कल मैं अपनी एक मित्र मुक्ता से फोन पर बात कर रहा था जो कुछ मजेदार सा था.. उसी का एक अंश मैं यहां लिख रहा हूं..
मैं : "उस दिन मैं पूरे दिन भर तुम्हारा इंतजार करता रहा और तू नहीं आयी.. अबे अगर नहीं आना था तो फोन कर देती या मैसेज दे देती.."
मुक्ता : "अरे यार मैं बोली थी ना की मैं उस दिन आफिस चली गयी थी.."
मैं : "नहीं तू बोली थी की तू उससे एक दिन पहले सैटरडे को आफिस गयी थी.. अब मैं घर से खाने का सामान लाया हूं तो लालची की तरह मेरे घर आना चाह रही है.."
मुक्ता : "अच्छा गलती हो गई.. अब डांटो मत.."
मैं : "ठीक है नहीं डाटूंगा मिल तो पिटाई करता हूं.."
मुक्ता : "पिटाई तो मैं करूंगी तेरा.."
मैं : "क्यों?"
मुक्ता : "बस ऐसे ही मन कर रहा है.."
मैं : "अब तो तू मेरे हाथ से पिटने के लिये तैयार रहो.."
मुक्ता : "तू लड़की पर हाथ उठायेगा?"
मैं : "हां.."
मुक्ता : "तू ऐसा नहीं कर सकता है.. मुझे मालूम है तू लड़की पर हाथ नहीं उठाएगा.."
मैं : "कभी बचपन में कामिक्स पढी है सुपर कमांडो ध्रुव का?"
मुक्ता : "हां.. पर क्यों पूछ रहा है?"
मैं : "वो लड़की पर हाथ नहीं उठाता था.. तू क्या मेरे को सुपर कमांडो ध्रुव समझ रखी है? मैं लड़कीयों पर हाथ के साथ-साथ पैर भी उठा सकता हूं.."
मुक्ता : "अबे तू वही है सुपर कमांडो ध्रुव, लेकीन मुझे ना मारना.. समझा? तू भी क्या याद दिला दिया.. सुपर कमांडो ध्रुव.."
सम्मीलित हंसी.. "हा हा हा हा...."
मैंने यह पोस्ट 21 मार्च सन् 2008 को अपने चिट्ठे मेरी छोटी सी दुनिया पर पोस्ट किया था.. चूंकी यह पोस्ट कामिक्स से जुड़ी मेरी जिंदगी का एक हिस्सा ही है सो आज मैं इसे यहां भी पोस्ट कर रहा हूं.. मेरे अगले पोस्ट में आप चुंबा का चक्रव्यूह पढ़ सकते हैं.. और हां भूले नहीं, साथ में होगी इस कामिक्स से जुड़ी मेरे बचपन की एक कहानी भी.. :)
Wednesday, January 21, 2009
Sunday, January 18, 2009
डबल धमाका! "मैंने मारा ध्रुव" को और "हत्यारा कौन"
आप ध्रुव कि कौन सी कामिक्स पढ़ना चाहते हैं वाले पॉल में दूसरे स्थान पर यही दोनों कामिक्स आयी थी जिसे मैंने इस पोस्ट का शीर्षक बनाया है.. और अपने उस पोस्ट में किये वादे के मुताबिक चलते-चलते आपको इससे जुड़ी बचपन कि कहानी भी सुनाते चलना है..
बात सन् 1994 की है.. मैं उस समय 13 साल का था और चक्रधरपुर(जो अब झारखंढ में है) में रहता था.. उसी समय मेरे छोटे चाचाजी कि शादी तय हुयी थी और इंगेजमेंट के लिये मुझे और मेरे पापाजी को पटना से होते हुये दरभंगा जाना था.. हमें पटना के लिये ट्रेन पकड़ने के लिये पहले चक्रधरपुर से जमशेदपुर जाना था और वहां से पटना के लिये ट्रेन पकड़नी थी.. हम इस्पात एक्सप्रेस से घंटे भर में समय से जमशेदपुर पहूंच गये.. हमारे पास अभी भी 1 घंटे का समय था.. जैसा कि मैं पहले भी बता चुका हूं कि बचपन में हम बच्चों को कामिक्स खरीदने कि सख्त मनाही थी, मगर हमें ट्रेन में कामिक्स खरीदते समय मना नहीं किया जाता था.. सो इस मौके को मैं गवाना नहीं चाहता था और पहूंच गया कामिक्स के स्टॉल पर..
वहां नयी-नयी कामिक्स "मैंने मारा ध्रुव को" स्टॉल पर टंगी हुई थी.. मैंने आव ना देखा ताव और झट से कामिक्स खरीद ली.. ये भी नहीं देखा कि इसका कोई अगला भाग तो नहीं है? ये भी नहीं सोचा कि अगर इसका अगला भाग भी होगा तो वो कभी पढ़ने को मिलेगा या नहीं.. मैं उचक कर ट्रेन में अपने जगह पर बैठकर कामिक्स पढ़ने लगा, और जब तीन कहानी खत्म हो गयी फिर जाकर पता चला कि ये तो आधी ही है.. और फिर उदास हो गया.. ये उदासी ज्यादे देर तक नहीं रही क्योंकि अपने चाचाजी की इंगेजमेंट में जो जा रहा था..
"हत्यारा कौन" कामिक्स मुझे पटना आने के बाद शायद सन् 1997 में पढ़ने को मिली.. मगर इसका रोमांच तब तक कम नहीं हुआ था.. :)
चलते-चलते कुछ इन कामिक्स की भी बात कर ली जाये.. मेरी नजर में यह दोनों ही कामिक्स ध्रुव के कामिक्स का मील का पत्थर कहा जा सकता है, जिसमें रोमांच अंत तक बना रहता है.. शुरूवात होते ही एक बड़ा झटका लगता है कि ध्रुव मर कैसे गया, मगर मन में यह बात भी रहती है कि नायक कभी मरता नहीं, और एक विश्वास भी मन में होता है कि वो अंत में वापस जरूर आयेगा.. इन दोनों कामिक्स का प्रमुख किरदार "कंकालतंत्र" ही-मैन के कामिक्स का "स्केलेटन" का नकल भर ही है जिसके पास काफी कुछ उसी के जैसी शक्तियां भी है.. मगर फिर भी कहानी काफी चुस्त है.. दो कामिक्स में छः कहानियों को पढ़ने का अनुभव भी अलग ही है.. इसमें ध्रुव के लगभग सारे खलनायकों को एक जगह इकट्ठा किया गया है जिसमें वैज्ञानिकों के साथ-साथ तंत्र-मंत्र सम्राट चंडकाल भी है.. फिलहाल पूरी कहानी जानने के लिये आप यह कामिक्स डाऊनलोड करके पढ़िये.. :)
लिंक
मैंने मारा ध्रुव को का डाऊनलोड लिंक
हत्यारा कौन का डाऊनलोड लिंक
डाऊनलोड करने के लिये आप तस्वीर पर भी क्लिक कर सकते हैं..
संजय गुप्ता जी के अनुरोध पर डाउनलोड लिंक हटाया जा रहा है..
बात सन् 1994 की है.. मैं उस समय 13 साल का था और चक्रधरपुर(जो अब झारखंढ में है) में रहता था.. उसी समय मेरे छोटे चाचाजी कि शादी तय हुयी थी और इंगेजमेंट के लिये मुझे और मेरे पापाजी को पटना से होते हुये दरभंगा जाना था.. हमें पटना के लिये ट्रेन पकड़ने के लिये पहले चक्रधरपुर से जमशेदपुर जाना था और वहां से पटना के लिये ट्रेन पकड़नी थी.. हम इस्पात एक्सप्रेस से घंटे भर में समय से जमशेदपुर पहूंच गये.. हमारे पास अभी भी 1 घंटे का समय था.. जैसा कि मैं पहले भी बता चुका हूं कि बचपन में हम बच्चों को कामिक्स खरीदने कि सख्त मनाही थी, मगर हमें ट्रेन में कामिक्स खरीदते समय मना नहीं किया जाता था.. सो इस मौके को मैं गवाना नहीं चाहता था और पहूंच गया कामिक्स के स्टॉल पर..
वहां नयी-नयी कामिक्स "मैंने मारा ध्रुव को" स्टॉल पर टंगी हुई थी.. मैंने आव ना देखा ताव और झट से कामिक्स खरीद ली.. ये भी नहीं देखा कि इसका कोई अगला भाग तो नहीं है? ये भी नहीं सोचा कि अगर इसका अगला भाग भी होगा तो वो कभी पढ़ने को मिलेगा या नहीं.. मैं उचक कर ट्रेन में अपने जगह पर बैठकर कामिक्स पढ़ने लगा, और जब तीन कहानी खत्म हो गयी फिर जाकर पता चला कि ये तो आधी ही है.. और फिर उदास हो गया.. ये उदासी ज्यादे देर तक नहीं रही क्योंकि अपने चाचाजी की इंगेजमेंट में जो जा रहा था..
"हत्यारा कौन" कामिक्स मुझे पटना आने के बाद शायद सन् 1997 में पढ़ने को मिली.. मगर इसका रोमांच तब तक कम नहीं हुआ था.. :)
चलते-चलते कुछ इन कामिक्स की भी बात कर ली जाये.. मेरी नजर में यह दोनों ही कामिक्स ध्रुव के कामिक्स का मील का पत्थर कहा जा सकता है, जिसमें रोमांच अंत तक बना रहता है.. शुरूवात होते ही एक बड़ा झटका लगता है कि ध्रुव मर कैसे गया, मगर मन में यह बात भी रहती है कि नायक कभी मरता नहीं, और एक विश्वास भी मन में होता है कि वो अंत में वापस जरूर आयेगा.. इन दोनों कामिक्स का प्रमुख किरदार "कंकालतंत्र" ही-मैन के कामिक्स का "स्केलेटन" का नकल भर ही है जिसके पास काफी कुछ उसी के जैसी शक्तियां भी है.. मगर फिर भी कहानी काफी चुस्त है.. दो कामिक्स में छः कहानियों को पढ़ने का अनुभव भी अलग ही है.. इसमें ध्रुव के लगभग सारे खलनायकों को एक जगह इकट्ठा किया गया है जिसमें वैज्ञानिकों के साथ-साथ तंत्र-मंत्र सम्राट चंडकाल भी है.. फिलहाल पूरी कहानी जानने के लिये आप यह कामिक्स डाऊनलोड करके पढ़िये.. :)
लिंक
मैंने मारा ध्रुव को का डाऊनलोड लिंक
हत्यारा कौन का डाऊनलोड लिंक
डाऊनलोड करने के लिये आप तस्वीर पर भी क्लिक कर सकते हैं..
संजय गुप्ता जी के अनुरोध पर डाउनलोड लिंक हटाया जा रहा है..
Labels:
PD,
Raj Comics,
Super Commando Dhruv,
राज कॉमिक्स,
सुपर कमांडो ध्रुव
Saturday, January 17, 2009
राज कामिक्स मेरा जूनून
मैं मेरठ से दिल्ली 8 मार्च को 3 बजे दिन मे पहूंचा और रिगल, कनाट प्लेस के पास चला गया क्योंकि वहां मुझसे मिलने वंदना आ रही थी.. लगभग आधे घंटे बाद वो आई और उसके साथ मैं लगभग 4:45 तक रहा.. फिर वहां से हम दोनों ही पैदल ही टहलते हुये नई दिल्ली रेल्वे स्टेशन की तरफ बढ चले.. मेरा अपना अनुमान था की रीगल से स्टेशन तक जाने में लगभग 20 मिनट लगना चाहिये और मेरी ट्रेन 5:20 पर थी.. मतलब मेरे पास 15 मिनट बच रहा था अपनी ट्रेन पकड़ने के लिये..
मेरा अनुमान ट्रैफिक ने गलत साबित कर दिया और जब मैं स्टेशन पहूंचा तो 5:10 हो रहे थे.. अब मैंने वंदना को कहा की अब आप यहीं से वापस जाओ क्योंकि अगर मैं आपके लिये प्लेटफार्म टिकट लिया तो मुझे मेरी ट्रेन छोड़नी परेगी.. फिर उससे विदा लेकर प्लेटफार्म के अंदर घुस गया.. मैं पहाड़गंज के तरफ से अंदर गया था और पिछली बार जब मैंने संपूर्णक्रांती पकड़ी थी तो वह 9 या 10 नंबर से रवाना होती थी.. सो मुझे पता था की मेरे पास ज्यादा समय नहीं है.. इस बार तो वह 12 से जाने वाली थी..
मैं लगभग भागते हुये 12 नंबर पहूंचा.. समय देखा तो 4 मिनट बचे हुये थे.. सामने देखा तो S1 डब्बा था और मुझे B3 में जाना था.. मैंने कुली से पूछा की B3 कहां है तो पता चला की S1 से S10, फिर एक पैंट्री कार है और उसके बाद B1, B2 फिर जाकर B3 है.. मैंने फिर से भागना शुरू किया मगर मन में ये तसल्ली थी की ट्रेन अब नहीं छूटने वाली है..
बचपन से ही हम बच्चों के लिये ट्रेन से सफर करने का मतलब कोई कामिक या कहानी की किताब और ढेर कुछ ना कुछ खाते जाना होता था.. अब भैया दीदी तो सुधर गये हैं मगर मैं अपने घर का बच्चा होने का कर्तव्य अभी भी निभा रहा हूं.. :D जब मैं अपने डब्बे की तरफ भाग रहा था तभी मुझे एक किताब की दुकान पर कामिक दिख गई.. अब तो मैं सोचा चाहे दौड़कर ही मुझे ट्रेन पकड़नी परे मगर मैं पहले कामिक तो जरूर खरीदूंगा.. मैं अभी तक कामिक पढने का शौकीन हूं मगर चेन्नई में मुझे हिंदी कामिक नागराज, ध्रुव, डोगा वाली नहीं मिलती है.. मगर मैं भी पीछे नहीं हूं.. नेट से राज कामिक के साईट पर जाकर खरीदता हूं.. सो अधिकतर कामिक मेरी पढी होती है.. मैंने उसके पास जितनी कामिक थी वो सारी जल्दी-जल्दी में पलट डाली और 4 कामिक निकाल कर उसे दिया और कहा, "कितने का हुआ भैया, जल्दी बताओ.." वो हक्का बक्का होकर मेरा चेहरा देख रहा था.. सोच रहा होगा की इतना बड़ा होकर भी बच्चों वाला शौक.. :) मगर मुझे जो अच्छा लगता है मैं बस वही करता हूं.. आज तक दुनिया की कभी परवाह नहीं कि की दुनिया क्या सोचती है.. उसने मुझे बताया 120 की हुई.. मैंने बिना दाम जोड़े ही उसे 120 पकड़ाये और फिर दौड़ पड़ा अपने डब्बे की तरफ.. डब्बे पर अपना नाम चेक किया और डब्बे में चढ गया.. जब तक मैं अपनी सीट तक पहूंचता तब-तक ट्रेन खुल गई.. बाद में मैंने दाम जोड़े तो बिलकुल सही पाया.. :)
राज कामिक्स मेरा जूनून आजकल राज कामिक्स का पंच लाईन बना हुआ है जिसे मैंने शीर्षक के रूप में प्रयोग किया है..:) अभी कुछ दिन पहले नागराज के ऊपर सिनेमा बनाने के लिये एक अमेरिकन स्टूडियो ने राज कामिक्स के साथ करार भी किया है.. उम्मीद है अगले साल तक वो सिनेमा हमारे बीच भी होगी..
मैंने यह लेख बहुत पहले 29 मार्च सन 2008 को अपने ब्लौग छोटी सी दुनिया के लिये लिखा था जिसे आज मैं यहां भी पोस्ट कर रहा हूं और यही वह पोस्ट है जिसने मुझे यह ब्लौग बनाने की प्रेरणा दी थी.. ध्रुव कि अगली कामिक्स मैंने मारा ध्रुव को और हत्यारा कौन मैं अगले पोस्ट में लेकर आता हूं..
धन्यवाद..
मेरा अनुमान ट्रैफिक ने गलत साबित कर दिया और जब मैं स्टेशन पहूंचा तो 5:10 हो रहे थे.. अब मैंने वंदना को कहा की अब आप यहीं से वापस जाओ क्योंकि अगर मैं आपके लिये प्लेटफार्म टिकट लिया तो मुझे मेरी ट्रेन छोड़नी परेगी.. फिर उससे विदा लेकर प्लेटफार्म के अंदर घुस गया.. मैं पहाड़गंज के तरफ से अंदर गया था और पिछली बार जब मैंने संपूर्णक्रांती पकड़ी थी तो वह 9 या 10 नंबर से रवाना होती थी.. सो मुझे पता था की मेरे पास ज्यादा समय नहीं है.. इस बार तो वह 12 से जाने वाली थी..
मैं लगभग भागते हुये 12 नंबर पहूंचा.. समय देखा तो 4 मिनट बचे हुये थे.. सामने देखा तो S1 डब्बा था और मुझे B3 में जाना था.. मैंने कुली से पूछा की B3 कहां है तो पता चला की S1 से S10, फिर एक पैंट्री कार है और उसके बाद B1, B2 फिर जाकर B3 है.. मैंने फिर से भागना शुरू किया मगर मन में ये तसल्ली थी की ट्रेन अब नहीं छूटने वाली है..
बचपन से ही हम बच्चों के लिये ट्रेन से सफर करने का मतलब कोई कामिक या कहानी की किताब और ढेर कुछ ना कुछ खाते जाना होता था.. अब भैया दीदी तो सुधर गये हैं मगर मैं अपने घर का बच्चा होने का कर्तव्य अभी भी निभा रहा हूं.. :D जब मैं अपने डब्बे की तरफ भाग रहा था तभी मुझे एक किताब की दुकान पर कामिक दिख गई.. अब तो मैं सोचा चाहे दौड़कर ही मुझे ट्रेन पकड़नी परे मगर मैं पहले कामिक तो जरूर खरीदूंगा.. मैं अभी तक कामिक पढने का शौकीन हूं मगर चेन्नई में मुझे हिंदी कामिक नागराज, ध्रुव, डोगा वाली नहीं मिलती है.. मगर मैं भी पीछे नहीं हूं.. नेट से राज कामिक के साईट पर जाकर खरीदता हूं.. सो अधिकतर कामिक मेरी पढी होती है.. मैंने उसके पास जितनी कामिक थी वो सारी जल्दी-जल्दी में पलट डाली और 4 कामिक निकाल कर उसे दिया और कहा, "कितने का हुआ भैया, जल्दी बताओ.." वो हक्का बक्का होकर मेरा चेहरा देख रहा था.. सोच रहा होगा की इतना बड़ा होकर भी बच्चों वाला शौक.. :) मगर मुझे जो अच्छा लगता है मैं बस वही करता हूं.. आज तक दुनिया की कभी परवाह नहीं कि की दुनिया क्या सोचती है.. उसने मुझे बताया 120 की हुई.. मैंने बिना दाम जोड़े ही उसे 120 पकड़ाये और फिर दौड़ पड़ा अपने डब्बे की तरफ.. डब्बे पर अपना नाम चेक किया और डब्बे में चढ गया.. जब तक मैं अपनी सीट तक पहूंचता तब-तक ट्रेन खुल गई.. बाद में मैंने दाम जोड़े तो बिलकुल सही पाया.. :)
राज कामिक्स मेरा जूनून आजकल राज कामिक्स का पंच लाईन बना हुआ है जिसे मैंने शीर्षक के रूप में प्रयोग किया है..:) अभी कुछ दिन पहले नागराज के ऊपर सिनेमा बनाने के लिये एक अमेरिकन स्टूडियो ने राज कामिक्स के साथ करार भी किया है.. उम्मीद है अगले साल तक वो सिनेमा हमारे बीच भी होगी..
मैंने यह लेख बहुत पहले 29 मार्च सन 2008 को अपने ब्लौग छोटी सी दुनिया के लिये लिखा था जिसे आज मैं यहां भी पोस्ट कर रहा हूं और यही वह पोस्ट है जिसने मुझे यह ब्लौग बनाने की प्रेरणा दी थी.. ध्रुव कि अगली कामिक्स मैंने मारा ध्रुव को और हत्यारा कौन मैं अगले पोस्ट में लेकर आता हूं..
धन्यवाद..
Labels:
Nagraj,
PD,
Raj Comics,
Super Commando Dhruv,
राज कॉमिक्स,
सुपर कमांडो ध्रुव
Wednesday, January 14, 2009
"किरीगी का कहर" बचपन के सफर में
ध्रुव कि कौन सी कामिक्स आप पढना चाहते हैं नामक पोल का अंततः वोट देने का समय ख़त्म हुआ.. कुल जमा २८ वोट पड़े.. आप इस चित्र में पढ़ सकते हैं कि किस कामिक्स को सबसे ज्यादा वोट मिले.. अगर इन पांचों कामिक्स को नए और पुराने ढर्रों में बांटा जाये तो पुराने कामिक्स पूर्ण बहुमत से यह चुनाव जीत गए हैं.. हो भी क्यों ना? किस्सागोई में ध्रुव के पुराने कामिक्स किसी भी हालत में नए कामिक्स से बीस ही आते हैं.. सबसे ज्यादा 13 वोट किरीगी का कहर को मिला है.. जिसे आज मैं आपके सामने लेकर आ रहा हूँ..
मेरे घर में कहानी कि किताबें खरीदना मना तो नहीं था मगर कामिक्स पर सख्त पाबंदी थी.. हमारे लिये कहानी कि किताबों का मतलब चंपक, नंदन, नन्हे सम्राट और बालहंस हुआ करते थे.. जब कभी वह अपने किसी मित्र के पास जब वह ढ़ेर सारी कामिक्स देखता था तो मैं सोचता था कि जब मैं बड़ा हो जाऊंगा तो ढ़ेर सारी कामिक्स खरीद कर पढ़ूंगा.. ये कुछ-कुछ वैसा ही था जैसा छुटपन में जब किसी चीज को खरीदने से मना किया जाता है तो हम सोचने लगते हैं कि बड़े होकर वह खूब खरीदेंगे और मौज करेंगे.. मानो बड़े होने पर पैसे अपने-आप ही आ जाते हैं..
खैर, और किसी चीज से बचपना भले ही खत्म हो चुका हो मगर कामिक्स को लेकर यह बचपना अभी भी वैसा ही है.. जहां कहीं भी अपने पसंद की कोई कामिक्स दिखती है, बस टूट पड़ता हूं वहां..
किरिगी का कहर सर्वप्रथम मैंने अपने स्कूल में अपने एक मित्र के पास देखी थी और जब उससे पढ़ने को मांगा तो उसका कहना था कि पहले कोई और डाईजेस्ट कामिक्स या फिर पतली वाली दो कामिक्स लाकर दो फिर मैं यह पढ़ने के लिये दूंगा.. उस समय मेरे पास चाचा चौधरी कि एक कामिक्स और एक नटवरलाल कि कामिक्स थी.. मैंने उसे हामी तो भर दी मगर जिस दिन कामिक्स लाना तय हुआ था उस दिन मैं किसी कारण से नहीं ला सका, मगर वह लड़का अपनी कामिक्स लाना नहीं भूला था.. संयोग से उस दिन किसी बच्चे के पास से एक कामिक्स निकल आयी और फिर पूरे क्लास कि तलाशी शुरू हो गई.. इस तलाशी में उसकी किरिगी का कहर भी पकड़ा गया.. फिर क्या था, ये कामिक्स भी गई हाथ से.. मगर मैंने उसे धोखा नहीं दिया, और मुझे भले ही वो कामिक्स पढ़ने को नहीं मिली मगर मैंने उसे अपनी वो दोनों कामिक्स पढ़ने को दे दी.. :)
इस घटना के लगभग 4-5 साल के बाद जब मैं सपरिवार पटना शिफ्ट हो गया तब मेरे मकान मालिक के बेटे के पास यह कामिक्स थी और मुझे तब यह पढ़ने को मिला..
किरीगी का कहर एक ऐसी कामिक्स है जिसमें कुछ पौराणिक कथानायकों कि किस्सागोई भी मिलेगी और साथ ही साथ कुछ नये वैज्ञानिक तथ्य भी समायोजित हैं.. इस कामिक्स में ध्रुव के कई महानायक एक साथ दिखे हैं, जैसे किरीगी, जिंगालू और धनंजय.. साथ में राक्षसराज चंडकाल को पहली बार इसी कामिक्स में लाया गया था.. ऐक्सन से भरपूर यह एक ऐसी कामिक्स है जिसे मैं ध्रुव के कहानियों के पतन के लिये भी जिम्मेवार मानता हूं.. क्योंकि यह ध्रुव की पहली डाईजेस्ट कामिक्स थी जिसमे वैज्ञानिक तथ्यों से परे हटकर जादू-मंतर और टोने-टोटकों का सहारा लिया गया था.. वैसे इससे पहले ध्रुव कि वू-डू भी आ चुकी थी जिसमें जादू-टोना दिखाया गया था, मगर वह कहीं से भी अविश्वनीय नहीं लगा था..
अब आगे कि कहानी जानने के लिये आप खुद ही पढ़ लें किरिगी का कहर..
कामिक्स डाऊनलोड का लिंक
इस कामिक्स को डाऊनलोड करने के लिये आप फोटो पर भी क्लिक कर सकते हैं..
संजय गुप्ता जी के अनुरोध पर डाउनलोड लिंक हटाया जा रहा है..
मेरे घर में कहानी कि किताबें खरीदना मना तो नहीं था मगर कामिक्स पर सख्त पाबंदी थी.. हमारे लिये कहानी कि किताबों का मतलब चंपक, नंदन, नन्हे सम्राट और बालहंस हुआ करते थे.. जब कभी वह अपने किसी मित्र के पास जब वह ढ़ेर सारी कामिक्स देखता था तो मैं सोचता था कि जब मैं बड़ा हो जाऊंगा तो ढ़ेर सारी कामिक्स खरीद कर पढ़ूंगा.. ये कुछ-कुछ वैसा ही था जैसा छुटपन में जब किसी चीज को खरीदने से मना किया जाता है तो हम सोचने लगते हैं कि बड़े होकर वह खूब खरीदेंगे और मौज करेंगे.. मानो बड़े होने पर पैसे अपने-आप ही आ जाते हैं..
खैर, और किसी चीज से बचपना भले ही खत्म हो चुका हो मगर कामिक्स को लेकर यह बचपना अभी भी वैसा ही है.. जहां कहीं भी अपने पसंद की कोई कामिक्स दिखती है, बस टूट पड़ता हूं वहां..
किरिगी का कहर सर्वप्रथम मैंने अपने स्कूल में अपने एक मित्र के पास देखी थी और जब उससे पढ़ने को मांगा तो उसका कहना था कि पहले कोई और डाईजेस्ट कामिक्स या फिर पतली वाली दो कामिक्स लाकर दो फिर मैं यह पढ़ने के लिये दूंगा.. उस समय मेरे पास चाचा चौधरी कि एक कामिक्स और एक नटवरलाल कि कामिक्स थी.. मैंने उसे हामी तो भर दी मगर जिस दिन कामिक्स लाना तय हुआ था उस दिन मैं किसी कारण से नहीं ला सका, मगर वह लड़का अपनी कामिक्स लाना नहीं भूला था.. संयोग से उस दिन किसी बच्चे के पास से एक कामिक्स निकल आयी और फिर पूरे क्लास कि तलाशी शुरू हो गई.. इस तलाशी में उसकी किरिगी का कहर भी पकड़ा गया.. फिर क्या था, ये कामिक्स भी गई हाथ से.. मगर मैंने उसे धोखा नहीं दिया, और मुझे भले ही वो कामिक्स पढ़ने को नहीं मिली मगर मैंने उसे अपनी वो दोनों कामिक्स पढ़ने को दे दी.. :)
इस घटना के लगभग 4-5 साल के बाद जब मैं सपरिवार पटना शिफ्ट हो गया तब मेरे मकान मालिक के बेटे के पास यह कामिक्स थी और मुझे तब यह पढ़ने को मिला..
किरीगी का कहर एक ऐसी कामिक्स है जिसमें कुछ पौराणिक कथानायकों कि किस्सागोई भी मिलेगी और साथ ही साथ कुछ नये वैज्ञानिक तथ्य भी समायोजित हैं.. इस कामिक्स में ध्रुव के कई महानायक एक साथ दिखे हैं, जैसे किरीगी, जिंगालू और धनंजय.. साथ में राक्षसराज चंडकाल को पहली बार इसी कामिक्स में लाया गया था.. ऐक्सन से भरपूर यह एक ऐसी कामिक्स है जिसे मैं ध्रुव के कहानियों के पतन के लिये भी जिम्मेवार मानता हूं.. क्योंकि यह ध्रुव की पहली डाईजेस्ट कामिक्स थी जिसमे वैज्ञानिक तथ्यों से परे हटकर जादू-मंतर और टोने-टोटकों का सहारा लिया गया था.. वैसे इससे पहले ध्रुव कि वू-डू भी आ चुकी थी जिसमें जादू-टोना दिखाया गया था, मगर वह कहीं से भी अविश्वनीय नहीं लगा था..
अब आगे कि कहानी जानने के लिये आप खुद ही पढ़ लें किरिगी का कहर..
कामिक्स डाऊनलोड का लिंक
इस कामिक्स को डाऊनलोड करने के लिये आप फोटो पर भी क्लिक कर सकते हैं..
संजय गुप्ता जी के अनुरोध पर डाउनलोड लिंक हटाया जा रहा है..
Labels:
Comics,
PD,
Raj Comics,
Super Commando Dhruv,
राज कॉमिक्स,
सुपर कमांडो ध्रुव
मार्वल की दुनिया मे ओबामा
लीजिये पिछली पोस्ट मे जहाँ स्पाईडी का समाचार था कि उसे अपनी सीक्रेट सबके सामने खोलनी पड़ गई वहीँ आज मार्वल की ऑफिशियल घोषणा है कि स्पाईडी की लेटेस्ट कॉमिक में उनके साथ नज़र आयेंगे...अमेरिका के नए नवेले राष्ट्रपति बैरक ओबामा... जी हाँ ये कोई गप्प नहीं हकीक़त है। मार्वल के एडिटर इन चीफ - जो कुसाडा कहते हैं - "राष्ट्रपति ओबामा स्पाईडी की कॉमिक्स संग्रह करते हैं और जब हमें इसका पता चला, तो हमने सोचा क्यों न इन दो ऐतेहासिक व्यक्तित्वों की मुलाक़ात करवा ही दी जाए...तो मार्वल यूनिवर्स जो कि असल यूनिवर्स से काफ़ी मिलता जुलता है, में एक नई कथा रची गई। स्पाईडर मैन का एक फैन आज व्हाइट हाउस में शपथ ग्रहण करेगा जो हम सभी के लिए गर्व की बात होगी और इस क्षण को और भी यादगार बना देगी ये कॉमिक। "
दो अलग अलग समाचारों में इस स्टोरी में दो अलग अलग विलेन बताये गए हैं - Vulture और Chameleon. मार्वल की ओर से अब तक विलेन की पुष्टि हालांकि नहीं हुयी है। Amazing Spiderman Issue # 583 आज से अमेरिका के तमाम स्टोर्स में उपलब्ध है , तो शीघ्र ही इसकी जानकारी भी मिल ही जायेगी।वैसे ये प्रथम बार नहीं है कि किसी अमेरिकी राष्ट्रपति को कॉमिक्स के पन्नों पर आने का सौभाग्य मिला हो। फ्रैंक मिलर की ग्राफिकनॉवल The Dark Knight Returns में राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन भी नज़र आए थे किंतु वहाँ उनका रोल ज़रा अलग किस्म का था, इस कहानी में वे सुपरमैन को बैटमैन से बात करके उसे समझाने के लिए दबाव डालते हैं. इसके अलावा १९६३ की एक्शन कॉमिक्स # ३०९ में राष्ट्रपति जॉन ऍफ़ कैनेडी ने क्लार्क केंट का रूप धरा था ताकि दुनिया के सामने सुपरमैन की सीक्रेट न खुले। देखें भारत में कॉमिक्स को इस तरह सम्मान की नज़रों से कब देखा जायेगा ।
-आलोक
Sunday, January 11, 2009
मार्वल की दुनिया में गृह-युद्ध और बेचारा पीटर पार्कर...
इस अनूठे ब्लौग पर मेरा ये पहला पोस्ट है। प्रशांत जी के इस बेमिसाल प्रयास की जितनी तारीफ की जाये, वो कम है। अपने पोस्ट में मैं ले चलूंगा आपको राजनगर से बाहर, राजनगर से बहुत दूर दो विशाल बाह्य ब्रह्मांडों की ओर, जिन्हें हम क्रमशः "मार्वल" और "डीसी" के नाम से जानते हैं। ...और वो भी खास कर दो जांबाज रिपोर्टरों की बातें। पीटर पार्कर और क्लार्क कैंट की बातें।
तो आज शुरूआत करते हैं न्यूयार्क की। जरा झांक कर देखते हैं कि क्या हो रहा है राजनगर से परे ब्रह्मांड के दूसरे सिरे पर पीटर पार्कर उर्फ स्पाइडर-मैन की दुनिया में। क्या कहा? कि ये मैंने क्या किया? कि मैंने स्पाइडर-मैन का परिचय यूं खुले आम पूरी दुनिया के समने जाहिर कर दिया? दरअसल विगत एक साल स्पाइडर-मैन की जिंदगी के बड़े ही उथल-पुथल भरे रहे हैं। उसका छिपा हुआ रहस्य जग-जाहिर हो चुका है। दुनिया जान चुकी है कि स्पाइडर-मैन और कोई नहीं, बल्कि "डेली बिगुल" का वो पिद्दी-सा दिखने वाला रिपोर्टर पीटर पार्कर ही है।
हुआ यूं कि अमरिकी सरकार ने सदन में एक बिल पारित कर सारे सुपर-हीरोज को अपना परिचय आम करने का आदेश जारी कर दिया। इस बिल को "सुपर ह्युमैन रजिस्ट्रेशन एक्ट" का नाम दिया गया है और इसके तहत हर मास्क पहनने वाले सुपर-हीरो को सरकार के समक्ष खुद को प्रस्तुत करना होगा और खुद का पंजिकरण करवाना पड़ेगा। इस तमाम प्रकरण का सुत्रधार टोनी स्टार्क उर्फ आयरन-मैन था,जिसने अमरिकी-राष्ट्रपति के साथ एक करार करते हुये ये मुहीम चलाई और स्पाइडर-मैन को तैयार कर लिया अपने संग दुनिया के समक्ष अपना परिचय खोलने के लिये।
...अब आप सब अंदाजा लगा सकते हैं कि कितनी जबरदस्त कथा-रेखा चल रही है इस वक्त मार्वल के ब्रह्मांड में। ये कहानी चल रही है(गुजर चुकी है) मार्वल से हर माह तीन बार छपने वाले अमेजिंग स्पाइडर-मैन में,जिसे मैं कई सालों से सब्सक्राइव कर रहा हूँ। अगर आप सब चाहेंगे तो मैं लगातार आप तक उस मोहक ब्रह्मांड की खबरें लाता रहूंगा।
मिलते हैं जल्द ही....
तो आज शुरूआत करते हैं न्यूयार्क की। जरा झांक कर देखते हैं कि क्या हो रहा है राजनगर से परे ब्रह्मांड के दूसरे सिरे पर पीटर पार्कर उर्फ स्पाइडर-मैन की दुनिया में। क्या कहा? कि ये मैंने क्या किया? कि मैंने स्पाइडर-मैन का परिचय यूं खुले आम पूरी दुनिया के समने जाहिर कर दिया? दरअसल विगत एक साल स्पाइडर-मैन की जिंदगी के बड़े ही उथल-पुथल भरे रहे हैं। उसका छिपा हुआ रहस्य जग-जाहिर हो चुका है। दुनिया जान चुकी है कि स्पाइडर-मैन और कोई नहीं, बल्कि "डेली बिगुल" का वो पिद्दी-सा दिखने वाला रिपोर्टर पीटर पार्कर ही है।
हुआ यूं कि अमरिकी सरकार ने सदन में एक बिल पारित कर सारे सुपर-हीरोज को अपना परिचय आम करने का आदेश जारी कर दिया। इस बिल को "सुपर ह्युमैन रजिस्ट्रेशन एक्ट" का नाम दिया गया है और इसके तहत हर मास्क पहनने वाले सुपर-हीरो को सरकार के समक्ष खुद को प्रस्तुत करना होगा और खुद का पंजिकरण करवाना पड़ेगा। इस तमाम प्रकरण का सुत्रधार टोनी स्टार्क उर्फ आयरन-मैन था,जिसने अमरिकी-राष्ट्रपति के साथ एक करार करते हुये ये मुहीम चलाई और स्पाइडर-मैन को तैयार कर लिया अपने संग दुनिया के समक्ष अपना परिचय खोलने के लिये।
...अब आप सब अंदाजा लगा सकते हैं कि कितनी जबरदस्त कथा-रेखा चल रही है इस वक्त मार्वल के ब्रह्मांड में। ये कहानी चल रही है(गुजर चुकी है) मार्वल से हर माह तीन बार छपने वाले अमेजिंग स्पाइडर-मैन में,जिसे मैं कई सालों से सब्सक्राइव कर रहा हूँ। अगर आप सब चाहेंगे तो मैं लगातार आप तक उस मोहक ब्रह्मांड की खबरें लाता रहूंगा।
मिलते हैं जल्द ही....
Tin-Tin के जन्मदिन पर बेतुका हंगामा
आज टिन-टिन का ८०वाँ जन्मदिन है और आज ही मैंने यह खबर पढ़ी कि टिन-टिन Gay है.. एक ब्रिटेन के कार्टूनिस्ट Parris ने यह नया विवाद शुरू किया है और उनका कहना है कि टिन-टिन Gay है.. उन्होंने यह निष्कर्ष इस बात से निकला कि अब तक के ८० सालों के टिन-टिन कि कहानियो में लगभग ३५० कैरेक्टर का समावेश हुआ है और जिनमे से अधिकतर पुरुष पात्र ही थे.. उनकी बातों में मुझे भी कुछ तर्क तो दीखता है मगर मेरा यह मानना है कि टिन-टिन एक साधारण सा मनोरंजन करने वाला कार्टून कैरेक्टर है जिसने आठ दशको तक लोगों के दिलो पर राज किया है और इस तरह कि बेतुकी बाते कहकर उनके प्रशंसको का दिल दुखाना कहीं से भी उचित नहीं है.. यह भी संभव है कि श्रीमान सस्ती लोकप्रियता पाने के चक्कर में यह कुछ कह गए होंगे जो उन्हें मिला भी.. मगर साथ ही टिन-टिन के प्रशंसको का विरोध भी झेलना पर रहा है.. Belgium में जन्मा यह कामिक कैरेक्टर अपने प्यारे कुत्ते स्नोवी के साथ पिछले ८० सालों से हजारो अखबारों में अपने जासूसी के जलवे दिखाता आ रहा है और लगभग हर भाषा और देश में बेहद पसंद भी किया गया है..
१० जनवरी सन १९२९ में पहली बार Tin-Tin नामक कामिक कैरेक्टर का जन्म हुआ था.. इसे पहली बार फ्रेंच में प्रकाशित किया गया था.. इसे बनाने वाले बेल्जियम के कलाकार का नाम Georges Remi (1907–1983) है.. टिन-टिन के प्रमुख पात्रों के नाम इसका कुत्ता स्नोवी, प्रोफेसर कैलकुलस और कैप्टन हैडोक हैं.. यह अब तक ५० भाषाओं में प्रकाशित हो चुका है और अब तक इसके लगभग ३०० मिलियन से भी ज्यादा प्रतियाँ विश्व भर में बेची जा चुकी है..
अगर अपनी बात करूँ तो सबसे पहले मैंने टिन-टिन को तब जाना जब मैं ६-७ साल का था.. एक चित्रकारी करने वाली पुस्तक खरीद कर लाया था और उसी में टिन-टिन कि तस्वीर थी.. उस तस्वीर में मैंने ना जाने कितनी ही बार पेन्सिल रंग से रंग भर कर मिटाया था.. यह सन १९८७-८८ कि बात है.. :)
अंत में, बगल साइडबार में दिखाने वाले वोट में हिस्सा लेना ना भूलें.. जो कामिक वोटिंग में जीतेगी, उसे मैं आपके पास लेकर आऊंगा.. और साथ में होगी अपने बचपन कि एक बढ़िया सी कहानी भी जो उस कामिक्स के साथ जुडी हुई हैं.. :) साथ में आपको याद दिलाता चलूँ कि कल वोटिंग कि आखिरी तारीख है..
मैंने इसे कल लिखा था मगर किसी कारणवश कल इसे पोस्ट नहीं कर सका था.. टिन-टिन का जन्मदिन कल १० जनवरी को था..
१० जनवरी सन १९२९ में पहली बार Tin-Tin नामक कामिक कैरेक्टर का जन्म हुआ था.. इसे पहली बार फ्रेंच में प्रकाशित किया गया था.. इसे बनाने वाले बेल्जियम के कलाकार का नाम Georges Remi (1907–1983) है.. टिन-टिन के प्रमुख पात्रों के नाम इसका कुत्ता स्नोवी, प्रोफेसर कैलकुलस और कैप्टन हैडोक हैं.. यह अब तक ५० भाषाओं में प्रकाशित हो चुका है और अब तक इसके लगभग ३०० मिलियन से भी ज्यादा प्रतियाँ विश्व भर में बेची जा चुकी है..
अगर अपनी बात करूँ तो सबसे पहले मैंने टिन-टिन को तब जाना जब मैं ६-७ साल का था.. एक चित्रकारी करने वाली पुस्तक खरीद कर लाया था और उसी में टिन-टिन कि तस्वीर थी.. उस तस्वीर में मैंने ना जाने कितनी ही बार पेन्सिल रंग से रंग भर कर मिटाया था.. यह सन १९८७-८८ कि बात है.. :)
अंत में, बगल साइडबार में दिखाने वाले वोट में हिस्सा लेना ना भूलें.. जो कामिक वोटिंग में जीतेगी, उसे मैं आपके पास लेकर आऊंगा.. और साथ में होगी अपने बचपन कि एक बढ़िया सी कहानी भी जो उस कामिक्स के साथ जुडी हुई हैं.. :) साथ में आपको याद दिलाता चलूँ कि कल वोटिंग कि आखिरी तारीख है..
मैंने इसे कल लिखा था मगर किसी कारणवश कल इसे पोस्ट नहीं कर सका था.. टिन-टिन का जन्मदिन कल १० जनवरी को था..
Monday, January 5, 2009
आप ध्रुव कि कौन सी कामिक्स पढना चाहते हैं?
आज मैं लेकर आया हूँ आपके पास आपकी पसंद कि ध्रुव कि बेहतरीन कामिक्स पढ़ने का मौका लेकर.. आज आप ही मुझे बताएं कि आप इनमे से कौन सी ध्रुव कि कामिक्स पढ़ना चाहते हैं? इस पोस्ट के बगल में एक पॉल भी लगा हुआ है, वहां अपना कीमती वोट देना ना भूलें.. वैसे तो मैं इन पांचो कामिक्स को एक एक करके आपके पास लेकर आऊंगा, मगर जिसे सबसे ज्यादा वोट मिलेगा उसे सबसे पहले यहाँ डालूँगा.. :)
"मैंने मारा ध्रुव को" और "हत्यारा कौन"
चुम्बा का चक्रव्यूह
किरीगी का कहर
सजा-ए-मौत
मैं आपको कामिक्स भी पढ़ने को दूंगा और उस कामिक्स से सम्बंधित अपने बचपन कि कहानिया भी सुनाऊंगा.. अब सब कुछ आपके हाथ में है कि आप कौन सी कामिक्स और कौन सी कहानी सुनना चाहते हैं.. :)
"मैंने मारा ध्रुव को" और "हत्यारा कौन"
चुम्बा का चक्रव्यूह
किरीगी का कहर
सजा-ए-मौत
मैं आपको कामिक्स भी पढ़ने को दूंगा और उस कामिक्स से सम्बंधित अपने बचपन कि कहानिया भी सुनाऊंगा.. अब सब कुछ आपके हाथ में है कि आप कौन सी कामिक्स और कौन सी कहानी सुनना चाहते हैं.. :)
Labels:
PD,
Raj Comics,
Super Commando Dhruv,
राज कॉमिक्स,
सुपर कमांडो ध्रुव
Sunday, January 4, 2009
बहादुर की लाल हवेली और नासुद कि शुरूवात
बहादुर चंबल के नामी डाकू का बेटा होते हुये भी आखिर कैसे नागरिक सुरक्षा दल(नासुद) का संस्थापक बना? इन सारी गुत्थियों को सुलझाता हुआ यह कामिक्स है.. इसमें बहादुर के बदले की आग और डाकुओं का हिंसक व्यवहार, इन दोनों को मिलाकर कहानी का तानाबाना बुना गया है.. कुल मिलाकर मैं इतना कह सकता हूं कि जो कोई भी इसे एक बार पढ़ना शुरू करे वो खत्म करके ही उठेगा..
आप यह कामिक्स इस चित्र पर क्लिक करके डाऊनलोड कर सकते हैं..
या फिर यहां क्लिक करें..
यह कामिक्स जब आयी होगी उस समय मैं शायद 5-6 साल का रहा होऊंगा, सो मुझे ज्यादा कुछ जानकारी नहीं है इस कामिक्स की.. अगर मेरे किसी मित्र को इसके बारे में जानकारी हो तो बताने का कष्ट करें.. उसे मैं अगले पोस्ट का हिस्सा जरूर बनाऊंगा.. धन्यवाद..
आप यह कामिक्स इस चित्र पर क्लिक करके डाऊनलोड कर सकते हैं..
या फिर यहां क्लिक करें..
यह कामिक्स जब आयी होगी उस समय मैं शायद 5-6 साल का रहा होऊंगा, सो मुझे ज्यादा कुछ जानकारी नहीं है इस कामिक्स की.. अगर मेरे किसी मित्र को इसके बारे में जानकारी हो तो बताने का कष्ट करें.. उसे मैं अगले पोस्ट का हिस्सा जरूर बनाऊंगा.. धन्यवाद..
ध्रुव के दुश्मन !!
यहाँ इस चिठ्ठे पर मेरी पहली पोस्ट है। ध्रुव मेरा सबसे पसंदीदा कौमिक हीरो है,पर आज मैं अपने उन पसंदीदा विलेनों की चर्चा करूँगा जिनका सामना ध्रुव से हुआ। ये वो किरदार है जिन्होने बार बार मुझे दीवाना बनाया है :
1. महामानव- महामानव की पहली कौमिक पढ़ने से पहले मैं इसके एक-दो और कौमिक पढ़ चुका था।ये मुझे हमेश से प्रिय था पर जब 'महामानव' पढ़ी,तब से ये मुझे राज कौमिक्स द्वारा निर्मित सबसे ज़ोरदार विलेन लगने लगा।मुझे याद है की इस कौमिक में डायनासौर के मरने की वजह पढ़के मैने राज कौमिक्स की रचनात्मकता की बहुत सराहना की थी। जलजला मे जब महामानव के किरदार को बड़ा महत्व मिला,तो इससे भी मुझे बहुत खुशी हुई। मानसिक शक्तियों से युक्त महामानव मेरे लिये सबसे खास विलेन है ।
2. क्विज़ मास्टर और विदूशक- 'क्विज़मास्टर' और 'दुश्मन' मैने लगभग एक ही समय पढ़ी थी। दुश्मन कई साल पहले मैने कहीं खो दी थी,पर क्विज़मास्टर को मैं शायद हज़ार बार पढ़ चुका हू। 'मुझे मौत चाहिये' के बाद ये मेरी पसंदीदा कौमिक्स है। 'एवर-रेस्ट','आ-हट','चट्टान' जैसे जवाबो को मैं कभी भूल नही सकता,उसी तरह इसका एक डायलौग कि 'अंधेरे के बाद और और अंधेरा आता है' मेरे लिये बहुत यादगार है।
इसी प्रकार विदूशक का किरदार भी बहुत मस्त था। जब विदूशक कहता है"बताओ मेरे पीछे भिखमंगे की तरह क्यों लगे हो",वो शायद मेरे कौमिक जीवन का शायद सबसे मज़ेदार पल है। विदूशक जितना जीवंत बहुत कम किरदार लगा है मुझे। अफ़सोस की बात है की ये दोनो सिर्फ़ एक-एक कौमिक्स में आये.गौरतलब है की ये बैटमैन के 'जोकर' और 'रिडलर' पर आधारित पात्र है,शायद ये एक वजह हो कि राज कौमिक्स ने इनका अधिक उपयोग नही किया।
3. नक्षत्र- बिल्कुल ध्रुव जैसा एक पात्र रचा गया और इसकी 'जंग' ध्रुव से हुई। नक्षत्र भी अब तक सिर्फ़ एक कौमिक्स में आया है,जो की ध्रुव की बेहतरीन कौमिको मे एक है। मुझे अब तक नक्षत्र के जेल से बाहर आने का इंतज़ार है ।
4. बौना वामन- खूनी खिलौने से ही इसने मेरे दिल मे एक जगह बना ली थी। पर बौना वामन ने एक 'स्पेशल अपीयरेंस' मे शायद सबसे अधिक मज़ा दिया। कौमिक "मैने मारा ध्रुव को" मे वह बायोट्रोन को जिस प्रकार अपनी कहानी सुनाता है,मज़ा आ गया था,आखिर बौना वामन एक ना एक ट्रिक बचाकर रखता है ।
5. डौक्टर वायरस- डौक्टर वायरस मुझे काफ़ी रीयलिस्टिक विलेन लगा है हमेशा से। काफ़ी हद तक ये शक्तिमान के डौक्टर जैकाल की याद दिलाता है। वायरस के प्लान हमेशा बहुत खतरनाक रहे है और मुझे उम्मीद है की भविष्य मे फ़िर इसे किसी ज़ोरदार कौमिक मे देखने का मौका मिले। शायद अलकेमिस्ट और डौक्टर वायरस को कभी साथ लाया जाये ।
6. अन्य विलेन- ग्रैंड मास्टर रोबो एक बहुत अहम विलेन रहा है और इसे काफ़ी महत्व भी दिया है राज कौमिक वालो ने। अगर कभी ध्रुव पर फ़िल्म बने तो मुझे पूरी उम्मीद है कि उसमे रोबो की भूमिका अहम होगी। ध्वनिराज और चुंबा को विज्ञान के सिद्धांतों पर आधारित करके बनाया गया है। चुंबा की हाल की कौमिक्स मैने नही पढ़ी है पर इससे पहले तक मेरा ये मानना है कि चुंबा का प्रयोग राज कौमिक्स ने भरपूर नही किया है ।
तो ये थे वो मुख्य विलेन जिन्होने ध्रुव के साथ मेरी कौमिक यात्रा को बेहद सुखद बनाया है। उम्मीद है की आप लोगो की भी यादें ताज़ा हुई होंगी ।
Saturday, January 3, 2009
डोगा का एनकाऊंटर
आज मैं लेकर आया हूं डोगा का एनकाऊंटर नामक कामिक्स.. यह कामिक्स 2007 के मध्य में आया था और मैंने इसे हावड़ा जंक्शन से खरीदा था.. मेरी नजर में यह डोगा के सबसे अच्छे कामिक्स में से एक है.. आज नेट पर घूमते हुये इसकी ई-कामिक्स मुझे मिल गई तो मैंने सोचा कि क्यों ना इसे आपलोगों से बांट लिया जाये.. आज इस कामिक्स के बारे में मैं ज्यादा नहीं बताऊंगा मगर एक बात जरूर कहूंगा कि डोगा कि कामिक्स में हमेशा से ही हाल-फिलहाल में घटी घटनाओं से संबंधित कहानी ही आपको मिलेगी.. ठीक जैसे इसमें एनकाऊंटर के मुद्दे को लेकर कहानी का ताना बाना बुना है तरूण कुमार वाही जी ने.. मुझे याद आता है कि डोगा कि एक कामिक्स खाकी और खद्दर में भी एनकाऊंटर को लेकर ही कहानी कि शुरूवात की गई थी.. और मुझे खुशी है कि सबसे पहले मैंने ही डोगा कि उस कामिक्स को नेट पर अपलोड किया था.. आज से लगभग 3-4 साल पहले.. जहां मैंने अपलोड किया था वह लिंक तो अब हट गया है मगर मेरे द्वारा अपलोड कामिक्स का लिंक मुझे कई दूसरे जगहों पर दिखी है.. :)
इसे RFN(राज कामिक्स फैन नेशन) नामक और्कुट कम्यूनिटी के सदस्यों ने नेट पर अपलोड किया था, जिसमें मैंने कुछ और छेड़छाड़ की और इसका साईज घटाया जिससे पाठकों को डाऊनलोड करने में कोई परेशानी ना हो, मगर क्वालिटी के साथ कोई समझौता नहीं किया है मैंने.. मैंने छेड़-छाड़ तो की मगर RFN Club के सदस्यों का नाम नहीं हटाया, जिससे मेरे नियमित पाठकों को भी उनके बारे में जानकारी मिले.. :)
इस कामिक्स को डाऊनलोड करने के लिये आप इस चित्र पर क्लिक करें या फिर यहां क्लिक करें..
इसे पढ़ने के लिये CDisplay नामक साफ्टवेयर की आवश्यकता होगी जिसे आप यहां से डाऊनलोड कर सकते हैं.. इस कामिक्स फारमेट के बारे में ज्यादा जानने के लिये आप इस पोस्ट को पढ़ें..
अब चलिये कुछ बातें करते हैं पिछले पोस्ट के बारे में.. संजय बेंगाणी जी हमेशा कि तरह आये और हमारा उत्साह बढ़ा गये.. इस बार चिट्ठाजगत के नाम भी एक कमेंट रहा.. और अंत में हमारे आलोक जी कह गये कि-
वाह.. ये विडियो राज कामिक्स कि साईट पर कुछ समय पहले देखा.. अब तक के भरतीय 3-डी एनिमेशन से इनका स्टार काफी अच्छा है.. ध्रुव के कैरेक्टर के बालों पर अभी काम कुछ बाकी लगा.. मैं खुद इस विषय पर लिखने कि सोच रहा था मगर आप तो गुरू निकले..
हमारा उनसे कहना है कि आलोक जी, आप तो लिख ही डालिये इस पर एक पोस्ट.. आपका लिखा पढ़ने में एक अलग ही आनंद है.. हर बात तथ्यपरक होती है आपकी.. :)
Note - All download links are removed
इसे RFN(राज कामिक्स फैन नेशन) नामक और्कुट कम्यूनिटी के सदस्यों ने नेट पर अपलोड किया था, जिसमें मैंने कुछ और छेड़छाड़ की और इसका साईज घटाया जिससे पाठकों को डाऊनलोड करने में कोई परेशानी ना हो, मगर क्वालिटी के साथ कोई समझौता नहीं किया है मैंने.. मैंने छेड़-छाड़ तो की मगर RFN Club के सदस्यों का नाम नहीं हटाया, जिससे मेरे नियमित पाठकों को भी उनके बारे में जानकारी मिले.. :)
इस कामिक्स को डाऊनलोड करने के लिये आप इस चित्र पर क्लिक करें या फिर यहां क्लिक करें..
इसे पढ़ने के लिये CDisplay नामक साफ्टवेयर की आवश्यकता होगी जिसे आप यहां से डाऊनलोड कर सकते हैं.. इस कामिक्स फारमेट के बारे में ज्यादा जानने के लिये आप इस पोस्ट को पढ़ें..
अब चलिये कुछ बातें करते हैं पिछले पोस्ट के बारे में.. संजय बेंगाणी जी हमेशा कि तरह आये और हमारा उत्साह बढ़ा गये.. इस बार चिट्ठाजगत के नाम भी एक कमेंट रहा.. और अंत में हमारे आलोक जी कह गये कि-
वाह.. ये विडियो राज कामिक्स कि साईट पर कुछ समय पहले देखा.. अब तक के भरतीय 3-डी एनिमेशन से इनका स्टार काफी अच्छा है.. ध्रुव के कैरेक्टर के बालों पर अभी काम कुछ बाकी लगा.. मैं खुद इस विषय पर लिखने कि सोच रहा था मगर आप तो गुरू निकले..
हमारा उनसे कहना है कि आलोक जी, आप तो लिख ही डालिये इस पर एक पोस्ट.. आपका लिखा पढ़ने में एक अलग ही आनंद है.. हर बात तथ्यपरक होती है आपकी.. :)
Note - All download links are removed
Subscribe to:
Posts (Atom)