Tuesday, June 22, 2010
कॉमिक्स की दुनिया मे अमर जोड़ियाँ
ये जोड़ियाँ कुछ हटकर है क्योकि ये आम जोड़ियों की तरह नहीं है बल्कि ये साथ आई है अपराध का नाश करने के लिए. और सिर्फ अपराध का नाश ही क्यों ये जोड़ियाँ तो खुद मे सम्पूर्ण है चाहे वो अपने साथी के लिए दबी भावनायें हो या समय-समय पर हास्य. हालाकि, कॉमिक्स और मनोरंजन के बाकी साधनों मे एकल नायको का वर्चस्व है पर फिर भी भारतीय कॉमिकस मे एक से ज्यादा मुख्य किरदार वाली कॉमिक सीरिज की कमी नहीं है. किसी बड़ी समस्या के सामने अकेले नायक के विचार और दो मुख्य किरदारों की सोच बड़ी अलग होती है. कई बार तो विचारो का टकराव या मतभेद बहुत रोमांचक स्थितियां पैदा करते है. 2 मेन लीड किरदार होने से उनसे जुड़े सहायक किरदारों की संख्या भी अमूमन एकल हीरो की सीरिज की तुलना मे बढ़ जाती है. वैसे ऐसी भी सीरिज है जहाँ कोई सहायक किरदार मुख्य किरदार की तरह लगातार बड़ी भूमिकायें निभाता है पर फिर भी हीरो तो हीरो ही रहता है और साइड हीरो को अक्सर "साइड" मे कर दिया जाता है. आशा है पाठको को और विस्तृत और हटकर मनोरंजन के लिए ऐसी जोड़ियाँ आती रहेंगी.
(1) - राज कॉमिक्स -
कोबी - भेड़िया,
फाइटर टोड्स,
हंटर शार्क फोर्स (किंग कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित जो राज कॉमिक्स की एक इकाई थी).
(2) - मनोज कॉमिक्स -
राम - रहीम,
अमर - अकबर,
अकडू जी - झगडू जी,
अमर - रहीम - टिंगू,
मशीनी लाल - अफीमी लाल,
मनकू - झनकू,
सागर - सलीम,
विनोद - हामिद .
(3) - पवन कॉमिक्स -
राम - बलराम.
(4) - राधा कॉमिक्स -
राजा - जानी,
शंकर -अली,
विनोद - हनीफ.
(5) - डाइमंड कॉमिक्स -
चाचा - भतीजा,
मोटू - पतलू,
मोटू - छोटू,
छोटू - लम्बू,
अग्निपुत्र - अभय,
लम्बू - मोटू,
अंडेराम - डंडेराम,
आल्तुराम - फाल्तुराम,
मंगलू मदारी - बंदर बिहारी,
मामा - भांजा,
राजन - इकबाल.
Wednesday, June 16, 2010
Social Comics यानी सामाजिक चित्रकथायें
किसी भी सफल और बड़े व्यवसाय मे सबसे बड़ा हाथ उस जनता का होता है जिसको वो व्यवसाय किसी भी तरह का फायदा देता है और बदले मे लोग उस उद्योग को सफल बनाते है. वैसे तो अब अधिकतर कॉमिक्स प्रकाशन बंद हो चुके है पर डायमंड कॉमिक्स, राज कॉमिक्स और अभी हाल ही मे दोबारा शुरू हुई अमर चित्र कथा भी ऐसे सफल और प्रगतिशील प्रकाशन है. वैसे तो ये कॉमिक प्रकाशन अपना काम बखूबी निभा रही है पर फिर भी समाज के प्रति उसकी कुछ जिम्मेदारियां और ऋण बनते है. मै चाहता हूँ की राज कॉमिक्स, आदि को अपने ये ऋण "Social Comics" या "सामाजिक चित्रकथा" नामक सीरीज़ प्रकाशित करके उतारना चाहिए. अगर कुछ कॉमिक्स का ये प्रयास सफल होता है तो इसे आगे भी जारी रखा जा सकता है. हालाकि, "World Comics India" नामक संस्था सामाजिक विषयों पर कॉमिक्स प्रकाशित करती है पर उसका स्तर और पहुँच अभी सीमित है.
वैसे राज कॉमिक्स सामाजिक विषयो को आधार बना कर अपने किरदारों पर कॉमिक्स छापती रही है. इन किरदारों मे प्रमुख है डोगा, गमराज, तिरंगा, शक्ति, आदि. पर किसी किरदार के साथ ऐसे सामाजिक विषयो का प्रकाशन ठीक नहीं क्योकि उस किरदार की कहानी ही उस सामाजिक विषय और उस से जुडी बातों पर हावी हो जाती है. जिस वजह से ऐसी बातों पर पाठको का ध्यान नहीं जाता और लेखको, कलाकारों के प्रयास व्यर्थ हो जाते है.
इसलिए मुझे लगता है की "अन्य सीरीज़" की तरह ऐसे विषयों को लेकर अलग से एक सीरीज़ बननी चाहिए जिसमे हर कॉमिक मे किसी नए मुद्दे को उठाया जाये. जहाँ तक ऐसे विषयो की बात है तो उनकी कमी नहीं है... सामाजिक भेद-भाव, ग्रामीण कुरीतियाँ, दहेज़ उत्पीडन, घरेलु हिंसा, गरीबी, भुखमरी, यहाँ तक की प्रमुख रूप से शहरो मे होने वाली Ragging, Eve Teasing जैसी समस्याओ को भी शामिल किया जा सकता है. सिर्फ इन समस्याओं को दिखाना ही लक्ष्य नहीं होना चाहिए बल्कि इनके हो सकने वाले प्रमुख संभावित समाधान और पाठको को सीख भी मिलनी चाहिए. इन कॉमिक्स का सबसे बड़ा फायदा ये होगा की आम लोगो का कॉमिक्स के प्रति सुना सुनाया नजरिया बदलेगा की कॉमिक्स केवल बच्चो के लिए होती है.
राज कॉमिक्स की वेबसाइट पर मैंने 'eve teasing' पर "बड़ी देर हो गयी!" नामक परिकल्पना भी पोस्ट की है. जिसका वेबलिंक ये है. -
http://www.rajcomics.com/index.php?option=com_content&view=article&catid=17%3Astory-plots&id=1915%3ABadi-Dair-ho-Gayi&Itemid=246&lang=en
आप लोग Social Comics/सामाजिक चित्रकथा के बारे मे क्या सोचते है?
तुलसी कॉमिक्स
1980 के दशक और 1990 की शुरुआत मे तुलसी कॉमिक्स काफ़ी लोकप्रिय थी. लेकिन राज कॉमिक्स, डायमंड कॉमिक्स और मनोज कॉमिक्स से मिल रही कड़ी प्रतिस्पर्धा और ज्यादातर साधारण कहानियो और कला वाली कॉमिक्स के कारण तुलसी कॉमिक्स आख़िरकार बंद हो गई. इस प्रकाशन के प्रमुख किरदार थे अंगारा, तौसी, जम्बू, बाज़, योशो, योगा, आदि. इनके अलावा तुलसी कॉमिक्स नई और जनरल कहानियो पर कॉमिक्स प्रकाशित करती थी जो भूत - प्रेत, राजा - रानी, पौराणिक, जादू - टोना, तिलिस्म, आदि पर आधारित होती थी. तत्कालीन प्रतिस्पर्धा मे बाकी कॉमिक प्रकाशन मुख्य किरदारों को जोड़ियों मे निकालने का फार्मूला लाये थे जैसे मनोज कॉमिक्स ने राम-रहीम, अमर-अकबर, सागर-सलीम, आदि सीरीज प्रकाशित की, डायमंड कॉमिक्स ने चाचा-भतीजा, मोटू-पतलू, राजन-इकबाल, आल्तुराम-फाल्तुराम, आदि सीरीज निकाली. पर तुलसी कॉमिक्स ने ऐसी कोशिशे नहीं की.
साथ ही तुलसी कॉमिक्स की कोई 'self contained' (यानी एक कॉमिक मे पूरी होने वाली कहानी की) कॉमिक कम ही छपती थी. ऊपर से उनकी ज्यादातर कहानियो मे नयापन नही होता था. उनकी बहुत सी कॉमिक्स फिल्म्स, विदेशी उपन्यासों की कॉपी होती थी. तुलसी पॉकेट बुक्स से जुड़े कुछ उपन्यासकारों ने भी तुलसी कॉमिक्स के लिए कहानियाँ भी लिखी है जिनमे सबसे प्रमुख है मेरठ के जाने माने लेखक श्री वेद प्रकाश शर्मा. उन्होंने मुख्यतः जम्बू सीरीज के लिए काम किया. जो भी हो तुलसी कॉमिक्स के रूप मे भारतीय कॉमिक उद्योग के एक स्तंभ का दुखद अंत हुआ. आशा है की आगे ऐसे कई कॉमिक प्रकाशनों के साथ कॉमिक्स का स्वर्णिम युग ज़रूर लौटकर आएगा.
नमस्ते! इस ब्लॉग परिवार के सभी सदस्यों और इसके पाठको को. मेरा नाम मोहित शर्मा है और मै लखनऊ, उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ. मै इक्कीस वर्षीय परास्नातक छात्र हूँ. बाकी जानकारी आगे देता रहूँगा.
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