भाग एक :

नागायण...और फिर नेगेटिव्स! ये 'न' से शुरू होने वाली कॉमिक्स काफी फैल कर बैठना पसंद करती हैं। ये जो चित्र साथ में अपलोडेड हैं ये पोस्ट की खूबसूरती बढाने के लिए नहीं है। इसमें एक ख़ास बात है। ...तो 'अवशेष' सीरीज के बाद हम लोग एक नए शाहकार की तलाश में थे। ये आईडिया संजय गुप्ता जी का था कि इस बार 10,000 के बजाए 1 लाख वाली लड़ी छुटाई जाए। 55 पेजों के तीन कॉमिक की सीरीज बनाने के बजाए क्यों न एक ही 160 पृष्ठों क़ी कॉमिक बनाई जाए। संजय जी का तो आग्रह ही मेरे लिए आदेश होता है, और आईडिया तो नवीनता से परिपूर्ण था ही, इसीलिए मैंने भी लम्बी सांस बाद में ली और हाँ पहले किया। न कांसेप्ट था उस वक़्त तक, न कांसेप्ट का अता-पता! नाम का तो पूछो ही मत! बस ये तय था कि कॉमिक मल्टी-स्टारर होगी। नागराज, ध्रुव और डोगा के साथ और कौन से ब्रह्माण्ड-रक्षक होंगे, इसका जिम्मा भी मेरे कन्धों पर डाल दिया संजय जी ने! फिर भी मैंने उनकी व्यक्तिगत पसंद जानने को जोर डाला तो उन्होंने कहा कि हो सके तो तिरंगा को इसमें शामिल कर लें। तो तिरंगा शामिल हो गया....और क्या शामिल हुआ!!
भाग दो :

भाग तीन :

तो दोस्तों, इसका आखिरी अंक अनुपम जी द्वारा लिखते ही मैं इसे उस चौथे अंक के साथ अपडेट कर दूंगा. तब तक के लिए अलविदा |