Tuesday, October 6, 2009

चित्रकथा : कॉमिक्स को समर्पित एक अनूठा प्रयास

Aabid Surti (Lekhak : Bahadur, Shooja ityadi) ke saath Chitrakatha Project
चित्रकथा याने भारतीय कॉमिक्स। चित्रकथा याने चित्रों के माध्यम से कथा कहने का प्रयास । चित्रकथा याने बचपन की वे रंगबिरंगी पुस्तकें जिनमें खो जाने के बाद समय और स्थान (अंग्रेज़ी मे कहें तो space-time) का भान ही नहीं रह जाता। जहाँ कुछ उन पुस्तकों को भारी पढाई की पुस्तकों के बीच भूल कर आगे बढ़ गए वहीँ कुछ उनके इस मायाजाल में सदा इस तरह फंसे रहे कि उनके लिए शायद ये दुनिया और उनके अंतर्मन के बीच संबोधन का जरिया बन गई। मैं दूसरे किस्म के लोगों में हूँ, और यह देख कर बड़ा अच्छा लगता है कि इस प्रजाति के लोगों की कमी नहीं है, और जो इस प्रजाति के लोग हैं वे इस तरह के कई ब्लोग्स या चर्चाओं में बचपन की इन पुस्तकों की यादें उन तक भी ले जाते हैं जिनके मन के किसी कोने में वो बचपन अब भी छिपा है और एक मुस्कान मात्र से कॉमिक्स भाईचारे के रिश्ते में सभी बंध जाते हैं। बचपन का मोहक इंद्रजाल है ही कुछ ऐसा...

ऐसे में हमारे मन में विचार आया कि जहाँ आज भी इन पुस्तकों के इतने प्रसंशक मौजूद हैं और इन पुस्तकों की इतनी मांग है ब्लोग्स पर और ऑनलाइन फोरम्स पर क्या हम सच में इनके रचयिता इनके लेखकों और कलाकारों को सही तरीके से पहचानते हैं। इक्का दुक्का लोगों को नाम याद होंगे पर क्या इन पन्नों के पीछे की वे कहानियाँ पता हैं जिनमें छुपी है बरसों की मेहनत, कड़ा संघर्ष और कला के इस उपेक्षित माध्यम के साथ एक ममत्व भरा लगाव? इस विचार को और बल मिला लोगों की आपस में की जाने वाली बातों से जहाँ लोग बड़े चाव से आर्टिस्ट्स के बारे में बात करके एक दूसरे से जानना चाहते तो थे पर इसे कॉमिक्स जगत की विडम्बना कह लीजिये या दुर्भाग्य देश में कभी इस कला के इतिहास पर कोई प्रमाणिक पुस्तक या तथ्यपरक लेख कभी देखने को नहीं मिले...हमने आज से करीब पाँच वर्ष पूर्व इस विचार के साथ एक रिसर्च शुरू की और देश के कोने कोने में छिपे इन आर्टिस्ट्स को ढूंढ निकाला...जिनमें से आधे बुजुर्ग अब रिटायर्ड जीवन बिता रहे हैं...उनसे मिल कर उन्हें साक्षात्कारों के लिए मनाया (जो शायद इस सफर का सबसे दुस्कर कार्य था) चुन चुन कर उनके पुराने काम इकट्ठे किए, कहानियों के सूत्र जोड़े और इस तरह शुरू हुआ वह सफर जिसे आज हम चित्रकथा के नाम से पुकार रहे हैं।
चित्रकथा डॉक्युमेंटरी फ़िल्म समर्पित है उन महान कलाकारों को जिन्होंने जन्म दिया उन कॉमिक्स चरित्रों को जो आज भी भारतीय जनमानस की स्मृतियों में ताजे हैं पर वे ख़ुद जीते रहे एक गुमनामी भरा जीवन। हमारा प्रयास है कि कॉमिक्स फैन्स को आख़िर वो चेहरे देखने को मिलें जिन्होंने रचा था ये सारा मायाजाल कॉमिक्स का और गढे थे वे पात्र जिनकी स्मृति मात्र से बचपन कि सोंधी खुशबु आने लगती है। इस डॉक्युमेंटरी फ़िल्म में शामिल हैं आपके सभी प्रिय कलाकारों की वे कहानियाँ जिनमें आपको मिलेंगे अपने उन सारे सवालों के जवाब जो ये सारी कॉमिक्स पढ़ते समय आपके मन में उठा करते थे... चाचा चौधरी की प्रेरणा प्राण साहब को कहाँ से मिली? बहादुर का कार्यक्षेत्र चम्बल क्यों है? नागराज की कहानियों में बदलाव क्यों आए? राज कॉमिक्स किस तरह शुरू हुयी? मधुमुस्कान के किरदार मालिक साब की रचना कैसे हुयी...और भी ना जाने क्या क्या?

आप इस प्रोजेक्ट के विषय में और भारतीय कॉमिक्स के विषय में ढेर सारी जानकारियाँ पा सकते हैं हमारी डॉक्युमेंटरी के फेसबुक पेज पर जा कर, उसके लिए क्लिक करें यहाँ


और इस पेज से जुड़े रहने के लिए Become a Fan! कॉमिक्स ब्लोगर्स से विनम्र विनती, यदि वे भी अपने ब्लोग्स पर चित्रकथा का विजेट लगना चाहें तो उसका HTML Code पेज की तस्वीर के नीचे ही दिया हुआ है।

8 comments:

  1. Many many thanks sir ji, I am a big fan of comics, doesn't matter weather they are Diamond or Raj or Manoj or Tulsi or Indrazal.

    ReplyDelete
  2. सुबह सुबह डब्बूजी के दर्शन करवा दिए ,हृदय से आभार।अच्छी पोस्ट है।

    ReplyDelete
  3. Dhanyawad Dinesh Ji!

    Dipak, same here we all are comic books fan...and this documentary will feature all the artists from different backgrounds and Companies...

    Aflatoon Ji Shukriya...samay samay par aisi posts daalte rahenge yadi aap is tarah pasand karte rahe toh!

    ReplyDelete
  4. आपकी जानकारी के लिए दिल्ली में एक आर्मी परिवार मौजूद है जोकि भारतीय सेना के असली हीरो (जैसे की विक्रम बतरा और मेजर उन्नीकृष्णनन) के ऊपर कॉमिक बना रहा है। उनका मक़सद है कि इनके ज़रिए वो बच्चों के बीच मशहूर हो सके और बच्चे सेना में जाने के लिए प्रेरित हो सके।

    ReplyDelete
  5. very nice. thanks for posting.

    ReplyDelete
  6. ऐसी श्रधंजलियाँ बेहद ज़रूरी है उन महान चित्रकारों और लेखको के लिए जिन्होंने अपना जीवन इस शैली को समर्पित कर दिया वो भी तब जब अधिकतर लोगो मे इसकी पूछ नहीं थी....यहाँ तक की कॉमिक्स को बाल साहित्य भी नहीं माना जाता था/है....बहुत बहुत धन्यवाद इस तरह का प्रोजेक्ट सोचने के लिए.

    ReplyDelete