मुझे राज कामिक्स कि सबसे बड़ी खूबी यह दिखती है कि अक्सर यह हमारे आस पास होने वाली ही किसी घटना को उठाकर कहानी का जाल बुनती है.. खासतौर से अगर डोगा या फिर इसके थ्रिल होरर कामिक्स कि बात करें तो आप यह जरूर पायेंगे.. जिस कारण से इसकी कहानियां अपने आस पास कि ही कोई कहानी कहती सी लगती है..
अभी कुछ दिन पहले मैंने Raj Comics पर एक होरर कामिक्स पढ़ी जिसका नाम था रोतडी.. इसमे हरियाणा और उसके आस पास के पंचायतो द्वारा ढाने वाले जुल्मो को लेकर कहानी आगे बढ़ाई गई थी और बाद में उसमे शन्नो चुड़ैल को जोड़ कर उस अन्याय के विरूद्ध खड़ा कर दिया गया था.. कुल मिलकर अगर कहूँ तो अक्सर यह महसूस होने लगता है कि काश असल जिंदगी में भी कोई डोगा या फिर अप्राकृतिक शक्ति आकर ऐसे ही हमें उन सामाजिक जुल्मो के विरोध में खड़ा होना सिखाए जो इन कामिक्स के नायक/नायिका करते हैं..
खैर, आज मैं यहाँ बताने आया हूँ खाकी और खद्दर के बारे में.. यह कामिक्स जिस समय आई थी उन दिनों गुजरात में हुए फर्जी एनकाउंटर को लेकर देश भर में बवाल मचा हुआ था.. पुलिस, मीडिया और राजनीतिज्ञ, सभी जगह सिर्फ वही मुद्दा छाया हुआ था.. इस कामिक्स कि शुरुवात भी होती है एक फर्जी एनकाउंटर से जो मुंबई के किसी हिस्से में हुई है और वह एक ऐसे पुलिस वाले कि करतूत थी जो अपने अन्डरवर्ल्ड के आकाओं को बचाने के लिए झूठी इन्फार्मेशन देकर वह फर्जी एनकाउंटर करवाता है.. बाद में जब वह पकड़ा जाता है तब वह राजनीति में घुस कर क़ानून को अपने इशारों पर नाचना शुरू कर देता है..
यह कामिक्स "शेर का बच्चा" का ही सिक्वेल है.. तो जाहिर सी बात है कि सूरज अब डोगा नहीं बनने कि राह पर निकल चुका है..(जानने के लिए पढ़े "शेर का बच्चा".. सूरज भी मोनिका और अन्य आम जनता कि तरह ही इस गुंडागर्दी का तमाशा देखना शुरू कर देता है.. सूरज फिर से डोगा क्यों और कैसे बना, यह आपको इस कामिक्स के जरिये जानने को मिलेगा..
अगर मेरी राय पूछे तो यह कामिक्स डायलोग और कहानी के नाम पर बेहद उम्दा है, हाँ मगर इसमे डोगा के एक्शन कि कमी जरूर खलेगी.. मेरी राय में इसकी रेटिंग चार है पांच में(****4/5)..
डाउनलोड लिंक - खाकी और खद्दर (भाग २)
संजय गुप्ता जी के अनुरोध पर डाउनलोड लिंक हटाया जा रहा है..
डाउनलोड लिंक - शेर का बच्चा (भाग १)
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वैसे जब आप इस कामिक्स को डाउनलोड करके पढ़ना शुरू करेंगे तो पहले दो-तीन पृष्ठों पर पायेंगे कि मेरा नाम लिखा हुआ है, और कहीं "प्रशान्त डोगा" लिखा हुआ है.. असल में "शेर का बच्चा" और "खाकी और खद्दर" आने के बाद मैं डोगा का इतना बड़ा फैन हो गया था कि दीदी मुझे डोगा ही कह कर बुलाने लगी थी.. और वह हैंडराइटिंग भी मेरी दीदी कि ही है.. :)
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डोगा सिरीज़ का एक और शानदार कॉमिक्स. हालाँकि मेरा पसंदीदा डोगा कॉमिक्स ७८६ थी , क्यूंकी वह रियलिस्टिक थी और शुरुआती सीन तो [ डॉक्स पर हफ़्ता वसूली वाला ] अमिताभ बच्चन की दीवार फिल्म से लिया गया :) , खैर इस कॉमिक्स में मोनिका का अपीयरेन्स काफ़ी कुछ स्पाइडरमॅन की मेरी जेन जैसा लगा. ध्रुव की नताशा के बाद यही कॉमिक्स की नायिका है जो मुझे अच्छी लगी . आपकी नागराज सिरीज़ के लेखों की प्रतीक्षा रहेगी.
ReplyDeleteमैं डोगा का इतना बड़ा फैन हो गया था कि दीदी मुझे डोगा ही कह कर बुलाने लगी थी..
ReplyDeleteहम समझ गए अपने मुह मिया मिट्टू बनना चाहते हो, हम नहीं कहेंगे आपको ..-''शेर का बच्चा '
muje bhi doga bahut pasand hai
ReplyDeleteबहुत अच्छी कॉमिक थी ये. ये राज कॉमिक्स मे वो चरण था जब वो नागराज, ध्रुव, बांकेलाल, परमाणु और भोकाल के बाद राज कॉमिक्स टीम डोगा और भेड़िया को बेस्ट सेलर बनाना चाहती थी. भेड़िया की कमान लेखन और चित्रांकन मे धीरज वर्मा जी ने अकेले ही संभाल ली....बाकी डोगा को संभाला खुद संजय गुप्ता जी ने. उनकी मेहनत सामने है...बाकी किरदार तो किनारे हो गए...अब नागराज, ध्रुव और डोगा ही राज कॉमिक्स के बेस्ट सेलिंग किरदार है सही मायनों मे. अब तो डोगा पर अनुराग कश्यप फिल्म भी बनायेंगे.
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