बात सन् 1994 की है.. मैं उस समय 13 साल का था और चक्रधरपुर(जो अब झारखंढ में है) में रहता था.. उसी समय मेरे छोटे चाचाजी कि शादी तय हुयी थी और इंगेजमेंट के लिये मुझे और मेरे पापाजी को पटना से होते हुये दरभंगा जाना था.. हमें पटना के लिये ट्रेन पकड़ने के लिये पहले चक्रधरपुर से जमशेदपुर जाना था और वहां से पटना के लिये ट्रेन पकड़नी थी.. हम इस्पात एक्सप्रेस से घंटे भर में समय से जमशेदपुर पहूंच गये.. हमारे पास अभी भी 1 घंटे का समय था.. जैसा कि मैं पहले भी बता चुका हूं कि बचपन में हम बच्चों को कामिक्स खरीदने कि सख्त मनाही थी, मगर हमें ट्रेन में कामिक्स खरीदते समय मना नहीं किया जाता था.. सो इस मौके को मैं गवाना नहीं चाहता था और पहूंच गया कामिक्स के स्टॉल पर..
वहां नयी-नयी कामिक्स "मैंने मारा ध्रुव को" स्टॉल पर टंगी हुई थी.. मैंने आव ना देखा ताव और झट से कामिक्स खरीद ली.. ये भी नहीं देखा कि इसका कोई अगला भाग तो नहीं है? ये भी नहीं सोचा कि अगर इसका अगला भाग भी होगा तो वो कभी पढ़ने को मिलेगा या नहीं.. मैं उचक कर ट्रेन में अपने जगह पर बैठकर कामिक्स पढ़ने लगा, और जब तीन कहानी खत्म हो गयी फिर जाकर पता चला कि ये तो आधी ही है.. और फिर उदास हो गया.. ये उदासी ज्यादे देर तक नहीं रही क्योंकि अपने चाचाजी की इंगेजमेंट में जो जा रहा था..
"हत्यारा कौन" कामिक्स मुझे पटना आने के बाद शायद सन् 1997 में पढ़ने को मिली.. मगर इसका रोमांच तब तक कम नहीं हुआ था.. :)
चलते-चलते कुछ इन कामिक्स की भी बात कर ली जाये.. मेरी नजर में यह दोनों ही कामिक्स ध्रुव के कामिक्स का मील का पत्थर कहा जा सकता है, जिसमें रोमांच अंत तक बना रहता है.. शुरूवात होते ही एक बड़ा झटका लगता है कि ध्रुव मर कैसे गया, मगर मन में यह बात भी रहती है कि नायक कभी मरता नहीं, और एक विश्वास भी मन में होता है कि वो अंत में वापस जरूर आयेगा.. इन दोनों कामिक्स का प्रमुख किरदार "कंकालतंत्र" ही-मैन के कामिक्स का "स्केलेटन" का नकल भर ही है जिसके पास काफी कुछ उसी के जैसी शक्तियां भी है.. मगर फिर भी कहानी काफी चुस्त है.. दो कामिक्स में छः कहानियों को पढ़ने का अनुभव भी अलग ही है.. इसमें ध्रुव के लगभग सारे खलनायकों को एक जगह इकट्ठा किया गया है जिसमें वैज्ञानिकों के साथ-साथ तंत्र-मंत्र सम्राट चंडकाल भी है.. फिलहाल पूरी कहानी जानने के लिये आप यह कामिक्स डाऊनलोड करके पढ़िये.. :)
लिंक
मैंने मारा ध्रुव को का डाऊनलोड लिंक
हत्यारा कौन का डाऊनलोड लिंक
डाऊनलोड करने के लिये आप तस्वीर पर भी क्लिक कर सकते हैं..
संजय गुप्ता जी के अनुरोध पर डाउनलोड लिंक हटाया जा रहा है..
डाउनलोड कर लिए हैं। पढ़ने पर बताते हैं कैसे हैं। ध्रुव से ऐसा तादात्म्य स्थापित नहीं हो सका था जैसा वेताल और मैण्ड्रेक से था।
ReplyDeleteदिनेश जी, दर असल बात यह है कि जब आप छोटे रहे होंगे तब वेताल और मैन्ड्रेक का समय था.. और जब मैं छोटा था तब ध्रुव और नागराज जैसे भारतीय कैरेक्टर बाजार में दिखने लगे थे.. ये एक तरह का जेनरेशन गैप था जिसे मैंने बड़ा होने के बाद पाटा.. मेरा यह मानना है कि वेताल और मैन्ड्रेक एक शिखर पर पहुँच चुके हैं और ध्रुव, नागराज और दोगा जैसे कैरेक्टर अभी उस शिखर तक पहुँचने कि राह पर हैं.. कई लोगों का मानना है कि ये एक तरह का विदेशी कैरेक्टर का नक़ल है.. मगर मैं ख़ास करके ध्रुव को लेकर इससे सहमत नहीं हूँ..
ReplyDeleteवैसे आपके रिव्यू के इंतजार में हूँ.. :)
कृपया दोगा को डोगा पढें.. :)
ReplyDeletevaey nice blog yaar keep it up
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ReplyDelete@ R.P.Sahana - धन्यवाद सहाना जी.. मैं भी आपके द्वारा हिंदी में किये गये पोस्ट के इंतजार में हूं.. आप आराम से अभी पढ़ाई किजिये.. जब छुट्टियों में घर जाना होगा तब आराम से कामिक्स डाऊनलोड करके पढ़ियेगा.. तब तक कामिक्स के साथ जुड़े हुये कुछ अन्य तथ्य एवं कहानियों के मजें लें.. :)
ReplyDeleteलिंक काम नहीं कर रहे है. क्या फिर से उन्हें पोस्ट कर सकते हैं?
ReplyDeleteमाफ़ करना दोस्त. संजय गुप्ता जी के आग्रह पर मैंने ही लिंक डीजेबल कर दिया.
Deleteकौन है ये संजय गुप्ता? LINKS क्यों DISABLE करवा रहा है | ये कॉमिक्स किसीके बाप का माल नहीं है जो उनपे हक जताएं!
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