शायद सन् 1998-99 के आस पास इस कामिक्स को पढ़ा था.. और पढ़ते ही दिवाना हो गया था.. तब से लेकर अभी तक ना जाने कितनी ही बार इस कहानी को पढ़ चुका हूं..
इस कामिक्स कि कहानी शुरू होती है बार्को नामक एक माफिया किंग के अड्डे से, जो ग्रैंड मास्टर रोबो के लिये काम करता है.. किसी कारण से वह सुपर कमांडो ध्रुव को अपने रास्ते से हटाना चाह रहा था(इसके पीछे कि कहानी जानने के लिये हमें "कमांडर नताशा" कामिक्स में झांकना पड़ेगा, वह फिर कभी).. साथ ही वह यह भी जानता था कि धुव को मारना लगभग असंभव सा काम है.. बार्को यूरोप के अपराध संघटन से एक हत्यारे को मंगाता है जिसके लिये उसने खूब पैसा खर्च किये हैं.. बार्को इस उम्मीद में बैठा था कि शायद कोई बेहतरीन खूनी हत्यारा अत्याधुनिक हथियारों के साथ राजनगर, भारत आयेगा.. मगर वह यह देख कर आश्चर्यचकित रह जाता है कि एक ऐसा व्यक्ति आया है जो अपना नाम "स्किमो" बता रहा है और उसके पास एक ब्लेड तक नहीं है जिससे किसी इंसान कि हत्या की जा सके..
इस कामिक में "स्किमो" नामक कैरेक्टर बेहतरीन गढ़ा गया है.. उसके पूरे शरीर पर कट्टम-कुट्टा वाले खेल के निशान बने हुये हैं, और जो भी उसके लिये काम करता है उनके हाथों पर भी वैसे ही निशान बने रहते हैं.. मुझे समझ में नहीं आता है कि कहानियों और सिनेमा में ऐसे विलेन किरदार क्यों बनाये जाते हैं जिनके गिरोह के सभी सदस्य के शरीर के किसी ना किसी हिस्से में ऐसे निशान बने होते हैं.. मुझे मैन्ड्रेक के कामिक्स का "अष्टांक" नामक किरदार याद आ रहा है.. वहां भी कुछ वैसा ही लोचा था..
खैर स्किमो पर वापस आते हैं.. स्किमो बार्को को समझाता है कि अगर किसी हथियार से ध्रुव को मारा जा सकता तो ध्रुव कभी का इस दुनिया से उठ गया होता.. क्योंकि वह अपना भेष बदल कर या मुखौटा लगा कर सुपर हिरोगिरी नहीं करता है.. उसके सभी पहचान भी खुले हुये हैं, और उसके अनगिनत दुश्मन भी हैं.. अपने नाम के ही अनुसार स्किमो स्कीम बना कर मारता है.. और उसने स्कीम कुछ ऐसा बनाया है जिससे कि ध्रुव को कानून ही "सज़ा-ए-मौत" कि सजा सुना दे तो ध्रुव कानून के खिलाफ कभी नहीं जायेगा..
अब आगे कि कहानी को जानने के लिये आपको यह कामिक्स पढनी होगी, इस कामिक्स को पढ़ने के इच्छुक व्यक्ति इस लिंक से जाकर कामिक्स खरीद सकते हैं..
मेरा रेटिंग - **** (4/5)
संजय गुप्ता जी के अनुरोध पर डाउनलोड लिंक हटाया जा रहा है..
Kya aap Nagraj nahin padte kya? :)
ReplyDeleteKhair iss blog ki vishesta ye hain ki aap, comic ke saath uske saath judi huyi aapki yaadain share karte hain. Padh ne main maaza aata hain aur saath main attached comic main interest badh jaata hain!
Thanks and keep it up!
धन्यवाद KK जी.. मैंने नागराज को भी खूब पढ़ा है, कोशिश करूँगा की अगले कुछ पोस्ट में नागराज को भी समेटूं.. :)
ReplyDeleteThanks for coming here.. अगर मौका मिला तो नागराज की कामिक्स से सम्बंधित कुछ बाते और उसकी एक कामिक्स आज ही डालता हूँ.. :)
for more comics and magazines
ReplyDeletewelcome to my blog
sim786.blogspot.com
Wakai bahut rochak comic thi yeh. Tab Dhruva ki comics kaafi intezaar karvakar aati thi isliye is comics ka tab zabardast craze tha.
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