Tuesday, December 24, 2013

वो ज़हन मे जिंदगी जीते रहेंगे! - मोहित शर्मा (ज़हन)

नमस्ते!

वैसे तो कुछ साल पहले कि कविता है पर इसमें हास्य भाग ख़ास Comics Fest India 2013 के लिए जोड़ा था। अभिनेता शिवा जी आर्यन ने बस एक-दो बार में इसको याद कर के स्टेज पर अपने एक्ट से पहले बोला।  देखें आप इनमे से कितने अमर किरदारो को पहचान पातें है।

साथ ही जोड़ रहा हूँ अंसार अख्तर जी और हवलदार बहादुर को ट्रिब्यूट देती यह आर्ट जिसको मैंने अथर्व ठाकुर और युधवीर सिंह के साथ तैयार किया है। 



वो ज़हन मे जिंदगी जीते रहेंगे! 

इंसानियत के जज्बे को जागते रहेंगे।
सुनी है रात के अन्धकार मे कुत्तो की गुर्राहट ?
और कब्र पर प्रिंस की कर्कशाहट ?
या दिल्ली की छत के नीचे अपराध की दस्तक ?
महसूस किये है जासूस सर्पो के मानसिक संकेत ?
या सूचना देता कमांडो फोर्स का कैडेट ?
झेला है जंगल मे किसी निर्बल पर अत्याचार ?
या सुनी है किसी अबला की करुण पुकार ?
ली है राजनगर पुलिस हेडक्वाटर से प्रेषित कोई ज़िम्मेदारी ?
या मिला है रोशन सुरक्षा चक्र के पीछे इंतज़ार करता कोई वर्दीधारी?
जब तक अपराध होते रहेंगे,
पन्नो मे कैद ही सही,
ये सभी किरदार इंसानों मे जिंदा होकर इंसानियत के जज्बे को जागते रहेंगे। 

मिली है कभी किसी से अनचाही पुच्ची?
या फटते देखा है किसी के गुस्से से ज्वालामुखी? 
मनाया है क्या किटी पार्टी को मेला?
या पाया है किसी ने दर्जन बच्चो वाला चेला?
खायी है क्या किन्ही चार फ़ुटियों से लातें?
या बड़े ध्यान से सुनी किसी कि छोटी-छोटी मगर मोटी बातें? 
बोले कहीं एक कुपोषित जासूस ने धावे,
या किसी हवलदार के हवालात मे सड़ाने के दावे? 
खुद को जीनियस क्यों समझता एक बुद्धू बच्चा सिंगल पसली?
या साथ रहा कभी आजकल के नेताओ का पूर्वज असली?
और एक बिना बात धर्मार्थ करने वाले क्यूट अंकल जी.… 
जब तक लोग जीवन से बोर होने लगेंगे .... 
पन्नो मे कैद ही सही,
ये किरदार अंतर्मन में जीवित हो हमे गुदगुदाते रहेंगे।

1 comment:

  1. वाह वाह.. बेहतरीन कविता के साथ हवलदार बहादुर.

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