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Tuesday, November 15, 2016

कलाकार श्री सुरेश डिगवाल

मेरे एक कलाकार-ग्राफ़िक डिज़ाइनर मित्र ने मुझसे शिकायत भरे लहज़े में कहा कि मैं अक्सर भारतीय कॉमिक्स कलाकारों, लेखकों के बारे में कम्युनिटीज़, ब्लॉग्स पर चर्चा करता रहता हूँ पर मैंने कभी सुरेश डिगवाल जी का नाम नहीं लिया। मैंने ही क्या अन्य कहीं भी उसने उनका नाम ना के बरारबर ही देखा होगा। वैसे बात में दम था, अगर एक-दो सीजन का मौसमी कलाकार-लेखक होता तो और बात थी पर सुरेश जी ने डोगा, परमाणु, एंथोनी जैसे किरदारों पर काफी समय तक काम किया। उसके बाद भी कैंपफायर ग्राफ़िक नोवेल्स, पेंगुइन रैंडम हाउस, अन्य कॉमिक्स, बच्चो की किताबों और विडियो गेम्स में उनका काम आता रहा। अब सुरेश जी गुड़गांव में जेनपैक्ट कंपनी में एक कॉर्पोरेट लाइफ जी रहे हैं।
जहाँ तक उनपर होने वाली इतनी कम चर्चा की बात है उसपर मेरी एक अलग थ्योरी है। जिसको तुलनात्मक स्मृति थ्योरी कहा जा सकता है। किसी एक समय में एक क्षेत्र में जनता ज़्यादा से ज़्यादा 4 नाम ही याद रख पाती है (बल्कि कई लोगो को सिर्फ इक्का-दुक्का नाम याद रहते हैं)। उन नामो के अलावा उस क्षेत्र में सक्रीय सभी लोग या तो लम्बे समय तक सक्रीय रहें या फिर उन नामो को नीचे धकेल कर उनकी जगह लें। भाग्य और अन्य कारको से अक्सर कई प्रतिभावान लोग उस स्थान पर नहीं आ पाते जिसके वह हक़दार होते हैं, ओलंपिक्स की तरह दशमलव अंको से छठवे, सातवे स्थान या और नीचे स्थान पर रह जाते है जहाँ आम जनता स्मृति पहुँच नहीं पाती। सुरेश जी का दुर्भाग्य रहा कि एक समय वह इतना सक्रीय रहते हुए भी प्रशंसको के मन में बड़ा प्रभाव नहीं छोड़ पाए। 
उनकी इंकिंग, कलरिंग जोड़ियों पर टिप्पणी नहीं करूँगा पर मुझे उनकी शैली पसंद थी। मुझे लगता है अगर वह कुछ और प्रयोग करते, कुछ भाग्य का साथ मिल जाता तो आज मुझे अलग से उनका नाम याद ना करवाना पड़ता। एक वजह यह है कि बहुत से कलाकारों को अपना प्रोमोशन करना अच्छा नहीं लगता, इन्टरनेट-सोशल मीडिया की दुनिया से दूरी बनाकर वो अपनी कला में तल्लीन रहते हैं। खैर, कॉमिक्स के बाहर एक बहुत बड़ी दुनिया है जहाँ सुरेश डिगवाल जी कला निर्देशन, एनिमेशन, चित्रांकन, विडियो गेम्स, ग्राफ़िक डिजाईन और शिक्षा में अपना योगदान दे रहे हैं। आशा है आगे हम सबको उनका काम निरंतर देखने को मिलता रहेगा।
अधिक जानकारी के लिए इन्टरनेट पर सुरेश जी की ये मुख्य प्रोफाइल्स और पोर्टफोलियो हैं -

- ज़हन

Wednesday, January 19, 2011

उफ्फ़ ये डोगा का सिनेमा भी ना..


यह ना तो फिल्मी गॉसिप है और ना ही भारतीय कामिक्स प्रेमियों के लिए सनसनी.. यह तो मात्र एक ऐसे कामिक्स प्रेमी की व्यथा है जो भारतीय कामिक्स कैरेक्टर को सिल्वर स्क्रीन पर देखना चाहता है..

पिछले लगभग दो सालों से सुन रहा हूँ कि अनुराग कश्यप जी डोगा को सिल्वर स्क्रीन पर उतारना चाहते हैं.. जब मैंने यह पहली दफे सुना था तब मन में सबसे पहला सवाल यही उठा था की कौन सा भारतीय अभिनेता शारीरिक तौर से इतना फिट है, फिर पता चला कि कुनाल कपूर को इसके लिए चुना गया है और वह जीतोड मेहनत भी कर रहे हैं ऐसा उनके ही किसी Interview में पढ़ा भी.. कई अन्य सवालों में से एक प्रमुख सवाल मेरे मन में आया था, वह यह कि मोनिका का रोल कौन करेगी? क्या मुंबई के गटर के भीतर सच में इतनी जगह होती है क्या जिसमें से डोगा आराम से आ-जा सके? और यक़ीनन जब अनुराग कश्यप सिनेमा बनाएंगे तो सूरज और मोनिका को पेड़ों के इर्द-गिर्द नाचते-गाते तो नहीं ही दिखाएँगे..

खैर यह सब भी होता ही रहेगा, और अनुराग जी पर इतना भरोसा तो जरूर है कि वह जब भी बनाएंगे तो वह एक क्लासिक चीज ही होगी.. मगर सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि आखिर दो साल से सुनते-सुनते अभी तक कहीं यह चर्चा क्यों नहीं सुना कि यह फ़िल्म बन रही है? हर जगह यही क्यों पढ़ने को मिलता है कि फ़िल्म बनेगी?

मैंने इस बाबत कुछ छानबीन की और पता चला कि अनुराग जी पूरे मन से इसे बनाने को तैयार हैं, मगर डोगा के कापीराईट को खरीदने के लिए पैसे को लेकर मामला अटक गया है.. और अभी गेंद राजा पाकेट बुक्स के पाले में है.. अब अंदर कि खबर क्या होगी यह तो अनुराग जी और संजय गुप्ता जी ही बताएँगे.. मगर मेरी समझ यही कहती है कि अगर इस पर सिनेमा बनती है और वह थोड़ी भी चर्चा पाती है तो इसका सीधा फायदा राजा पाकेट बुक्स को ही मिलेगा, क्योंकि मेरी जानकारी में राज कामिक्स(सनद रहे, राज कामिक्स राजा पाकेट बुक्स का ही एक हिस्सा है) का मुनाफा दिन-ब-दिन कम होता जा रहा है, और अगर यह सिनेमा सिल्वर स्क्रीन पर आती है तो यह हित रहे या फ्लॉप मगर इसका सीधा फायदा डोगा की कामिक्स की बिक्री को होगा.. और यक़ीनन उसकी बिक्री पहले से अधिक भी होगी..

खैर, मैं भी आप पाठकों की ही तरह इन्तजार में हूँ कि कब हमें यह सिनेमा सिल्वर स्क्रीन पर देखने को मिलता है..


आज के इस पोस्ट के साथ मैं यह भी बताना चाहता हूँ कि संजय गुप्ता जी के अनुरोध पर अब से इस ब्लॉग पर वैसा कोई भी कामिक्स आपको पढ़ने को नहीं मिलेगा जो फिलहाल बाजार में उपलब्ध है.. अभी जिस किसी पोस्ट में ऐसे लिंक उपलब्ध हैं उसके लिंक धीरे-धीरे Deactivate किया जा रहा है.. धन्यवाद..

Sunday, April 25, 2010

"खाकी और खद्दर" राजनीति का अपराधीकरण के बाद

मुझे राज कामिक्स कि सबसे बड़ी खूबी यह दिखती है कि अक्सर यह हमारे आस पास होने वाली ही किसी घटना को उठाकर कहानी का जाल बुनती है.. खासतौर से अगर डोगा या फिर इसके थ्रिल होरर कामिक्स कि बात करें तो आप यह जरूर पायेंगे.. जिस कारण से इसकी कहानियां अपने आस पास कि ही कोई कहानी कहती सी लगती है..

अभी कुछ दिन पहले मैंने Raj Comics पर एक होरर कामिक्स पढ़ी जिसका नाम था रोतडी.. इसमे हरियाणा और उसके आस पास के पंचायतो द्वारा ढाने वाले जुल्मो को लेकर कहानी आगे बढ़ाई गई थी और बाद में उसमे शन्नो चुड़ैल को जोड़ कर उस अन्याय के विरूद्ध खड़ा कर दिया गया था.. कुल मिलकर अगर कहूँ तो अक्सर यह महसूस होने लगता है कि काश असल जिंदगी में भी कोई डोगा या फिर अप्राकृतिक शक्ति आकर ऐसे ही हमें उन सामाजिक जुल्मो के विरोध में खड़ा होना सिखाए जो इन कामिक्स के नायक/नायिका करते हैं..

खैर, आज मैं यहाँ बताने आया हूँ खाकी और खद्दर के बारे में.. यह कामिक्स जिस समय आई थी उन दिनों गुजरात में हुए फर्जी एनकाउंटर को लेकर देश भर में बवाल मचा हुआ था.. पुलिस, मीडिया और राजनीतिज्ञ, सभी जगह सिर्फ वही मुद्दा छाया हुआ था.. इस कामिक्स कि शुरुवात भी होती है एक फर्जी एनकाउंटर से जो मुंबई के किसी हिस्से में हुई है और वह एक ऐसे पुलिस वाले कि करतूत थी जो अपने अन्डरवर्ल्ड के आकाओं को बचाने के लिए झूठी इन्फार्मेशन देकर वह फर्जी एनकाउंटर करवाता है.. बाद में जब वह पकड़ा जाता है तब वह राजनीति में घुस कर क़ानून को अपने इशारों पर नाचना शुरू कर देता है..

यह कामिक्स "शेर का बच्चा" का ही सिक्वेल है.. तो जाहिर सी बात है कि सूरज अब डोगा नहीं बनने कि राह पर निकल चुका है..(जानने के लिए पढ़े "शेर का बच्चा".. सूरज भी मोनिका और अन्य आम जनता कि तरह ही इस गुंडागर्दी का तमाशा देखना शुरू कर देता है.. सूरज फिर से डोगा क्यों और कैसे बना, यह आपको इस कामिक्स के जरिये जानने को मिलेगा..

अगर मेरी राय पूछे तो यह कामिक्स डायलोग और कहानी के नाम पर बेहद उम्दा है, हाँ मगर इसमे डोगा के एक्शन कि कमी जरूर खलेगी.. मेरी राय में इसकी रेटिंग चार है पांच में(****4/5)..

डाउनलोड लिंक - खाकी और खद्दर (भाग २)
संजय गुप्ता जी के अनुरोध पर डाउनलोड लिंक हटाया जा रहा है..


डाउनलोड लिंक - शेर का बच्चा (भाग १)
संजय गुप्ता जी के अनुरोध पर डाउनलोड लिंक हटाया जा रहा है..




डाउनलोड लिंक - खाकी और खद्दर (भाग २)
संजय गुप्ता जी के अनुरोध पर डाउनलोड लिंक हटाया जा रहा है..


डाउनलोड लिंक - शेर का बच्चा (भाग १)
संजय गुप्ता जी के अनुरोध पर डाउनलोड लिंक हटाया जा रहा है..


वैसे जब आप इस कामिक्स को डाउनलोड करके पढ़ना शुरू करेंगे तो पहले दो-तीन पृष्ठों पर पायेंगे कि मेरा नाम लिखा हुआ है, और कहीं "प्रशान्त डोगा" लिखा हुआ है.. असल में "शेर का बच्चा" और "खाकी और खद्दर" आने के बाद मैं डोगा का इतना बड़ा फैन हो गया था कि दीदी मुझे डोगा ही कह कर बुलाने लगी थी.. और वह हैंडराइटिंग भी मेरी दीदी कि ही है.. :)


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Saturday, April 24, 2010

शेर का बच्चा सूरज

इस कहानी का सारा ताना बना बुना गया है सूरज, डोगा, मोनिका, चीता, अदरक चाचा और चंद समाज के बेहिसाब दौलत और ताकत रखने वाले भेड़ियों पर.. डोगा के कम ही कामिक्स में ऐसे गजब की चित्रकारी, डायलॉग, एक्शन, इमोशन और सिक्वेंस एक साथ देखने को मिलेगा.. कुल मिला कर अगर मुझे इस कामिक्स को रेटिंग देने को कहा जाए तो मैं इसे पांच में चार दूँगा(****4/5)..

अब तक सूरज(नए आने वालों के लिए - सूरज ही डोगा है) को पता चल चुका होता है कि उसकी सोनू जो बीहड़ के घने जंगलों से भागते समय नदी कि धारा में बह गई थी वह मोनिका ही है, मगर मोनिका को यह नहीं पता होता है कि सूरज ही डोगा है.. मोनिका डोगा से बेहिसाब नफ़रत करती होती है, क्योंकि उसके हिसाब से डोगा का तरीका सही नहीं है.. उसका यह भी मानना होता है कि अगर सभी डोगा कि ही राह अपना लें तो इस समाज का कोई नाम लेने वाला भी बचा नहीं रहेगा..

मोनिका का भाई चीता को इस बात इल्म हो चुका था कि सूरज ही डोगा है, मगर अभी तक वह भी यह समझ चुका था कि इस समाज को डोगा कि जरूरत है.. घटनाक्रम कुछ ऐसा मोड़ लेती है कि डोगा को भी पता चलता है कि चीता उसका राज जान चुका है, और वह किसी भी कीमत पर अपना राज जानने वाले को जिन्दा नहीं छोड़ सकता है.. इसी जूनून में वह अपनी बन्दूक कि सारी गोली चीता के सीने में उतार देता है और वह भी मोनिका के सामने ही.. बाद में मोनिका को भी पता चल जाता है सूरज ही वह डोगा है जिसने अभी अभी उसके भाई को गोली मारी है.. इसी बीच अदरक चाचा डोगा और चीता-मोनिका के सामने दीवार बन कर सामने आ जाते हैं..

कुल मिला कर इस जबदस्त कामिक्स को पढ़ना ना भूलें.. और कुछ नहीं तो मेरी बात पर भरोसा करें कि "यह कामिक्स जबरदस्त है"..

चलते चलते बताता चलूँ, कि यह मेरे द्वारा स्कैन करके नेट पर अपलोड की जाने वाली पहली कामिक्स थी.. जो डोगा कि नेट पर उपलब्ध पहली ई-कामिक्स भी थी.. :)

डाउनलोड लिंक : शेर का बच्चा
संजय गुप्ता जी के अनुरोध पर डाउनलोड लिंक हटाया जा रहा है..




डाउनलोड लिंक : शेर का बच्चा
संजय गुप्ता जी के अनुरोध पर डाउनलोड लिंक हटाया जा रहा है..



आगे आने वाले कामिक्स के नाम :
  • खाकी और खद्दर (डोगा)

  • खूनी खानदान (ध्रुव)

  • अतीत (ध्रुव)

  • जिग्सा (ध्रुव)


एक दफ़े ये सभी पोस्ट हो जाने के बाद नागराज के उन कामिक्स को कुरेदा जायेगा जो नागराज कि शुरुवाती कामिक्स थी और अब बाजार में भी उपलब्ध नहीं है.. :)

Friday, August 28, 2009

अनुराग कश्यप और छः फिल्मी सितारे डोगा के रोल के लिये रेस में

क्या आपको पता है, डोगा के ऊपर बनने वाले सिनेमा जिसे अनुराग कश्यप डायरेक्ट कर रहे हैं, अनुराग कश्यप जी ने शुरूवात में छः फिल्मी सितारों में से किसी एक का चुनाव करने के बारे में सोचा.. मगर अंत में बात बनी कुनाल कपूर को लेकर.. कुनाल कपूर को लेकर अनुराग कश्यप इसलिये सहमत हुये क्योंकि वह अभी तक किसी भी ऐसे रोल में बंधे नहीं है जिसकी छवी डोगा के ऊपर हावी हो सके..

आज ही किसी साईट पर मैं पढ़ रहा था कि कुनाल इसके लिये आजकल अपना शरीर बनाने को लेकर खूब मेहनत भी किये जा रहे हैं.. दुर्भाग्य वश वह लिंक मुझसे खो गया और मैं उस खबर की लिंक यहां नहीं लगा पा रहा हूं..

अभी फिलहाल आप यह पांच उन फिल्मी सितारों का डोगा के ऊपर बना कार्टून देखें जिसे मैंने इस लिंक से लिया है.. आप इस लिंक पर जाकर इस बारे में कुछ मशालेदार खबर भी पढ़ सकते हैं..



शाहरूक खान डोगा के रूप में



सनी देओल डोगा के रूप में.. मुझे सबसे ज्यादा हंसी इस कार्टून को लेकर आयी, क्योंकि सनी देओल के पापा यानी धरम पा जी का ही एक डायलॉग बहुत प्रसिद्ध है, "कुत्ते-कमीने, मैं तुम्हारा खून पी जाऊंगा.." और डोगा को कुत्तों से बहुत प्यार जो है.. ;)



आमिर खान डोगा के रूप में.. वैसे आमिर खान का गजनी रूप भी बढ़िया लगा.. :D



अक्षय कुमार डोगा के रूप में.. ये बेचारे तो डोगा बन कर भी थम्स अप के पीछे ही भागते रहेंगे.. :D



अभिषेक बच्चन डोगा के रूप में.. और अभिषेक बच्चन का द्रोणावतार के बारे में आप क्या कहते हैं? :)


आज बहुत दिनों बाद इस ब्लौग पर लिखने बैठा हूं.. इस चिट्ठे को मैं लगभग भूल सा ही गया था, मगर पिछले दो-तीन दिनों से देखा कि इसके ट्रैफिक में अचानक से कुछ तेजी आई.. स्टैट काऊंटर पर जाकर पता किया तो पता चला यहां ढ़ेर सारे नये लोग राज-कामिक्स के साईट से आ रहे हैं.. उस लिंक पर जाने पर पता चला कि वहां मेरे इस ब्लौग के चर्चे हो रहे हैं जिसे मैंने लगभग चार महिनों से अपडेट भी नहीं किया है.. मगर अब से मेरी कोशिश यही रहेगी कि मैं लगातार इस पर भी अपने एक अन्य ब्लौग कि तरह ही बना रहूं..

अगर आप मेरे दूसरे बलौग को पढ़ना चाहते हैं तो आप इस लिंक पर जा सकते हैं..

Saturday, August 30, 2008

बेसी डोगा-डोगा मत चिल्लाईये

हम आपके कामिक मित्र हैं आलोक भैया। हम तो बस आपके लिये एक तोहफा लेकर आयें हैं। डोगा की शुरूवाती तीनों कामिक्स का कवर, जिससे आप डोगा के उपर और भी बढिया पोस्ट लिख सकें, और जैसा चाहें वैसा पोस्ट कामिक्स के उपर ठेलते रहें। आप अपने पहले ही पोस्ट से डोगा-डोगा चिल्लाये हुये हैं। अब बेसी मत चिल्लाईये। प्रताप मुलीक जी की मौलिक तस्वीर के साथ। वैसे आपकी जानकारी के लिये हम आपको बताते जाते हैं की डोगा के बहुते बड़े पंखा हमउ रह चुके हैं.. :)


पहली कामिक्स - कर्फ़्यू


दूसरी कामिक्स - ये है डोगा


तीसरी कामिक्स - मैं हूं डोगा

Thursday, August 28, 2008

Brilliant Doga Covers by Manu

Some Beautiful Doga Covers, that I tried to upload with yesterday's post but was unable to do so, I am trying again to upload them here. I know it's not a Doga Fan Blog, so wont be flooding it with more Doga Stuff. Will be writing something on unknown or long forgotten Indian Comic Books Characters soon. Till then enjoy these covers by Manu.