डोगा वाली पोस्ट में मैंने कहा था कि कुछ अनजाने चरित्रों के बारे में बात करूँगा मगर समय के अभाव में लिखना संभव न हो पाया. बीच में एक बार लिखने का मूड भी बना तो एस्टरिक्स के विषय में पोस्ट दे मारी ऐसे में हमारे अनजाने चरित्र बेचारे फिर से उपेक्षित रह गए. चलिए देर आयद दुरुस्त आयद आज उनकी बातें करें जो बेचारे कॉमिक्स की दुनिया में चुप चाप आए और खामोशी की चादर ओढे गुमनामी की गर्त में खो गए, कभी इस असफलता के पीछे कहानियों का अभाव रहा कभी mainstream सुपरहीरोज़ के दीवाने पाठकों की बेरुखी. कारण जो भी हो मगर बड़ा बुरा लगता है कि ब्लॉग की दुनिया में भी इन बेचारों का ज़िक्र कभी कभार भूले भटके ही देखने को मिलता है.
इससे पहले कि इन किरदारों की बातें शुरू करुँ सोचता हूँ ज़रा सा परिचय भारतीय कॉमिक बुक इतिहास से भी कराता चलूँ.
भारत में कॉमिक्स का आगमन वैसे Illustrated Weekly Of India के साथ हुआ (यदि यह information ग़लत है तो सुधि पाठक कृपया मुझे सुधारेंगे) जिसमें साप्ताहिक कॉमिक स्ट्रिप्स छपा करती थी. मगर सही मानो में कॉमिक्स की शुरुआत हुयी टाईम्स ऑफ़ इंडिया ग्रुप की इंद्रजाल कॉमिक्स के साथ, जिसमें एक लंबे समय तक फैंटम, मेंड्रेक और फ्लैश जैसे विदेशी सुपर हीरोज़ छाये रहे. मगर वक्त के साथ भारतीय नायकों की कमी महसूस की जाने लगी ऐसे में १९७६ में आबिद सुरती (जिन्होंने भारत की प्रथम कॉमिक स्ट्रिप बटुक जी की रचना की थी) ने रचना की बहादुर की और गोविन्द ब्राह्मणिया (जो कि उन दिनों इंद्रजाल कॉमिक्स के कवर बनाया करते थे) के चित्रों से सजे बहादुर बेला के कारनामे लोगो के दिल को बहलाने लगे.
बहादुर की सफलता से प्रभावित हो कर प्रकाशकों ने कुछ और भारतीय चरित्रों की कॉमिक्स निकलने का प्लान बनाया और प्रदीप साठे द्वारा रचित 'आदित्य - अनजान लोक का मसीहा' की कहानियाँ १९८७ से इंद्रजाल में प्रकाशित होने लगी (आदित्य की कहानियाँ किसने लिखी हैं यह अज्ञात है).
आदित्य की कहानी शुरू होती है जब एक दिव्य शक्तियों वाला भिक्षुक सन्यासी आदित्य हिमालय की तराई में बसे किसी गाँव आ पहुँचता है. अपने origin के विषय में आदित्य ख़ुद भी कुछ नहीं जानता. बहरहाल आदित्य की कहानियाँ बड़ी जल्दी बंद हो गई और साथ ही उसका रहस्य भी रहस्य ही रह गया. १९८८ में इंद्रजाल ने प्रकाशित करनी शुरू की दारा सीरीज़. दारा की कहानियाँ कामिनी उप्पल की थी और चित्र प्रदीप साठे के.
(लेखिका कामिनी उप्पल की जानकारी और उपरोक्त चित्र साभार इस ब्लॉग से) दारा का किरदार काफ़ी कुछ ऐसा था कि अब सोच कर लगता है कि वह ब्रूस वेन और James Bond का मिला जुला रूप था. दारा ब्रूस की तरह काफ़ी मालदार हीरो था, जहाँ ब्रूस की संपत्ति खानदानी है वहीँ दारा दरअसल काश्मीर के एक राजघराने का इकलौता वारिस है और उसका असली नाम है राणा विक्रम वीर सिंह, रियासत के लोग उसे राजा साहब कह कर बुलाते हैं. इंटेलिजेंस विंग के मुखिया मि. राव और कुछ ख़ास लोगो के अलावा कोई भी दारा की असली पहचान नहीं जानता. इंटेलिजेंस विंग के Spy के रूप में दारा अपना मिशन पूरा करके अपनी रियासत कब पहुँच जाता है ये कामिनी उप्पल और प्रदीप साठे के अलावा कोई नहीं जानता. मैंने दारा की कुछ कॉमिक्स बचपन में पढ़ी हैं पर दारा का प्रकाशन कब बंद हुआ इस विषय में मैं अनभिज्ञ हूँ. इन्टरनेट पर काफ़ी खोजने पर सिर्फ़ यह ब्लॉग हाथ लगा जिसके मुताबिक दारा की कुल आठ कहानियाँ प्रकाशित हुयी हैं और अप्रैल १९९० में इंद्रजाल का प्रकाशन बंद होते ही दारा की कॉमिक्स बंद हो गई.
(अनजाने चरित्रों की फेहरिस्त काफ़ी लम्बी है और उनकी कहानियाँ भी यदि यह पोस्ट आपको पसंद आयीं हो तो अपनी कमेंट्स देंगे और मैं भाग २ लिख कर पोस्ट कर दूँगा, इच्छा है कि कुछ शेरबाज़, अनोखा चोर रुस्तम, अंगूठे लाल, सागर सलीम, जौहर, राजा और पिद्दी पहलवान पर भी लिखूं ये सारे चरित्र मनोज कॉमिक्स और राज कॉमिक्स पर समय समय पर प्रकाशित हुए और वक्त के साथ गुमनामी के अंधेरों में खो गए, इनके अलावा मानसपुत्र और डिटेक्टिव कपिल पर भी लिखने की इच्छा है जो कि अनुपम सिन्हा कि कलम से तब निकले थे जब सुपर कमांडो ध्रुव का जन्म भी नहीं हुआ था.)
- आलोक
पुनःश्च : काफ़ी माथापच्ची के बाद भी आदित्य की कोई इमेज इन्टरनेट पर नहीं मिल पायी।
Hello Alok,it's nice to see somebody taking interest in these some lesser-known Indian comic characters!
ReplyDeleteA very well written post & yes ,allthough there are ONLY 8 Comics exsist but am a FAN of Dara's adventures,,it's unfortumate as wid time the scripts were suppose to be better & suddenly IJC stopped,,hence "killed" both Bahadur & dara!! :(((
By d way,for a direct Dara-Posts in my blog,use this link: http://dara-indrajal.blogspot.com/search/label/Dara%20-%20Indian%20007%20Bond
Cheers! :-)
सच कहा आदित्य का रहस्य तो रहस्य ही रह गया. आज भी याद है उसका पहला अंक खरीदना.
ReplyDeletezabardast blog!!!
ReplyDeleteअन्जाने चरित्रो के बारे मे आपका लेख पसन्द आया,साथ ही आगे की योजना भी उत्साहवर्धक लगी.
ReplyDeleteआदित्य की इन्द्रजाल कामिक्स द्वारा प्रकाशित समस्त कामिक्स नाचीज़ के पास उप्लब्ध है,जिसको खाकसार खुद के अदने से ब्लाग पर पोस्त करता रह्ता है.
यदि आदित्य की कामिक्स के बारे मे किसी भी प्रकार का योगदान चाहिये हो तो ज़रूर बताईयेगा.
hi buddy iam impressed by the information provided by you. Iam
ReplyDeletethe also one collecting information on INDIAN COMICS .
if you have any important information which would help me to increase my database information like address of comics Co
.,ideas behind working of superhero's online link ETC than plz do mail it to me
Thanking you
yours, Usman Ali Khan
email-usman.max@gmail.com
mai ek ladki sea bahut love
ReplyDeleteसही बात है
ReplyDeleteआज मैने पढा का कीसी संग्राहक के पास 80OO कॉमिक्स है और बचपन मे मेरी हालत ऐैसी थी की पाच पाच पैसे जमा कर के जब मेरे पास पच्चीस पैसे (चार आने) होते थे तो फुटपाथ पर लगने वाली लाइब्रेरी से सुबह से लेकर शाम सात बजे वापिस करने की शर्त पर कॉमिक्स ला कर पढता था
ReplyDeleteपर आज मोबाइल और नेट की वजह से मेरा वह खजाना आंशिक रूप से ही क्यो न हो हाथ आ ही गया है और चंदामामा भी और एक बात फिर दोहराउंगा हम बढे नही होगे
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