डेक्सटर की कहानी के बीच में रुकावट के लिए खेद है।
पर ख़बर ही कुछ ऐसी है कि मुझे कहानी के बीच मे ना चाहते हुए भी टपकना पड़ा। मैं आज दोपहर डिस्नी इंडिया के ऑफिस में बैठा हुआ अपने पुराने सहकर्मियों के साथ बातें ही कर रहा था कि इस बड़ी ख़बर की उद्घोषणा हुयी डिस्नी ने मार्वेल कॉमिक्स को टेकओवर कर लिया है, वह भी पूरे चार बिलियन अमेरिकन डॉलर्स में। याने पता नहीं कब आपको मिकी माउस की कहानी में स्पाईडी की झलक मिल जाए या किसी फ़िल्म में डोनाल्ड डक और हॉवर्ड डक गलबहियां डाले घूमते नज़र आयें।
मजाक दरकिनार रखते हुए मैं बताना चाहूँगा कि एक कंपनी के तौर पर डिस्नी ने इससे पहले भी कई ऐसे टेकओवर्स किए हैं जिन्हें देख कर लोगो ने दाँतों तले उंगलियाँ दबा ली थी। यदि मैं आपसे कहूँ डिस्नी ने क्विनटीन टेरेंटिनो की सभी फिल्में जैसे कि पल्प फिक्शन इत्यादि का निर्माण किया है या कहूं कि कई अडल्ट शोज़ जैसे डेस्परेट हाउसवायिव्ज़, lost या Ugly Betty इत्यादि भी डिस्नी द्वारा निर्मित हैं तो क्या आप यकीन करेंगे? जी हाँ यह बिल्कुल सच है क्योंकि डिस्नी ने मनोरंजन के किसी भी रूप को नई दिशा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी और यही कारण है कि कई बड़ी कंपनियाँ जैसे कि Touchstone, MIRAMAX या abc, espn इत्यादि डिस्नी के अर्न्तगत आने वाली कई कम्पनियों में से कुछ एक हैं। डिस्नी को सिर्फ़ एनीमेशन या बच्चों के लिए बनने वाले कार्यक्रमों वाली कंपनी समझने की भूल हम सब करते हैं पर डिस्नी दरअसल जैसी दिखती है उससे कहीं ज़्यादा विस्तृत कंपनी है। और इस अति विस्तृत कंपनी का हिस्सा बन कर मार्वेल कॉमिक्स अब कैसी ऊँचाइयाँ छुयेगी ये तो आनेवाला समय ही बताएगा पर फिलहाल इस ख़बर से मीडिया जगत के बड़े बड़े दिग्गजों की नींदें उड़ गई हैं।
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रात का समय.. घनघोर अंधेरा.. डेक्सटर अपने बिस्तर पर बैठा डर से कांप रहा है.. खिड़की के बाहर बिजलियां कड़क रही है.. किसी अनहोनी की आशंका से डेक्सटर का जी घबराया हुआ है.. वह थोड़ी देर पहले हुई उस भयानक घटना के बारे में सोच रहा था जो उसके और उसकी बड़ी बहन डीडी के साथ घटा था..
उसके घर की गोल्ड फिश कैसे पानी में ही तड़प-तड़प कर मर गई थी.. उसे जहां तक पता था उसके मुताबिक मछली को पानी से बाहर निकालने पर ही मरती है, क्योंकि वह पानी के बाहर सांस नहीं ले पाती है.. मगर यह तो पानी के अंदर ही मर गई.. ऐसा कैसे संभव है? जरूर इसके पीछे भी विज्ञान का ही कोई सिद्धांत काम कर रहा होगा जिसके बारे में किसी को पता नहीं.. और अगर वह इसकी खोज करता है तो संभव है कि उसे नोबल पुरस्कार भी मिल ही जाये..
आईये, आगे जानने से पहले मैं अपना और अपनी बुद्धु बहन डीडी का परिचय दे देता हूं..
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मैं डेक्सटर छः साल का एक बच्चा हूं जिसका दिमाग किसी वैज्ञानिक से कम नहीं है और मैं हमेशा अपनी सीक्रेट लैबोरेटरी में ही काम करता रहता हूं.. मैंने यह लैब अपने घर के नीचे बना रखा है जिसके बारे में मेरे घर में मेरे अलावा सिर्फ डीडी को ही पता है.. और वह बुद्धु डीडी हमेशा यहां आकर मेरा समय बरबाद करती रहती है..
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डीडी!! हां, यही नाम है उस बुद्धु लड़की का जो मेरी बहन भी है वो आठ साल की है.. उसे कुछ नहीं आता है.. वो हमेशा मेरे लैब में घुसकर मुझे परेशान करती रहती है.. जितना स्कूल में पढ़ाई होती है बस उतना ही पढ़ती है, और बाकी समय वह बस खेल-कूद, नाच-गाने में ही लगी रहती है..
हां तो मैं फिर आता हूं अपने उस गोल्ड फिश की कहानी पर.. यूं तो मैं हमेशा साईंस के बारे में ही सोचता हूं और कहानियों की बाते नहीं करता हूं, मगर क्या करूं वह रात थी ही अजीब.. कल रात जब हमारे गोल्ड फिश की मौत हुई तो मैं और डीडी बहुत दुखी हुये.. हमारे मम्मी-डैडी भी बहुत दुखी थे.. खैर रात हो चुकी थी और वे दोनों सोने चले गये थे.. उनके जाने से पहले मैंने उनसे पूछा कि इस गोल्ड फिश की लाश का क्या किया जाये? डैडी ने कहा, "कुछ नहीं डेक्सटर, बस इसे फ्लश कर दो..
मैंने मछली को उठाया और रेस्टरूम की ओर बढ़ चला.. मैंने देखा डीडी भी मेरे पीछे-पीछे चली आ रही थी.. उसे भी मछली के मरने का बहुत दुख हुआ था..
क्रमशः...