतों, किवदंतियों, प्रदेशों, संस्कृतियों और उनके विशाल इतिहास से मिलकर बना भारत? मन ने तुरंत ही जवाब भी दिया, "नहीं!"

भारत मे बहुत कुछ और भी है या था, जो दुनिया भर को और उसकी युवा पीढ़ी को काल्पनिक परिवेश मे लपेट कर दिखाया जा सकता है. जैसे पूर्वोतर भारत के राज्यों की अनगिनत किवदंतियां को बाहरी दुनिया तो क्या उन प्रदेशो के अलावा दूसरे भारतीय राज्यों तक मे लगभग अनसुनी है या जनजातियों की कुछ अचरच मे डाल देने वाली प्रथाएं और उनके पीछे के कारण. पिछले दशको के इतिहास की घटनाओ (जैसे गोधरा काण्ड, मुंबई बम विस्फोट, 1984 मे घटे सिख विरोधी दंगे और भोपाल गैस काण्ड, आदि) को बेस बनाकर उनपर कुछ काल्पनिक कहानियाँ जो न सिर्फ लोगो संदेश दे बल्कि नयी पीढ़ियों को बताये की भारत मे ऐसा भी हुआ था. पर दुर्भाग्यवश ऐसे विषयों पर प्रकाशकों का ध्यान न के बराबर ही जाता है.

अगर कोई कहे की ऐसा संभव नहीं है या अगर ऐसा किया जायेगा तो पाठको को आनंद नहीं आएगा. तो मै यही कहूँगा की कुशल लेखनी मे सब संभव है. मै भी अपने सीमित संसाधनों से ऐसा ही प्रयास कर रहा हूँ अगर सफल हुआ तो आप सबके साथ सबसे पहले बाँटूगा. वैसे आप इस वर्गीकरण के बारे मे क्या सोचते है?

Wednesday, June 16, 2010

तुलसी कॉमिक्स





1980 के दशक और 1990 की शुरुआत मे तुलसी कॉमिक्स काफ़ी लोकप्रिय थी. लेकिन राज कॉमिक्स, डायमंड कॉमिक्स और मनोज कॉमिक्स से मिल रही कड़ी प्रतिस्पर्धा और ज्यादातर साधारण कहानियो और कला वाली कॉमिक्स के कारण तुलसी कॉमिक्स आख़िरकार बंद हो गई. इस प्रकाशन के प्रमुख किरदार थे अंगारा, तौसी, जम्बू, बाज़, योशो, योगा, आदि. इनके अलावा तुलसी कॉमिक्स नई और जनरल कहानियो पर कॉमिक्स प्रकाशित करती थी जो भूत - प्रेत, राजा - रानी, पौराणिक, जादू - टोना, तिलिस्म, आदि पर आधारित होती थी. तत्कालीन प्रतिस्पर्धा मे बाकी कॉमिक प्रकाशन मुख्य किरदारों को जोड़ियों मे निकालने का फार्मूला लाये थे जैसे मनोज कॉमिक्स ने राम-रहीम, अमर-अकबर, सागर-सलीम, आदि सीरीज प्रकाशित की, डायमंड कॉमिक्स ने चाचा-भतीजा, मोटू-पतलू, राजन-इकबाल, आल्तुराम-फाल्तुराम, आदि सीरीज निकाली. पर तुलसी कॉमिक्स ने ऐसी कोशिशे नहीं की.


साथ ही तुलसी कॉमिक्स की कोई 'self contained' (यानी एक कॉमिक मे पूरी होने वाली कहानी की) कॉमिक कम ही छपती थी. ऊपर से उनकी ज्यादातर कहानियो मे नयापन नही होता था. उनकी बहुत सी कॉमिक्स फिल्म्स, विदेशी उपन्यासों की कॉपी होती थी. तुलसी पॉकेट बुक्स से जुड़े कुछ उपन्यासकारों ने भी तुलसी कॉमिक्स के लिए कहानियाँ भी लिखी है जिनमे सबसे प्रमुख है मेरठ के जाने माने लेखक श्री वेद प्रकाश शर्मा. उन्होंने मुख्यतः जम्बू सीरीज के लिए काम किया. जो भी हो तुलसी कॉमिक्स के रूप मे भारतीय कॉमिक उद्योग के एक स्तंभ का दुखद अंत हुआ. आशा है की आगे ऐसे कई कॉमिक प्रकाशनों के साथ कॉमिक्स का स्वर्णिम युग ज़रूर लौटकर आएगा.


नमस्ते! इस ब्लॉग परिवार के सभी सदस्यों और इसके पाठको को. मेरा नाम मोहित शर्मा है और मै लखनऊ, उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ. मै इक्कीस वर्षीय परास्नातक छात्र हूँ. बाकी जानकारी आगे देता रहूँगा.