आजकल खुद को ईमानदारी का सर्टिफिकेट देने कि बाढ़ आई हुई है. तो चलिए देखते हैं ईमानदारी के नमूने. इन चारों फोटो को देखिये, "गृहस्थ वेताल" कामिक्स से निकाला हूँ. इसमें वेताल को शौक चढ़ा कि वह अपराध कि रोकथाम बंद कर एक शरीफ शहरी जीवन जीना शुरू करे. ईमानदारी भरा...
मैं जब भी शत-प्रतिशत ईमानदारी कि बात सुनता हूँ तो मुझे ये चारों पेज याद आते हैं. कभी ये सोचता हूँ कि मान लिया जाए की सभी सरकारी संस्था ईमानदार हो जाए तो? अपने आस-पास ही टटोलना शुरू करता हूँ. मेरे घर के पास जो ठेले पर मशाला डोसा बेचता है और हर रोज 70 रुपये पुलिस को देता है, और पुलिस को गाली भी देता है की वो पैसा लेती है. सबसे पहले उसका ठेला लगना बंद होगा. फिर हम जैसे लोग जो पुलिस को रोज उससे पैसा लेते देखते हैं और पुलिस को गाली देते हैं, हम जैसे लोग जिन्हें कभी खाना बनाने का मन ना हो तो वहां जाकर डोसा खाकर पेट भर लेते हैं, हम जैसे लोग फिर भी पुलिस को गाली देंगे कि उसने ठेला बंद करवा दिया.
ऊपर तो सिर्फ एक छोटा सा उदहारण दिया हूँ. सनद रहे, मैं पुलिस द्वारा लिए जा रहे पैसे का पक्ष लेकर उसे सही नहीं बता रहा हूँ. बस इतना ही कहना चाह रहा हूँ की हमें वैसा ही समाज मिलता है जैसे हम खुद हैं. नेता, पुलिस, सरकारी कर्मचारी, दफ्तर में हमारे सीनियर्स. सभी...
फिलहाल तो इन चार पृष्ठों का लुत्फ़ उठायें..
हा हा, बेचारा बेताल
ReplyDeleteअभी बचपन की बहुत सी यादें छूटी पड़ी हुई हैं यहां ।
ReplyDeleteजादूगर मैन्ड्रेक और उसका साथी लोथार(इन्द्रजाल ) फ्लैश गार्डेन , महाबली शाका (डायमंड कामि. ) जासूस बबलू डाकू पान सिंह जोजो और उसके पापा जी मोटू-पतलू (सभी मधुमुस्कान ) और हां फिल्मी पत्रकार कलमदास और न जाने क्या-क्या । इन चरित्रों ने ही पढ़ने की आदत डलवाई पर आज वक्त की खलाओं में न जाने कहां भटक रहें हैं ?
Bahut shandar 4 pann; dashakon pahle pade they, aaj phir yaad aa gae. Share karne ke liye dhanyavaad.
ReplyDeleteगुड वर्क
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