जो भी कामिक्स के शौकीन रह चुके हैं वे अच्छे से जानते हैं कि दूरदर्शन पर आने वाले "शक्तिमान" धारावाहिक से कई साल पहले मधु-मुस्कान में शक्तिमान नामक एक चरित्र प्रकाशित हुआ करता था.. एक झलक आप उसके एक पन्ने पर देखें..
इस मधु-मुस्कान के पृष्ठ के लिये मैं इस ब्लौग को धन्यवाद देता हूं और चलते-चलते बताता चलता हूं कि आप इस ब्लौग पर कई अतीत के बिखरे हुये कामिक्स का खजाना भी मिलेगा..
मधु-मुस्कान को पूरा पढ़ने के लिये आप उसी ब्लौग से डाऊनलोड भी कर सकते हैं..
Tuesday, December 29, 2009
Saturday, October 31, 2009
हिंदी एस्ट्रिक्स MINT में
यदि आपको याद हो तो इसी ब्लॉग पर मैंने एक पोस्ट डाली थी Asterix के भारतीय संस्करण के विषय में. हाल ही में Mint ने Asterix की पचासवीं वर्षगाँठ पर एक story करने का निर्णय किया तो उनके रिपोर्टर कृष ने मुझसे हिंदी एस्ट्रिक्स पर एक लम्बी चर्चा की, मैंने उनका सीधा संपर्क हरीश एम् सूदन जी से भी करवाया जिन्होंने सभी छः हिंदी एस्ट्रिक्स का सुलेखन किया और चार का बेहतरीन अनुवाद भी. उनके द्वारा अनुवादित एस्ट्रिक्स में ये पकड़ना असंभव है कि अनुवाद कहाँ ख़त्म हुआ और सूदन साहब की लेखनी कहाँ शुरू हुयी.
बहरहाल पेश- ए -खिदमत है MINT में आज प्रकाशित उस Story का वह अंश जहां हिंदी एस्ट्रिक्स की चर्चा हुयी है और कहीं कहीं उसमें हमें भी Quote किया गया है... पूरी Story के लिए क्लिक करें यहाँ.
बहरहाल पेश- ए -खिदमत है MINT में आज प्रकाशित उस Story का वह अंश जहां हिंदी एस्ट्रिक्स की चर्चा हुयी है और कहीं कहीं उसमें हमें भी Quote किया गया है... पूरी Story के लिए क्लिक करें यहाँ.
Tuesday, October 6, 2009
चित्रकथा : कॉमिक्स को समर्पित एक अनूठा प्रयास
चित्रकथा याने भारतीय कॉमिक्स। चित्रकथा याने चित्रों के माध्यम से कथा कहने का प्रयास । चित्रकथा याने बचपन की वे रंगबिरंगी पुस्तकें जिनमें खो जाने के बाद समय और स्थान (अंग्रेज़ी मे कहें तो space-time) का भान ही नहीं रह जाता। जहाँ कुछ उन पुस्तकों को भारी पढाई की पुस्तकों के बीच भूल कर आगे बढ़ गए वहीँ कुछ उनके इस मायाजाल में सदा इस तरह फंसे रहे कि उनके लिए शायद ये दुनिया और उनके अंतर्मन के बीच संबोधन का जरिया बन गई। मैं दूसरे किस्म के लोगों में हूँ, और यह देख कर बड़ा अच्छा लगता है कि इस प्रजाति के लोगों की कमी नहीं है, और जो इस प्रजाति के लोग हैं वे इस तरह के कई ब्लोग्स या चर्चाओं में बचपन की इन पुस्तकों की यादें उन तक भी ले जाते हैं जिनके मन के किसी कोने में वो बचपन अब भी छिपा है और एक मुस्कान मात्र से कॉमिक्स भाईचारे के रिश्ते में सभी बंध जाते हैं। बचपन का मोहक इंद्रजाल है ही कुछ ऐसा...
ऐसे में हमारे मन में विचार आया कि जहाँ आज भी इन पुस्तकों के इतने प्रसंशक मौजूद हैं और इन पुस्तकों की इतनी मांग है ब्लोग्स पर और ऑनलाइन फोरम्स पर क्या हम सच में इनके रचयिता इनके लेखकों और कलाकारों को सही तरीके से पहचानते हैं। इक्का दुक्का लोगों को नाम याद होंगे पर क्या इन पन्नों के पीछे की वे कहानियाँ पता हैं जिनमें छुपी है बरसों की मेहनत, कड़ा संघर्ष और कला के इस उपेक्षित माध्यम के साथ एक ममत्व भरा लगाव? इस विचार को और बल मिला लोगों की आपस में की जाने वाली बातों से जहाँ लोग बड़े चाव से आर्टिस्ट्स के बारे में बात करके एक दूसरे से जानना चाहते तो थे पर इसे कॉमिक्स जगत की विडम्बना कह लीजिये या दुर्भाग्य देश में कभी इस कला के इतिहास पर कोई प्रमाणिक पुस्तक या तथ्यपरक लेख कभी देखने को नहीं मिले...हमने आज से करीब पाँच वर्ष पूर्व इस विचार के साथ एक रिसर्च शुरू की और देश के कोने कोने में छिपे इन आर्टिस्ट्स को ढूंढ निकाला...जिनमें से आधे बुजुर्ग अब रिटायर्ड जीवन बिता रहे हैं...उनसे मिल कर उन्हें साक्षात्कारों के लिए मनाया (जो शायद इस सफर का सबसे दुस्कर कार्य था) चुन चुन कर उनके पुराने काम इकट्ठे किए, कहानियों के सूत्र जोड़े और इस तरह शुरू हुआ वह सफर जिसे आज हम चित्रकथा के नाम से पुकार रहे हैं।
चित्रकथा डॉक्युमेंटरी फ़िल्म समर्पित है उन महान कलाकारों को जिन्होंने जन्म दिया उन कॉमिक्स चरित्रों को जो आज भी भारतीय जनमानस की स्मृतियों में ताजे हैं पर वे ख़ुद जीते रहे एक गुमनामी भरा जीवन। हमारा प्रयास है कि कॉमिक्स फैन्स को आख़िर वो चेहरे देखने को मिलें जिन्होंने रचा था ये सारा मायाजाल कॉमिक्स का और गढे थे वे पात्र जिनकी स्मृति मात्र से बचपन कि सोंधी खुशबु आने लगती है। इस डॉक्युमेंटरी फ़िल्म में शामिल हैं आपके सभी प्रिय कलाकारों की वे कहानियाँ जिनमें आपको मिलेंगे अपने उन सारे सवालों के जवाब जो ये सारी कॉमिक्स पढ़ते समय आपके मन में उठा करते थे... चाचा चौधरी की प्रेरणा प्राण साहब को कहाँ से मिली? बहादुर का कार्यक्षेत्र चम्बल क्यों है? नागराज की कहानियों में बदलाव क्यों आए? राज कॉमिक्स किस तरह शुरू हुयी? मधुमुस्कान के किरदार मालिक साब की रचना कैसे हुयी...और भी ना जाने क्या क्या?
आप इस प्रोजेक्ट के विषय में और भारतीय कॉमिक्स के विषय में ढेर सारी जानकारियाँ पा सकते हैं हमारी डॉक्युमेंटरी के फेसबुक पेज पर जा कर, उसके लिए क्लिक करें यहाँ
और इस पेज से जुड़े रहने के लिए Become a Fan! कॉमिक्स ब्लोगर्स से विनम्र विनती, यदि वे भी अपने ब्लोग्स पर चित्रकथा का विजेट लगना चाहें तो उसका HTML Code पेज की तस्वीर के नीचे ही दिया हुआ है।
ऐसे में हमारे मन में विचार आया कि जहाँ आज भी इन पुस्तकों के इतने प्रसंशक मौजूद हैं और इन पुस्तकों की इतनी मांग है ब्लोग्स पर और ऑनलाइन फोरम्स पर क्या हम सच में इनके रचयिता इनके लेखकों और कलाकारों को सही तरीके से पहचानते हैं। इक्का दुक्का लोगों को नाम याद होंगे पर क्या इन पन्नों के पीछे की वे कहानियाँ पता हैं जिनमें छुपी है बरसों की मेहनत, कड़ा संघर्ष और कला के इस उपेक्षित माध्यम के साथ एक ममत्व भरा लगाव? इस विचार को और बल मिला लोगों की आपस में की जाने वाली बातों से जहाँ लोग बड़े चाव से आर्टिस्ट्स के बारे में बात करके एक दूसरे से जानना चाहते तो थे पर इसे कॉमिक्स जगत की विडम्बना कह लीजिये या दुर्भाग्य देश में कभी इस कला के इतिहास पर कोई प्रमाणिक पुस्तक या तथ्यपरक लेख कभी देखने को नहीं मिले...हमने आज से करीब पाँच वर्ष पूर्व इस विचार के साथ एक रिसर्च शुरू की और देश के कोने कोने में छिपे इन आर्टिस्ट्स को ढूंढ निकाला...जिनमें से आधे बुजुर्ग अब रिटायर्ड जीवन बिता रहे हैं...उनसे मिल कर उन्हें साक्षात्कारों के लिए मनाया (जो शायद इस सफर का सबसे दुस्कर कार्य था) चुन चुन कर उनके पुराने काम इकट्ठे किए, कहानियों के सूत्र जोड़े और इस तरह शुरू हुआ वह सफर जिसे आज हम चित्रकथा के नाम से पुकार रहे हैं।
चित्रकथा डॉक्युमेंटरी फ़िल्म समर्पित है उन महान कलाकारों को जिन्होंने जन्म दिया उन कॉमिक्स चरित्रों को जो आज भी भारतीय जनमानस की स्मृतियों में ताजे हैं पर वे ख़ुद जीते रहे एक गुमनामी भरा जीवन। हमारा प्रयास है कि कॉमिक्स फैन्स को आख़िर वो चेहरे देखने को मिलें जिन्होंने रचा था ये सारा मायाजाल कॉमिक्स का और गढे थे वे पात्र जिनकी स्मृति मात्र से बचपन कि सोंधी खुशबु आने लगती है। इस डॉक्युमेंटरी फ़िल्म में शामिल हैं आपके सभी प्रिय कलाकारों की वे कहानियाँ जिनमें आपको मिलेंगे अपने उन सारे सवालों के जवाब जो ये सारी कॉमिक्स पढ़ते समय आपके मन में उठा करते थे... चाचा चौधरी की प्रेरणा प्राण साहब को कहाँ से मिली? बहादुर का कार्यक्षेत्र चम्बल क्यों है? नागराज की कहानियों में बदलाव क्यों आए? राज कॉमिक्स किस तरह शुरू हुयी? मधुमुस्कान के किरदार मालिक साब की रचना कैसे हुयी...और भी ना जाने क्या क्या?
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Monday, August 31, 2009
क्या आप तैयार हैं मिकी वोल्वी या स्पाईडर मिकी के लिए : डिस्नी ने खरीदा मार्वेल
डेक्सटर की कहानी के बीच में रुकावट के लिए खेद है।
पर ख़बर ही कुछ ऐसी है कि मुझे कहानी के बीच मे ना चाहते हुए भी टपकना पड़ा। मैं आज दोपहर डिस्नी इंडिया के ऑफिस में बैठा हुआ अपने पुराने सहकर्मियों के साथ बातें ही कर रहा था कि इस बड़ी ख़बर की उद्घोषणा हुयी डिस्नी ने मार्वेल कॉमिक्स को टेकओवर कर लिया है, वह भी पूरे चार बिलियन अमेरिकन डॉलर्स में। याने पता नहीं कब आपको मिकी माउस की कहानी में स्पाईडी की झलक मिल जाए या किसी फ़िल्म में डोनाल्ड डक और हॉवर्ड डक गलबहियां डाले घूमते नज़र आयें।
मजाक दरकिनार रखते हुए मैं बताना चाहूँगा कि एक कंपनी के तौर पर डिस्नी ने इससे पहले भी कई ऐसे टेकओवर्स किए हैं जिन्हें देख कर लोगो ने दाँतों तले उंगलियाँ दबा ली थी। यदि मैं आपसे कहूँ डिस्नी ने क्विनटीन टेरेंटिनो की सभी फिल्में जैसे कि पल्प फिक्शन इत्यादि का निर्माण किया है या कहूं कि कई अडल्ट शोज़ जैसे डेस्परेट हाउसवायिव्ज़, lost या Ugly Betty इत्यादि भी डिस्नी द्वारा निर्मित हैं तो क्या आप यकीन करेंगे? जी हाँ यह बिल्कुल सच है क्योंकि डिस्नी ने मनोरंजन के किसी भी रूप को नई दिशा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी और यही कारण है कि कई बड़ी कंपनियाँ जैसे कि Touchstone, MIRAMAX या abc, espn इत्यादि डिस्नी के अर्न्तगत आने वाली कई कम्पनियों में से कुछ एक हैं। डिस्नी को सिर्फ़ एनीमेशन या बच्चों के लिए बनने वाले कार्यक्रमों वाली कंपनी समझने की भूल हम सब करते हैं पर डिस्नी दरअसल जैसी दिखती है उससे कहीं ज़्यादा विस्तृत कंपनी है। और इस अति विस्तृत कंपनी का हिस्सा बन कर मार्वेल कॉमिक्स अब कैसी ऊँचाइयाँ छुयेगी ये तो आनेवाला समय ही बताएगा पर फिलहाल इस ख़बर से मीडिया जगत के बड़े बड़े दिग्गजों की नींदें उड़ गई हैं।
विस्तृत समाचार के लिए इन लिंक्स पर जाएँ :
Hollywood Reporter
Comic Book Resources
पर ख़बर ही कुछ ऐसी है कि मुझे कहानी के बीच मे ना चाहते हुए भी टपकना पड़ा। मैं आज दोपहर डिस्नी इंडिया के ऑफिस में बैठा हुआ अपने पुराने सहकर्मियों के साथ बातें ही कर रहा था कि इस बड़ी ख़बर की उद्घोषणा हुयी डिस्नी ने मार्वेल कॉमिक्स को टेकओवर कर लिया है, वह भी पूरे चार बिलियन अमेरिकन डॉलर्स में। याने पता नहीं कब आपको मिकी माउस की कहानी में स्पाईडी की झलक मिल जाए या किसी फ़िल्म में डोनाल्ड डक और हॉवर्ड डक गलबहियां डाले घूमते नज़र आयें।
मजाक दरकिनार रखते हुए मैं बताना चाहूँगा कि एक कंपनी के तौर पर डिस्नी ने इससे पहले भी कई ऐसे टेकओवर्स किए हैं जिन्हें देख कर लोगो ने दाँतों तले उंगलियाँ दबा ली थी। यदि मैं आपसे कहूँ डिस्नी ने क्विनटीन टेरेंटिनो की सभी फिल्में जैसे कि पल्प फिक्शन इत्यादि का निर्माण किया है या कहूं कि कई अडल्ट शोज़ जैसे डेस्परेट हाउसवायिव्ज़, lost या Ugly Betty इत्यादि भी डिस्नी द्वारा निर्मित हैं तो क्या आप यकीन करेंगे? जी हाँ यह बिल्कुल सच है क्योंकि डिस्नी ने मनोरंजन के किसी भी रूप को नई दिशा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी और यही कारण है कि कई बड़ी कंपनियाँ जैसे कि Touchstone, MIRAMAX या abc, espn इत्यादि डिस्नी के अर्न्तगत आने वाली कई कम्पनियों में से कुछ एक हैं। डिस्नी को सिर्फ़ एनीमेशन या बच्चों के लिए बनने वाले कार्यक्रमों वाली कंपनी समझने की भूल हम सब करते हैं पर डिस्नी दरअसल जैसी दिखती है उससे कहीं ज़्यादा विस्तृत कंपनी है। और इस अति विस्तृत कंपनी का हिस्सा बन कर मार्वेल कॉमिक्स अब कैसी ऊँचाइयाँ छुयेगी ये तो आनेवाला समय ही बताएगा पर फिलहाल इस ख़बर से मीडिया जगत के बड़े बड़े दिग्गजों की नींदें उड़ गई हैं।
विस्तृत समाचार के लिए इन लिंक्स पर जाएँ :
Hollywood Reporter
Comic Book Resources
डेक्सटर की रहस्यमयी दुनिया---डेक्सटर्स लैबोरेटरी
रात का समय.. घनघोर अंधेरा.. डेक्सटर अपने बिस्तर पर बैठा डर से कांप रहा है.. खिड़की के बाहर बिजलियां कड़क रही है.. किसी अनहोनी की आशंका से डेक्सटर का जी घबराया हुआ है.. वह थोड़ी देर पहले हुई उस भयानक घटना के बारे में सोच रहा था जो उसके और उसकी बड़ी बहन डीडी के साथ घटा था..
उसके घर की गोल्ड फिश कैसे पानी में ही तड़प-तड़प कर मर गई थी.. उसे जहां तक पता था उसके मुताबिक मछली को पानी से बाहर निकालने पर ही मरती है, क्योंकि वह पानी के बाहर सांस नहीं ले पाती है.. मगर यह तो पानी के अंदर ही मर गई.. ऐसा कैसे संभव है? जरूर इसके पीछे भी विज्ञान का ही कोई सिद्धांत काम कर रहा होगा जिसके बारे में किसी को पता नहीं.. और अगर वह इसकी खोज करता है तो संभव है कि उसे नोबल पुरस्कार भी मिल ही जाये..
आईये, आगे जानने से पहले मैं अपना और अपनी बुद्धु बहन डीडी का परिचय दे देता हूं..
मैं डेक्सटर छः साल का एक बच्चा हूं जिसका दिमाग किसी वैज्ञानिक से कम नहीं है और मैं हमेशा अपनी सीक्रेट लैबोरेटरी में ही काम करता रहता हूं.. मैंने यह लैब अपने घर के नीचे बना रखा है जिसके बारे में मेरे घर में मेरे अलावा सिर्फ डीडी को ही पता है.. और वह बुद्धु डीडी हमेशा यहां आकर मेरा समय बरबाद करती रहती है..
डीडी!! हां, यही नाम है उस बुद्धु लड़की का जो मेरी बहन भी है वो आठ साल की है.. उसे कुछ नहीं आता है.. वो हमेशा मेरे लैब में घुसकर मुझे परेशान करती रहती है.. जितना स्कूल में पढ़ाई होती है बस उतना ही पढ़ती है, और बाकी समय वह बस खेल-कूद, नाच-गाने में ही लगी रहती है..
हां तो मैं फिर आता हूं अपने उस गोल्ड फिश की कहानी पर.. यूं तो मैं हमेशा साईंस के बारे में ही सोचता हूं और कहानियों की बाते नहीं करता हूं, मगर क्या करूं वह रात थी ही अजीब.. कल रात जब हमारे गोल्ड फिश की मौत हुई तो मैं और डीडी बहुत दुखी हुये.. हमारे मम्मी-डैडी भी बहुत दुखी थे.. खैर रात हो चुकी थी और वे दोनों सोने चले गये थे.. उनके जाने से पहले मैंने उनसे पूछा कि इस गोल्ड फिश की लाश का क्या किया जाये? डैडी ने कहा, "कुछ नहीं डेक्सटर, बस इसे फ्लश कर दो..
मैंने मछली को उठाया और रेस्टरूम की ओर बढ़ चला.. मैंने देखा डीडी भी मेरे पीछे-पीछे चली आ रही थी.. उसे भी मछली के मरने का बहुत दुख हुआ था..
क्रमशः...
उसके घर की गोल्ड फिश कैसे पानी में ही तड़प-तड़प कर मर गई थी.. उसे जहां तक पता था उसके मुताबिक मछली को पानी से बाहर निकालने पर ही मरती है, क्योंकि वह पानी के बाहर सांस नहीं ले पाती है.. मगर यह तो पानी के अंदर ही मर गई.. ऐसा कैसे संभव है? जरूर इसके पीछे भी विज्ञान का ही कोई सिद्धांत काम कर रहा होगा जिसके बारे में किसी को पता नहीं.. और अगर वह इसकी खोज करता है तो संभव है कि उसे नोबल पुरस्कार भी मिल ही जाये..
आईये, आगे जानने से पहले मैं अपना और अपनी बुद्धु बहन डीडी का परिचय दे देता हूं..
मैं डेक्सटर छः साल का एक बच्चा हूं जिसका दिमाग किसी वैज्ञानिक से कम नहीं है और मैं हमेशा अपनी सीक्रेट लैबोरेटरी में ही काम करता रहता हूं.. मैंने यह लैब अपने घर के नीचे बना रखा है जिसके बारे में मेरे घर में मेरे अलावा सिर्फ डीडी को ही पता है.. और वह बुद्धु डीडी हमेशा यहां आकर मेरा समय बरबाद करती रहती है..
डीडी!! हां, यही नाम है उस बुद्धु लड़की का जो मेरी बहन भी है वो आठ साल की है.. उसे कुछ नहीं आता है.. वो हमेशा मेरे लैब में घुसकर मुझे परेशान करती रहती है.. जितना स्कूल में पढ़ाई होती है बस उतना ही पढ़ती है, और बाकी समय वह बस खेल-कूद, नाच-गाने में ही लगी रहती है..
हां तो मैं फिर आता हूं अपने उस गोल्ड फिश की कहानी पर.. यूं तो मैं हमेशा साईंस के बारे में ही सोचता हूं और कहानियों की बाते नहीं करता हूं, मगर क्या करूं वह रात थी ही अजीब.. कल रात जब हमारे गोल्ड फिश की मौत हुई तो मैं और डीडी बहुत दुखी हुये.. हमारे मम्मी-डैडी भी बहुत दुखी थे.. खैर रात हो चुकी थी और वे दोनों सोने चले गये थे.. उनके जाने से पहले मैंने उनसे पूछा कि इस गोल्ड फिश की लाश का क्या किया जाये? डैडी ने कहा, "कुछ नहीं डेक्सटर, बस इसे फ्लश कर दो..
मैंने मछली को उठाया और रेस्टरूम की ओर बढ़ चला.. मैंने देखा डीडी भी मेरे पीछे-पीछे चली आ रही थी.. उसे भी मछली के मरने का बहुत दुख हुआ था..
क्रमशः...
Friday, August 28, 2009
अनुराग कश्यप और छः फिल्मी सितारे डोगा के रोल के लिये रेस में
क्या आपको पता है, डोगा के ऊपर बनने वाले सिनेमा जिसे अनुराग कश्यप डायरेक्ट कर रहे हैं, अनुराग कश्यप जी ने शुरूवात में छः फिल्मी सितारों में से किसी एक का चुनाव करने के बारे में सोचा.. मगर अंत में बात बनी कुनाल कपूर को लेकर.. कुनाल कपूर को लेकर अनुराग कश्यप इसलिये सहमत हुये क्योंकि वह अभी तक किसी भी ऐसे रोल में बंधे नहीं है जिसकी छवी डोगा के ऊपर हावी हो सके..
आज ही किसी साईट पर मैं पढ़ रहा था कि कुनाल इसके लिये आजकल अपना शरीर बनाने को लेकर खूब मेहनत भी किये जा रहे हैं.. दुर्भाग्य वश वह लिंक मुझसे खो गया और मैं उस खबर की लिंक यहां नहीं लगा पा रहा हूं..
अभी फिलहाल आप यह पांच उन फिल्मी सितारों का डोगा के ऊपर बना कार्टून देखें जिसे मैंने इस लिंक से लिया है.. आप इस लिंक पर जाकर इस बारे में कुछ मशालेदार खबर भी पढ़ सकते हैं..
शाहरूक खान डोगा के रूप में
सनी देओल डोगा के रूप में.. मुझे सबसे ज्यादा हंसी इस कार्टून को लेकर आयी, क्योंकि सनी देओल के पापा यानी धरम पा जी का ही एक डायलॉग बहुत प्रसिद्ध है, "कुत्ते-कमीने, मैं तुम्हारा खून पी जाऊंगा.." और डोगा को कुत्तों से बहुत प्यार जो है.. ;)
आमिर खान डोगा के रूप में.. वैसे आमिर खान का गजनी रूप भी बढ़िया लगा.. :D
अक्षय कुमार डोगा के रूप में.. ये बेचारे तो डोगा बन कर भी थम्स अप के पीछे ही भागते रहेंगे.. :D
अभिषेक बच्चन डोगा के रूप में.. और अभिषेक बच्चन का द्रोणावतार के बारे में आप क्या कहते हैं? :)
आज बहुत दिनों बाद इस ब्लौग पर लिखने बैठा हूं.. इस चिट्ठे को मैं लगभग भूल सा ही गया था, मगर पिछले दो-तीन दिनों से देखा कि इसके ट्रैफिक में अचानक से कुछ तेजी आई.. स्टैट काऊंटर पर जाकर पता किया तो पता चला यहां ढ़ेर सारे नये लोग राज-कामिक्स के साईट से आ रहे हैं.. उस लिंक पर जाने पर पता चला कि वहां मेरे इस ब्लौग के चर्चे हो रहे हैं जिसे मैंने लगभग चार महिनों से अपडेट भी नहीं किया है.. मगर अब से मेरी कोशिश यही रहेगी कि मैं लगातार इस पर भी अपने एक अन्य ब्लौग कि तरह ही बना रहूं..
अगर आप मेरे दूसरे बलौग को पढ़ना चाहते हैं तो आप इस लिंक पर जा सकते हैं..
आज ही किसी साईट पर मैं पढ़ रहा था कि कुनाल इसके लिये आजकल अपना शरीर बनाने को लेकर खूब मेहनत भी किये जा रहे हैं.. दुर्भाग्य वश वह लिंक मुझसे खो गया और मैं उस खबर की लिंक यहां नहीं लगा पा रहा हूं..
अभी फिलहाल आप यह पांच उन फिल्मी सितारों का डोगा के ऊपर बना कार्टून देखें जिसे मैंने इस लिंक से लिया है.. आप इस लिंक पर जाकर इस बारे में कुछ मशालेदार खबर भी पढ़ सकते हैं..
शाहरूक खान डोगा के रूप में
सनी देओल डोगा के रूप में.. मुझे सबसे ज्यादा हंसी इस कार्टून को लेकर आयी, क्योंकि सनी देओल के पापा यानी धरम पा जी का ही एक डायलॉग बहुत प्रसिद्ध है, "कुत्ते-कमीने, मैं तुम्हारा खून पी जाऊंगा.." और डोगा को कुत्तों से बहुत प्यार जो है.. ;)
आमिर खान डोगा के रूप में.. वैसे आमिर खान का गजनी रूप भी बढ़िया लगा.. :D
अक्षय कुमार डोगा के रूप में.. ये बेचारे तो डोगा बन कर भी थम्स अप के पीछे ही भागते रहेंगे.. :D
अभिषेक बच्चन डोगा के रूप में.. और अभिषेक बच्चन का द्रोणावतार के बारे में आप क्या कहते हैं? :)
आज बहुत दिनों बाद इस ब्लौग पर लिखने बैठा हूं.. इस चिट्ठे को मैं लगभग भूल सा ही गया था, मगर पिछले दो-तीन दिनों से देखा कि इसके ट्रैफिक में अचानक से कुछ तेजी आई.. स्टैट काऊंटर पर जाकर पता किया तो पता चला यहां ढ़ेर सारे नये लोग राज-कामिक्स के साईट से आ रहे हैं.. उस लिंक पर जाने पर पता चला कि वहां मेरे इस ब्लौग के चर्चे हो रहे हैं जिसे मैंने लगभग चार महिनों से अपडेट भी नहीं किया है.. मगर अब से मेरी कोशिश यही रहेगी कि मैं लगातार इस पर भी अपने एक अन्य ब्लौग कि तरह ही बना रहूं..
अगर आप मेरे दूसरे बलौग को पढ़ना चाहते हैं तो आप इस लिंक पर जा सकते हैं..
Monday, April 20, 2009
इलेक्शन एस.एम.एस. द्वारा
अरूण जी द्वारा बनाया गया यह कार्टून अपने आप में मेट्रो में रहने वाली खाये-पीये-अघाये भारतीय जनता की मानसिकता पर कटाक्ष करती है जो हर चीज को टीवी रियैलिटी शो समझ कर देखती है.. जहां हर वोट एस.एम.एस. के द्वारा ही दिया जाता है.. तो आज के चुनावी मौसम में एक कार्टून चुनावी तरीके का!!
वैसे अरूण जी का एक अपना ब्लौग भी है, कभी उधर भी देखें.. यहां मैं उनके कार्टून उनकी आज्ञा लेकर डाल रहे हैं..
वैसे अरूण जी का एक अपना ब्लौग भी है, कभी उधर भी देखें.. यहां मैं उनके कार्टून उनकी आज्ञा लेकर डाल रहे हैं..
Sunday, February 8, 2009
कैसे एक कामिक्स ने बदल दी जिंदगी.. "चुंबा का चक्रव्यूह"
जैसा मैंने पहले कहा था की मैं आने वाले पांच कामिक्स के साथ गुजारे हुये अपने जीवन के कुछ हसीन पल भी आप लोगों के साथ बाटूंगा और वैसा कुछ ही मैं इस कामिक्स के साथ भी करने के इरादे में था.. मगर मैं यह पोस्ट लिखता उससे पहले ही मुझे इस कामिक्स से संबंधित एक बहुत ही जबरदस्त कहानी आरकुट के एक कम्यूनिटी में मिल गई.. तो आज मैं आप लोगों के सामने ए.पी.दुबे जी की कहानी पेश कर रहा हूं.. मगर उससे पहले मैं आप लोगों के सामने इनका कुछ परिचय भी देता चलूं(जैसा मुझे इनके आरकुट प्रोफ़ाईल से मिला है)..
कामिक्स के बहुत बड़े पंखे(फैन) हैं यह महाशय.. बचपन से ही कामिक्स के दिवाने, खासकर के सुपर कमांडो ध्रुव के.. इन्होंने तो अपने होने वाले संतानों के नाम तक सोच लिया है(उसकी भी एक अलग कहानी है जो फिर कभी).. अगर लड़का हुआ तो ध्रुव और यदी लड़की हुई तो श्वेता(मेरे इस चिट्ठे को पढ़ने वाले कई पाठ्क ध्रुव के बारे में बहुत ज्यादा नहीं जानते हैं, सो उनके लिये यह जानकारी - ध्रुव की छोटी बहन का नाम श्वेता है).. यह अभी हाल फिलहाल में एक साईट भी शुरू किये हैं जिस पर आप यहां क्लिक करके पहूंच सकते हैं.. तो चलिये आज सुनते हैं इनकी दिलचस्प कहानी जो ध्रुव के कामिक्स चुंबा का चक्रव्यूह के साथ जुड़ी हुई है.. यह कहते हैं -
यह कहानी है तड़ित चालक के बारे में, जो मैंने ध्रुव के किसी कामिक्स में पढ़ा था.. ठीक-ठीक याद नहीं मगर शायद मैं आठवीं या नवमीं कक्षा में था जिस समय की यह घटना है.. हमारी शिक्षिका तडित चालक के बारे में हमें पढ़ा रही थे और उन्होंने कक्षा से पूछा, "कोई तडित चालक के बारे में जानता है?" मेरे और मेरे ही एक सहपाठी के अलावा और किसी ने हाथ नहीं उठाया..
हमारी शिक्षिका ने सबसे पहले मुझसे ही पूछा और मैंने उन्हें विस्तार पूर्वक बताया.. मेरे उत्तर से पूर्णतः संतुष्ट होने के बाद उन्होंने मुझसे पूछा की कहां से तुम्हें यह जानकारी मिली? मैंने बताया कि पिछले साल मैंने एक कामिक्स में इसके बारे में विस्तार से जाना था और उन्हें मेरी बातों पर भरोसा नहीं हुआ.. तब मेरे एक सहपाठि ने मेरी बातों का समर्थन किया जो अभी का मेरा सबसे अच्छा मित्र है.. और हमने कहा कि हम आपको कल यह सारी बात कामिक्स में भी दिखा देंगे..
अगले दिन मेरा मित्र उस कामिक्स के साथ विद्यालय आया लेकीन गणित के शिक्षक को एक लड़के ने बता दिया कि मेरा मित्र अपने स्कूल बैग में कामिक्स लेकर आया है.. हमारे गणित के शिक्षक ने हमें इसकी सजा देनी चाही मगर हम दोनों ही इसके लिये तैयार नहीं थे, क्योंकि हम दोनों की ही नजर में हमारी कोई गलती नहीं थी जो हम सजा भुगतते.. हमने कहा कि कृप्या हमारी विज्ञान की शिक्षिका को बुलाया जाये..
हमारे गणित के शिक्षक ने हमारी विज्ञान की शिक्षिका के साथ-साथ हमारे प्रधानाध्यापक को भी बुला लिया.. और उन सबके सामने हमने बताया कि हमने कहां से तडित चालक के बारे में पढ़ा था.. हमारी विज्ञान की शिक्षिका ने ना सिर्फ हमे शाबासी दी वरन् हमें पूरी कक्षा के सामने हीरो जसा बना दिया और वह भी प्रधानाध्यापक के सामने..
इन सब चीजों के परे, मुझे इस घटना से मेरा सबसे अच्छा मित्र मिल गया.. :)
आप इस कामिक्स को पढ़ने के लिए इस लिंक पर जाकर कामिक्स ऑर्डर कर सकते हैं..
आप भी तडित चालक के बारे में जानने के लिये पढ़ सकते हैं चुंबा का चक्रव्यूह, पृष्ठ नंबर 34.. :)
कामिक्स के बहुत बड़े पंखे(फैन) हैं यह महाशय.. बचपन से ही कामिक्स के दिवाने, खासकर के सुपर कमांडो ध्रुव के.. इन्होंने तो अपने होने वाले संतानों के नाम तक सोच लिया है(उसकी भी एक अलग कहानी है जो फिर कभी).. अगर लड़का हुआ तो ध्रुव और यदी लड़की हुई तो श्वेता(मेरे इस चिट्ठे को पढ़ने वाले कई पाठ्क ध्रुव के बारे में बहुत ज्यादा नहीं जानते हैं, सो उनके लिये यह जानकारी - ध्रुव की छोटी बहन का नाम श्वेता है).. यह अभी हाल फिलहाल में एक साईट भी शुरू किये हैं जिस पर आप यहां क्लिक करके पहूंच सकते हैं.. तो चलिये आज सुनते हैं इनकी दिलचस्प कहानी जो ध्रुव के कामिक्स चुंबा का चक्रव्यूह के साथ जुड़ी हुई है.. यह कहते हैं -
यह कहानी है तड़ित चालक के बारे में, जो मैंने ध्रुव के किसी कामिक्स में पढ़ा था.. ठीक-ठीक याद नहीं मगर शायद मैं आठवीं या नवमीं कक्षा में था जिस समय की यह घटना है.. हमारी शिक्षिका तडित चालक के बारे में हमें पढ़ा रही थे और उन्होंने कक्षा से पूछा, "कोई तडित चालक के बारे में जानता है?" मेरे और मेरे ही एक सहपाठी के अलावा और किसी ने हाथ नहीं उठाया..
हमारी शिक्षिका ने सबसे पहले मुझसे ही पूछा और मैंने उन्हें विस्तार पूर्वक बताया.. मेरे उत्तर से पूर्णतः संतुष्ट होने के बाद उन्होंने मुझसे पूछा की कहां से तुम्हें यह जानकारी मिली? मैंने बताया कि पिछले साल मैंने एक कामिक्स में इसके बारे में विस्तार से जाना था और उन्हें मेरी बातों पर भरोसा नहीं हुआ.. तब मेरे एक सहपाठि ने मेरी बातों का समर्थन किया जो अभी का मेरा सबसे अच्छा मित्र है.. और हमने कहा कि हम आपको कल यह सारी बात कामिक्स में भी दिखा देंगे..
अगले दिन मेरा मित्र उस कामिक्स के साथ विद्यालय आया लेकीन गणित के शिक्षक को एक लड़के ने बता दिया कि मेरा मित्र अपने स्कूल बैग में कामिक्स लेकर आया है.. हमारे गणित के शिक्षक ने हमें इसकी सजा देनी चाही मगर हम दोनों ही इसके लिये तैयार नहीं थे, क्योंकि हम दोनों की ही नजर में हमारी कोई गलती नहीं थी जो हम सजा भुगतते.. हमने कहा कि कृप्या हमारी विज्ञान की शिक्षिका को बुलाया जाये..
हमारे गणित के शिक्षक ने हमारी विज्ञान की शिक्षिका के साथ-साथ हमारे प्रधानाध्यापक को भी बुला लिया.. और उन सबके सामने हमने बताया कि हमने कहां से तडित चालक के बारे में पढ़ा था.. हमारी विज्ञान की शिक्षिका ने ना सिर्फ हमे शाबासी दी वरन् हमें पूरी कक्षा के सामने हीरो जसा बना दिया और वह भी प्रधानाध्यापक के सामने..
इन सब चीजों के परे, मुझे इस घटना से मेरा सबसे अच्छा मित्र मिल गया.. :)
आप इस कामिक्स को पढ़ने के लिए इस लिंक पर जाकर कामिक्स ऑर्डर कर सकते हैं..
आप भी तडित चालक के बारे में जानने के लिये पढ़ सकते हैं चुंबा का चक्रव्यूह, पृष्ठ नंबर 34.. :)
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सुपर कमांडो ध्रुव
Wednesday, January 21, 2009
सुपर कमांडो ध्रुव और मुक्ता
कल मैं अपनी एक मित्र मुक्ता से फोन पर बात कर रहा था जो कुछ मजेदार सा था.. उसी का एक अंश मैं यहां लिख रहा हूं..
मैं : "उस दिन मैं पूरे दिन भर तुम्हारा इंतजार करता रहा और तू नहीं आयी.. अबे अगर नहीं आना था तो फोन कर देती या मैसेज दे देती.."
मुक्ता : "अरे यार मैं बोली थी ना की मैं उस दिन आफिस चली गयी थी.."
मैं : "नहीं तू बोली थी की तू उससे एक दिन पहले सैटरडे को आफिस गयी थी.. अब मैं घर से खाने का सामान लाया हूं तो लालची की तरह मेरे घर आना चाह रही है.."
मुक्ता : "अच्छा गलती हो गई.. अब डांटो मत.."
मैं : "ठीक है नहीं डाटूंगा मिल तो पिटाई करता हूं.."
मुक्ता : "पिटाई तो मैं करूंगी तेरा.."
मैं : "क्यों?"
मुक्ता : "बस ऐसे ही मन कर रहा है.."
मैं : "अब तो तू मेरे हाथ से पिटने के लिये तैयार रहो.."
मुक्ता : "तू लड़की पर हाथ उठायेगा?"
मैं : "हां.."
मुक्ता : "तू ऐसा नहीं कर सकता है.. मुझे मालूम है तू लड़की पर हाथ नहीं उठाएगा.."
मैं : "कभी बचपन में कामिक्स पढी है सुपर कमांडो ध्रुव का?"
मुक्ता : "हां.. पर क्यों पूछ रहा है?"
मैं : "वो लड़की पर हाथ नहीं उठाता था.. तू क्या मेरे को सुपर कमांडो ध्रुव समझ रखी है? मैं लड़कीयों पर हाथ के साथ-साथ पैर भी उठा सकता हूं.."
मुक्ता : "अबे तू वही है सुपर कमांडो ध्रुव, लेकीन मुझे ना मारना.. समझा? तू भी क्या याद दिला दिया.. सुपर कमांडो ध्रुव.."
सम्मीलित हंसी.. "हा हा हा हा...."
मैंने यह पोस्ट 21 मार्च सन् 2008 को अपने चिट्ठे मेरी छोटी सी दुनिया पर पोस्ट किया था.. चूंकी यह पोस्ट कामिक्स से जुड़ी मेरी जिंदगी का एक हिस्सा ही है सो आज मैं इसे यहां भी पोस्ट कर रहा हूं.. मेरे अगले पोस्ट में आप चुंबा का चक्रव्यूह पढ़ सकते हैं.. और हां भूले नहीं, साथ में होगी इस कामिक्स से जुड़ी मेरे बचपन की एक कहानी भी.. :)
मैं : "उस दिन मैं पूरे दिन भर तुम्हारा इंतजार करता रहा और तू नहीं आयी.. अबे अगर नहीं आना था तो फोन कर देती या मैसेज दे देती.."
मुक्ता : "अरे यार मैं बोली थी ना की मैं उस दिन आफिस चली गयी थी.."
मैं : "नहीं तू बोली थी की तू उससे एक दिन पहले सैटरडे को आफिस गयी थी.. अब मैं घर से खाने का सामान लाया हूं तो लालची की तरह मेरे घर आना चाह रही है.."
मुक्ता : "अच्छा गलती हो गई.. अब डांटो मत.."
मैं : "ठीक है नहीं डाटूंगा मिल तो पिटाई करता हूं.."
मुक्ता : "पिटाई तो मैं करूंगी तेरा.."
मैं : "क्यों?"
मुक्ता : "बस ऐसे ही मन कर रहा है.."
मैं : "अब तो तू मेरे हाथ से पिटने के लिये तैयार रहो.."
मुक्ता : "तू लड़की पर हाथ उठायेगा?"
मैं : "हां.."
मुक्ता : "तू ऐसा नहीं कर सकता है.. मुझे मालूम है तू लड़की पर हाथ नहीं उठाएगा.."
मैं : "कभी बचपन में कामिक्स पढी है सुपर कमांडो ध्रुव का?"
मुक्ता : "हां.. पर क्यों पूछ रहा है?"
मैं : "वो लड़की पर हाथ नहीं उठाता था.. तू क्या मेरे को सुपर कमांडो ध्रुव समझ रखी है? मैं लड़कीयों पर हाथ के साथ-साथ पैर भी उठा सकता हूं.."
मुक्ता : "अबे तू वही है सुपर कमांडो ध्रुव, लेकीन मुझे ना मारना.. समझा? तू भी क्या याद दिला दिया.. सुपर कमांडो ध्रुव.."
सम्मीलित हंसी.. "हा हा हा हा...."
मैंने यह पोस्ट 21 मार्च सन् 2008 को अपने चिट्ठे मेरी छोटी सी दुनिया पर पोस्ट किया था.. चूंकी यह पोस्ट कामिक्स से जुड़ी मेरी जिंदगी का एक हिस्सा ही है सो आज मैं इसे यहां भी पोस्ट कर रहा हूं.. मेरे अगले पोस्ट में आप चुंबा का चक्रव्यूह पढ़ सकते हैं.. और हां भूले नहीं, साथ में होगी इस कामिक्स से जुड़ी मेरे बचपन की एक कहानी भी.. :)
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सुपर कमांडो ध्रुव
Sunday, January 18, 2009
डबल धमाका! "मैंने मारा ध्रुव" को और "हत्यारा कौन"
आप ध्रुव कि कौन सी कामिक्स पढ़ना चाहते हैं वाले पॉल में दूसरे स्थान पर यही दोनों कामिक्स आयी थी जिसे मैंने इस पोस्ट का शीर्षक बनाया है.. और अपने उस पोस्ट में किये वादे के मुताबिक चलते-चलते आपको इससे जुड़ी बचपन कि कहानी भी सुनाते चलना है..
बात सन् 1994 की है.. मैं उस समय 13 साल का था और चक्रधरपुर(जो अब झारखंढ में है) में रहता था.. उसी समय मेरे छोटे चाचाजी कि शादी तय हुयी थी और इंगेजमेंट के लिये मुझे और मेरे पापाजी को पटना से होते हुये दरभंगा जाना था.. हमें पटना के लिये ट्रेन पकड़ने के लिये पहले चक्रधरपुर से जमशेदपुर जाना था और वहां से पटना के लिये ट्रेन पकड़नी थी.. हम इस्पात एक्सप्रेस से घंटे भर में समय से जमशेदपुर पहूंच गये.. हमारे पास अभी भी 1 घंटे का समय था.. जैसा कि मैं पहले भी बता चुका हूं कि बचपन में हम बच्चों को कामिक्स खरीदने कि सख्त मनाही थी, मगर हमें ट्रेन में कामिक्स खरीदते समय मना नहीं किया जाता था.. सो इस मौके को मैं गवाना नहीं चाहता था और पहूंच गया कामिक्स के स्टॉल पर..
वहां नयी-नयी कामिक्स "मैंने मारा ध्रुव को" स्टॉल पर टंगी हुई थी.. मैंने आव ना देखा ताव और झट से कामिक्स खरीद ली.. ये भी नहीं देखा कि इसका कोई अगला भाग तो नहीं है? ये भी नहीं सोचा कि अगर इसका अगला भाग भी होगा तो वो कभी पढ़ने को मिलेगा या नहीं.. मैं उचक कर ट्रेन में अपने जगह पर बैठकर कामिक्स पढ़ने लगा, और जब तीन कहानी खत्म हो गयी फिर जाकर पता चला कि ये तो आधी ही है.. और फिर उदास हो गया.. ये उदासी ज्यादे देर तक नहीं रही क्योंकि अपने चाचाजी की इंगेजमेंट में जो जा रहा था..
"हत्यारा कौन" कामिक्स मुझे पटना आने के बाद शायद सन् 1997 में पढ़ने को मिली.. मगर इसका रोमांच तब तक कम नहीं हुआ था.. :)
चलते-चलते कुछ इन कामिक्स की भी बात कर ली जाये.. मेरी नजर में यह दोनों ही कामिक्स ध्रुव के कामिक्स का मील का पत्थर कहा जा सकता है, जिसमें रोमांच अंत तक बना रहता है.. शुरूवात होते ही एक बड़ा झटका लगता है कि ध्रुव मर कैसे गया, मगर मन में यह बात भी रहती है कि नायक कभी मरता नहीं, और एक विश्वास भी मन में होता है कि वो अंत में वापस जरूर आयेगा.. इन दोनों कामिक्स का प्रमुख किरदार "कंकालतंत्र" ही-मैन के कामिक्स का "स्केलेटन" का नकल भर ही है जिसके पास काफी कुछ उसी के जैसी शक्तियां भी है.. मगर फिर भी कहानी काफी चुस्त है.. दो कामिक्स में छः कहानियों को पढ़ने का अनुभव भी अलग ही है.. इसमें ध्रुव के लगभग सारे खलनायकों को एक जगह इकट्ठा किया गया है जिसमें वैज्ञानिकों के साथ-साथ तंत्र-मंत्र सम्राट चंडकाल भी है.. फिलहाल पूरी कहानी जानने के लिये आप यह कामिक्स डाऊनलोड करके पढ़िये.. :)
लिंक
मैंने मारा ध्रुव को का डाऊनलोड लिंक
हत्यारा कौन का डाऊनलोड लिंक
डाऊनलोड करने के लिये आप तस्वीर पर भी क्लिक कर सकते हैं..
संजय गुप्ता जी के अनुरोध पर डाउनलोड लिंक हटाया जा रहा है..
बात सन् 1994 की है.. मैं उस समय 13 साल का था और चक्रधरपुर(जो अब झारखंढ में है) में रहता था.. उसी समय मेरे छोटे चाचाजी कि शादी तय हुयी थी और इंगेजमेंट के लिये मुझे और मेरे पापाजी को पटना से होते हुये दरभंगा जाना था.. हमें पटना के लिये ट्रेन पकड़ने के लिये पहले चक्रधरपुर से जमशेदपुर जाना था और वहां से पटना के लिये ट्रेन पकड़नी थी.. हम इस्पात एक्सप्रेस से घंटे भर में समय से जमशेदपुर पहूंच गये.. हमारे पास अभी भी 1 घंटे का समय था.. जैसा कि मैं पहले भी बता चुका हूं कि बचपन में हम बच्चों को कामिक्स खरीदने कि सख्त मनाही थी, मगर हमें ट्रेन में कामिक्स खरीदते समय मना नहीं किया जाता था.. सो इस मौके को मैं गवाना नहीं चाहता था और पहूंच गया कामिक्स के स्टॉल पर..
वहां नयी-नयी कामिक्स "मैंने मारा ध्रुव को" स्टॉल पर टंगी हुई थी.. मैंने आव ना देखा ताव और झट से कामिक्स खरीद ली.. ये भी नहीं देखा कि इसका कोई अगला भाग तो नहीं है? ये भी नहीं सोचा कि अगर इसका अगला भाग भी होगा तो वो कभी पढ़ने को मिलेगा या नहीं.. मैं उचक कर ट्रेन में अपने जगह पर बैठकर कामिक्स पढ़ने लगा, और जब तीन कहानी खत्म हो गयी फिर जाकर पता चला कि ये तो आधी ही है.. और फिर उदास हो गया.. ये उदासी ज्यादे देर तक नहीं रही क्योंकि अपने चाचाजी की इंगेजमेंट में जो जा रहा था..
"हत्यारा कौन" कामिक्स मुझे पटना आने के बाद शायद सन् 1997 में पढ़ने को मिली.. मगर इसका रोमांच तब तक कम नहीं हुआ था.. :)
चलते-चलते कुछ इन कामिक्स की भी बात कर ली जाये.. मेरी नजर में यह दोनों ही कामिक्स ध्रुव के कामिक्स का मील का पत्थर कहा जा सकता है, जिसमें रोमांच अंत तक बना रहता है.. शुरूवात होते ही एक बड़ा झटका लगता है कि ध्रुव मर कैसे गया, मगर मन में यह बात भी रहती है कि नायक कभी मरता नहीं, और एक विश्वास भी मन में होता है कि वो अंत में वापस जरूर आयेगा.. इन दोनों कामिक्स का प्रमुख किरदार "कंकालतंत्र" ही-मैन के कामिक्स का "स्केलेटन" का नकल भर ही है जिसके पास काफी कुछ उसी के जैसी शक्तियां भी है.. मगर फिर भी कहानी काफी चुस्त है.. दो कामिक्स में छः कहानियों को पढ़ने का अनुभव भी अलग ही है.. इसमें ध्रुव के लगभग सारे खलनायकों को एक जगह इकट्ठा किया गया है जिसमें वैज्ञानिकों के साथ-साथ तंत्र-मंत्र सम्राट चंडकाल भी है.. फिलहाल पूरी कहानी जानने के लिये आप यह कामिक्स डाऊनलोड करके पढ़िये.. :)
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Saturday, January 17, 2009
राज कामिक्स मेरा जूनून
मैं मेरठ से दिल्ली 8 मार्च को 3 बजे दिन मे पहूंचा और रिगल, कनाट प्लेस के पास चला गया क्योंकि वहां मुझसे मिलने वंदना आ रही थी.. लगभग आधे घंटे बाद वो आई और उसके साथ मैं लगभग 4:45 तक रहा.. फिर वहां से हम दोनों ही पैदल ही टहलते हुये नई दिल्ली रेल्वे स्टेशन की तरफ बढ चले.. मेरा अपना अनुमान था की रीगल से स्टेशन तक जाने में लगभग 20 मिनट लगना चाहिये और मेरी ट्रेन 5:20 पर थी.. मतलब मेरे पास 15 मिनट बच रहा था अपनी ट्रेन पकड़ने के लिये..
मेरा अनुमान ट्रैफिक ने गलत साबित कर दिया और जब मैं स्टेशन पहूंचा तो 5:10 हो रहे थे.. अब मैंने वंदना को कहा की अब आप यहीं से वापस जाओ क्योंकि अगर मैं आपके लिये प्लेटफार्म टिकट लिया तो मुझे मेरी ट्रेन छोड़नी परेगी.. फिर उससे विदा लेकर प्लेटफार्म के अंदर घुस गया.. मैं पहाड़गंज के तरफ से अंदर गया था और पिछली बार जब मैंने संपूर्णक्रांती पकड़ी थी तो वह 9 या 10 नंबर से रवाना होती थी.. सो मुझे पता था की मेरे पास ज्यादा समय नहीं है.. इस बार तो वह 12 से जाने वाली थी..
मैं लगभग भागते हुये 12 नंबर पहूंचा.. समय देखा तो 4 मिनट बचे हुये थे.. सामने देखा तो S1 डब्बा था और मुझे B3 में जाना था.. मैंने कुली से पूछा की B3 कहां है तो पता चला की S1 से S10, फिर एक पैंट्री कार है और उसके बाद B1, B2 फिर जाकर B3 है.. मैंने फिर से भागना शुरू किया मगर मन में ये तसल्ली थी की ट्रेन अब नहीं छूटने वाली है..
बचपन से ही हम बच्चों के लिये ट्रेन से सफर करने का मतलब कोई कामिक या कहानी की किताब और ढेर कुछ ना कुछ खाते जाना होता था.. अब भैया दीदी तो सुधर गये हैं मगर मैं अपने घर का बच्चा होने का कर्तव्य अभी भी निभा रहा हूं.. :D जब मैं अपने डब्बे की तरफ भाग रहा था तभी मुझे एक किताब की दुकान पर कामिक दिख गई.. अब तो मैं सोचा चाहे दौड़कर ही मुझे ट्रेन पकड़नी परे मगर मैं पहले कामिक तो जरूर खरीदूंगा.. मैं अभी तक कामिक पढने का शौकीन हूं मगर चेन्नई में मुझे हिंदी कामिक नागराज, ध्रुव, डोगा वाली नहीं मिलती है.. मगर मैं भी पीछे नहीं हूं.. नेट से राज कामिक के साईट पर जाकर खरीदता हूं.. सो अधिकतर कामिक मेरी पढी होती है.. मैंने उसके पास जितनी कामिक थी वो सारी जल्दी-जल्दी में पलट डाली और 4 कामिक निकाल कर उसे दिया और कहा, "कितने का हुआ भैया, जल्दी बताओ.." वो हक्का बक्का होकर मेरा चेहरा देख रहा था.. सोच रहा होगा की इतना बड़ा होकर भी बच्चों वाला शौक.. :) मगर मुझे जो अच्छा लगता है मैं बस वही करता हूं.. आज तक दुनिया की कभी परवाह नहीं कि की दुनिया क्या सोचती है.. उसने मुझे बताया 120 की हुई.. मैंने बिना दाम जोड़े ही उसे 120 पकड़ाये और फिर दौड़ पड़ा अपने डब्बे की तरफ.. डब्बे पर अपना नाम चेक किया और डब्बे में चढ गया.. जब तक मैं अपनी सीट तक पहूंचता तब-तक ट्रेन खुल गई.. बाद में मैंने दाम जोड़े तो बिलकुल सही पाया.. :)
राज कामिक्स मेरा जूनून आजकल राज कामिक्स का पंच लाईन बना हुआ है जिसे मैंने शीर्षक के रूप में प्रयोग किया है..:) अभी कुछ दिन पहले नागराज के ऊपर सिनेमा बनाने के लिये एक अमेरिकन स्टूडियो ने राज कामिक्स के साथ करार भी किया है.. उम्मीद है अगले साल तक वो सिनेमा हमारे बीच भी होगी..
मैंने यह लेख बहुत पहले 29 मार्च सन 2008 को अपने ब्लौग छोटी सी दुनिया के लिये लिखा था जिसे आज मैं यहां भी पोस्ट कर रहा हूं और यही वह पोस्ट है जिसने मुझे यह ब्लौग बनाने की प्रेरणा दी थी.. ध्रुव कि अगली कामिक्स मैंने मारा ध्रुव को और हत्यारा कौन मैं अगले पोस्ट में लेकर आता हूं..
धन्यवाद..
मेरा अनुमान ट्रैफिक ने गलत साबित कर दिया और जब मैं स्टेशन पहूंचा तो 5:10 हो रहे थे.. अब मैंने वंदना को कहा की अब आप यहीं से वापस जाओ क्योंकि अगर मैं आपके लिये प्लेटफार्म टिकट लिया तो मुझे मेरी ट्रेन छोड़नी परेगी.. फिर उससे विदा लेकर प्लेटफार्म के अंदर घुस गया.. मैं पहाड़गंज के तरफ से अंदर गया था और पिछली बार जब मैंने संपूर्णक्रांती पकड़ी थी तो वह 9 या 10 नंबर से रवाना होती थी.. सो मुझे पता था की मेरे पास ज्यादा समय नहीं है.. इस बार तो वह 12 से जाने वाली थी..
मैं लगभग भागते हुये 12 नंबर पहूंचा.. समय देखा तो 4 मिनट बचे हुये थे.. सामने देखा तो S1 डब्बा था और मुझे B3 में जाना था.. मैंने कुली से पूछा की B3 कहां है तो पता चला की S1 से S10, फिर एक पैंट्री कार है और उसके बाद B1, B2 फिर जाकर B3 है.. मैंने फिर से भागना शुरू किया मगर मन में ये तसल्ली थी की ट्रेन अब नहीं छूटने वाली है..
बचपन से ही हम बच्चों के लिये ट्रेन से सफर करने का मतलब कोई कामिक या कहानी की किताब और ढेर कुछ ना कुछ खाते जाना होता था.. अब भैया दीदी तो सुधर गये हैं मगर मैं अपने घर का बच्चा होने का कर्तव्य अभी भी निभा रहा हूं.. :D जब मैं अपने डब्बे की तरफ भाग रहा था तभी मुझे एक किताब की दुकान पर कामिक दिख गई.. अब तो मैं सोचा चाहे दौड़कर ही मुझे ट्रेन पकड़नी परे मगर मैं पहले कामिक तो जरूर खरीदूंगा.. मैं अभी तक कामिक पढने का शौकीन हूं मगर चेन्नई में मुझे हिंदी कामिक नागराज, ध्रुव, डोगा वाली नहीं मिलती है.. मगर मैं भी पीछे नहीं हूं.. नेट से राज कामिक के साईट पर जाकर खरीदता हूं.. सो अधिकतर कामिक मेरी पढी होती है.. मैंने उसके पास जितनी कामिक थी वो सारी जल्दी-जल्दी में पलट डाली और 4 कामिक निकाल कर उसे दिया और कहा, "कितने का हुआ भैया, जल्दी बताओ.." वो हक्का बक्का होकर मेरा चेहरा देख रहा था.. सोच रहा होगा की इतना बड़ा होकर भी बच्चों वाला शौक.. :) मगर मुझे जो अच्छा लगता है मैं बस वही करता हूं.. आज तक दुनिया की कभी परवाह नहीं कि की दुनिया क्या सोचती है.. उसने मुझे बताया 120 की हुई.. मैंने बिना दाम जोड़े ही उसे 120 पकड़ाये और फिर दौड़ पड़ा अपने डब्बे की तरफ.. डब्बे पर अपना नाम चेक किया और डब्बे में चढ गया.. जब तक मैं अपनी सीट तक पहूंचता तब-तक ट्रेन खुल गई.. बाद में मैंने दाम जोड़े तो बिलकुल सही पाया.. :)
राज कामिक्स मेरा जूनून आजकल राज कामिक्स का पंच लाईन बना हुआ है जिसे मैंने शीर्षक के रूप में प्रयोग किया है..:) अभी कुछ दिन पहले नागराज के ऊपर सिनेमा बनाने के लिये एक अमेरिकन स्टूडियो ने राज कामिक्स के साथ करार भी किया है.. उम्मीद है अगले साल तक वो सिनेमा हमारे बीच भी होगी..
मैंने यह लेख बहुत पहले 29 मार्च सन 2008 को अपने ब्लौग छोटी सी दुनिया के लिये लिखा था जिसे आज मैं यहां भी पोस्ट कर रहा हूं और यही वह पोस्ट है जिसने मुझे यह ब्लौग बनाने की प्रेरणा दी थी.. ध्रुव कि अगली कामिक्स मैंने मारा ध्रुव को और हत्यारा कौन मैं अगले पोस्ट में लेकर आता हूं..
धन्यवाद..
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सुपर कमांडो ध्रुव
Wednesday, January 14, 2009
"किरीगी का कहर" बचपन के सफर में
ध्रुव कि कौन सी कामिक्स आप पढना चाहते हैं नामक पोल का अंततः वोट देने का समय ख़त्म हुआ.. कुल जमा २८ वोट पड़े.. आप इस चित्र में पढ़ सकते हैं कि किस कामिक्स को सबसे ज्यादा वोट मिले.. अगर इन पांचों कामिक्स को नए और पुराने ढर्रों में बांटा जाये तो पुराने कामिक्स पूर्ण बहुमत से यह चुनाव जीत गए हैं.. हो भी क्यों ना? किस्सागोई में ध्रुव के पुराने कामिक्स किसी भी हालत में नए कामिक्स से बीस ही आते हैं.. सबसे ज्यादा 13 वोट किरीगी का कहर को मिला है.. जिसे आज मैं आपके सामने लेकर आ रहा हूँ..
मेरे घर में कहानी कि किताबें खरीदना मना तो नहीं था मगर कामिक्स पर सख्त पाबंदी थी.. हमारे लिये कहानी कि किताबों का मतलब चंपक, नंदन, नन्हे सम्राट और बालहंस हुआ करते थे.. जब कभी वह अपने किसी मित्र के पास जब वह ढ़ेर सारी कामिक्स देखता था तो मैं सोचता था कि जब मैं बड़ा हो जाऊंगा तो ढ़ेर सारी कामिक्स खरीद कर पढ़ूंगा.. ये कुछ-कुछ वैसा ही था जैसा छुटपन में जब किसी चीज को खरीदने से मना किया जाता है तो हम सोचने लगते हैं कि बड़े होकर वह खूब खरीदेंगे और मौज करेंगे.. मानो बड़े होने पर पैसे अपने-आप ही आ जाते हैं..
खैर, और किसी चीज से बचपना भले ही खत्म हो चुका हो मगर कामिक्स को लेकर यह बचपना अभी भी वैसा ही है.. जहां कहीं भी अपने पसंद की कोई कामिक्स दिखती है, बस टूट पड़ता हूं वहां..
किरिगी का कहर सर्वप्रथम मैंने अपने स्कूल में अपने एक मित्र के पास देखी थी और जब उससे पढ़ने को मांगा तो उसका कहना था कि पहले कोई और डाईजेस्ट कामिक्स या फिर पतली वाली दो कामिक्स लाकर दो फिर मैं यह पढ़ने के लिये दूंगा.. उस समय मेरे पास चाचा चौधरी कि एक कामिक्स और एक नटवरलाल कि कामिक्स थी.. मैंने उसे हामी तो भर दी मगर जिस दिन कामिक्स लाना तय हुआ था उस दिन मैं किसी कारण से नहीं ला सका, मगर वह लड़का अपनी कामिक्स लाना नहीं भूला था.. संयोग से उस दिन किसी बच्चे के पास से एक कामिक्स निकल आयी और फिर पूरे क्लास कि तलाशी शुरू हो गई.. इस तलाशी में उसकी किरिगी का कहर भी पकड़ा गया.. फिर क्या था, ये कामिक्स भी गई हाथ से.. मगर मैंने उसे धोखा नहीं दिया, और मुझे भले ही वो कामिक्स पढ़ने को नहीं मिली मगर मैंने उसे अपनी वो दोनों कामिक्स पढ़ने को दे दी.. :)
इस घटना के लगभग 4-5 साल के बाद जब मैं सपरिवार पटना शिफ्ट हो गया तब मेरे मकान मालिक के बेटे के पास यह कामिक्स थी और मुझे तब यह पढ़ने को मिला..
किरीगी का कहर एक ऐसी कामिक्स है जिसमें कुछ पौराणिक कथानायकों कि किस्सागोई भी मिलेगी और साथ ही साथ कुछ नये वैज्ञानिक तथ्य भी समायोजित हैं.. इस कामिक्स में ध्रुव के कई महानायक एक साथ दिखे हैं, जैसे किरीगी, जिंगालू और धनंजय.. साथ में राक्षसराज चंडकाल को पहली बार इसी कामिक्स में लाया गया था.. ऐक्सन से भरपूर यह एक ऐसी कामिक्स है जिसे मैं ध्रुव के कहानियों के पतन के लिये भी जिम्मेवार मानता हूं.. क्योंकि यह ध्रुव की पहली डाईजेस्ट कामिक्स थी जिसमे वैज्ञानिक तथ्यों से परे हटकर जादू-मंतर और टोने-टोटकों का सहारा लिया गया था.. वैसे इससे पहले ध्रुव कि वू-डू भी आ चुकी थी जिसमें जादू-टोना दिखाया गया था, मगर वह कहीं से भी अविश्वनीय नहीं लगा था..
अब आगे कि कहानी जानने के लिये आप खुद ही पढ़ लें किरिगी का कहर..
कामिक्स डाऊनलोड का लिंक
इस कामिक्स को डाऊनलोड करने के लिये आप फोटो पर भी क्लिक कर सकते हैं..
संजय गुप्ता जी के अनुरोध पर डाउनलोड लिंक हटाया जा रहा है..
मेरे घर में कहानी कि किताबें खरीदना मना तो नहीं था मगर कामिक्स पर सख्त पाबंदी थी.. हमारे लिये कहानी कि किताबों का मतलब चंपक, नंदन, नन्हे सम्राट और बालहंस हुआ करते थे.. जब कभी वह अपने किसी मित्र के पास जब वह ढ़ेर सारी कामिक्स देखता था तो मैं सोचता था कि जब मैं बड़ा हो जाऊंगा तो ढ़ेर सारी कामिक्स खरीद कर पढ़ूंगा.. ये कुछ-कुछ वैसा ही था जैसा छुटपन में जब किसी चीज को खरीदने से मना किया जाता है तो हम सोचने लगते हैं कि बड़े होकर वह खूब खरीदेंगे और मौज करेंगे.. मानो बड़े होने पर पैसे अपने-आप ही आ जाते हैं..
खैर, और किसी चीज से बचपना भले ही खत्म हो चुका हो मगर कामिक्स को लेकर यह बचपना अभी भी वैसा ही है.. जहां कहीं भी अपने पसंद की कोई कामिक्स दिखती है, बस टूट पड़ता हूं वहां..
किरिगी का कहर सर्वप्रथम मैंने अपने स्कूल में अपने एक मित्र के पास देखी थी और जब उससे पढ़ने को मांगा तो उसका कहना था कि पहले कोई और डाईजेस्ट कामिक्स या फिर पतली वाली दो कामिक्स लाकर दो फिर मैं यह पढ़ने के लिये दूंगा.. उस समय मेरे पास चाचा चौधरी कि एक कामिक्स और एक नटवरलाल कि कामिक्स थी.. मैंने उसे हामी तो भर दी मगर जिस दिन कामिक्स लाना तय हुआ था उस दिन मैं किसी कारण से नहीं ला सका, मगर वह लड़का अपनी कामिक्स लाना नहीं भूला था.. संयोग से उस दिन किसी बच्चे के पास से एक कामिक्स निकल आयी और फिर पूरे क्लास कि तलाशी शुरू हो गई.. इस तलाशी में उसकी किरिगी का कहर भी पकड़ा गया.. फिर क्या था, ये कामिक्स भी गई हाथ से.. मगर मैंने उसे धोखा नहीं दिया, और मुझे भले ही वो कामिक्स पढ़ने को नहीं मिली मगर मैंने उसे अपनी वो दोनों कामिक्स पढ़ने को दे दी.. :)
इस घटना के लगभग 4-5 साल के बाद जब मैं सपरिवार पटना शिफ्ट हो गया तब मेरे मकान मालिक के बेटे के पास यह कामिक्स थी और मुझे तब यह पढ़ने को मिला..
किरीगी का कहर एक ऐसी कामिक्स है जिसमें कुछ पौराणिक कथानायकों कि किस्सागोई भी मिलेगी और साथ ही साथ कुछ नये वैज्ञानिक तथ्य भी समायोजित हैं.. इस कामिक्स में ध्रुव के कई महानायक एक साथ दिखे हैं, जैसे किरीगी, जिंगालू और धनंजय.. साथ में राक्षसराज चंडकाल को पहली बार इसी कामिक्स में लाया गया था.. ऐक्सन से भरपूर यह एक ऐसी कामिक्स है जिसे मैं ध्रुव के कहानियों के पतन के लिये भी जिम्मेवार मानता हूं.. क्योंकि यह ध्रुव की पहली डाईजेस्ट कामिक्स थी जिसमे वैज्ञानिक तथ्यों से परे हटकर जादू-मंतर और टोने-टोटकों का सहारा लिया गया था.. वैसे इससे पहले ध्रुव कि वू-डू भी आ चुकी थी जिसमें जादू-टोना दिखाया गया था, मगर वह कहीं से भी अविश्वनीय नहीं लगा था..
अब आगे कि कहानी जानने के लिये आप खुद ही पढ़ लें किरिगी का कहर..
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सुपर कमांडो ध्रुव
मार्वल की दुनिया मे ओबामा
लीजिये पिछली पोस्ट मे जहाँ स्पाईडी का समाचार था कि उसे अपनी सीक्रेट सबके सामने खोलनी पड़ गई वहीँ आज मार्वल की ऑफिशियल घोषणा है कि स्पाईडी की लेटेस्ट कॉमिक में उनके साथ नज़र आयेंगे...अमेरिका के नए नवेले राष्ट्रपति बैरक ओबामा... जी हाँ ये कोई गप्प नहीं हकीक़त है। मार्वल के एडिटर इन चीफ - जो कुसाडा कहते हैं - "राष्ट्रपति ओबामा स्पाईडी की कॉमिक्स संग्रह करते हैं और जब हमें इसका पता चला, तो हमने सोचा क्यों न इन दो ऐतेहासिक व्यक्तित्वों की मुलाक़ात करवा ही दी जाए...तो मार्वल यूनिवर्स जो कि असल यूनिवर्स से काफ़ी मिलता जुलता है, में एक नई कथा रची गई। स्पाईडर मैन का एक फैन आज व्हाइट हाउस में शपथ ग्रहण करेगा जो हम सभी के लिए गर्व की बात होगी और इस क्षण को और भी यादगार बना देगी ये कॉमिक। "
दो अलग अलग समाचारों में इस स्टोरी में दो अलग अलग विलेन बताये गए हैं - Vulture और Chameleon. मार्वल की ओर से अब तक विलेन की पुष्टि हालांकि नहीं हुयी है। Amazing Spiderman Issue # 583 आज से अमेरिका के तमाम स्टोर्स में उपलब्ध है , तो शीघ्र ही इसकी जानकारी भी मिल ही जायेगी।वैसे ये प्रथम बार नहीं है कि किसी अमेरिकी राष्ट्रपति को कॉमिक्स के पन्नों पर आने का सौभाग्य मिला हो। फ्रैंक मिलर की ग्राफिकनॉवल The Dark Knight Returns में राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन भी नज़र आए थे किंतु वहाँ उनका रोल ज़रा अलग किस्म का था, इस कहानी में वे सुपरमैन को बैटमैन से बात करके उसे समझाने के लिए दबाव डालते हैं. इसके अलावा १९६३ की एक्शन कॉमिक्स # ३०९ में राष्ट्रपति जॉन ऍफ़ कैनेडी ने क्लार्क केंट का रूप धरा था ताकि दुनिया के सामने सुपरमैन की सीक्रेट न खुले। देखें भारत में कॉमिक्स को इस तरह सम्मान की नज़रों से कब देखा जायेगा ।
-आलोक
Sunday, January 11, 2009
मार्वल की दुनिया में गृह-युद्ध और बेचारा पीटर पार्कर...
इस अनूठे ब्लौग पर मेरा ये पहला पोस्ट है। प्रशांत जी के इस बेमिसाल प्रयास की जितनी तारीफ की जाये, वो कम है। अपने पोस्ट में मैं ले चलूंगा आपको राजनगर से बाहर, राजनगर से बहुत दूर दो विशाल बाह्य ब्रह्मांडों की ओर, जिन्हें हम क्रमशः "मार्वल" और "डीसी" के नाम से जानते हैं। ...और वो भी खास कर दो जांबाज रिपोर्टरों की बातें। पीटर पार्कर और क्लार्क कैंट की बातें।
तो आज शुरूआत करते हैं न्यूयार्क की। जरा झांक कर देखते हैं कि क्या हो रहा है राजनगर से परे ब्रह्मांड के दूसरे सिरे पर पीटर पार्कर उर्फ स्पाइडर-मैन की दुनिया में। क्या कहा? कि ये मैंने क्या किया? कि मैंने स्पाइडर-मैन का परिचय यूं खुले आम पूरी दुनिया के समने जाहिर कर दिया? दरअसल विगत एक साल स्पाइडर-मैन की जिंदगी के बड़े ही उथल-पुथल भरे रहे हैं। उसका छिपा हुआ रहस्य जग-जाहिर हो चुका है। दुनिया जान चुकी है कि स्पाइडर-मैन और कोई नहीं, बल्कि "डेली बिगुल" का वो पिद्दी-सा दिखने वाला रिपोर्टर पीटर पार्कर ही है।
हुआ यूं कि अमरिकी सरकार ने सदन में एक बिल पारित कर सारे सुपर-हीरोज को अपना परिचय आम करने का आदेश जारी कर दिया। इस बिल को "सुपर ह्युमैन रजिस्ट्रेशन एक्ट" का नाम दिया गया है और इसके तहत हर मास्क पहनने वाले सुपर-हीरो को सरकार के समक्ष खुद को प्रस्तुत करना होगा और खुद का पंजिकरण करवाना पड़ेगा। इस तमाम प्रकरण का सुत्रधार टोनी स्टार्क उर्फ आयरन-मैन था,जिसने अमरिकी-राष्ट्रपति के साथ एक करार करते हुये ये मुहीम चलाई और स्पाइडर-मैन को तैयार कर लिया अपने संग दुनिया के समक्ष अपना परिचय खोलने के लिये।
...अब आप सब अंदाजा लगा सकते हैं कि कितनी जबरदस्त कथा-रेखा चल रही है इस वक्त मार्वल के ब्रह्मांड में। ये कहानी चल रही है(गुजर चुकी है) मार्वल से हर माह तीन बार छपने वाले अमेजिंग स्पाइडर-मैन में,जिसे मैं कई सालों से सब्सक्राइव कर रहा हूँ। अगर आप सब चाहेंगे तो मैं लगातार आप तक उस मोहक ब्रह्मांड की खबरें लाता रहूंगा।
मिलते हैं जल्द ही....
तो आज शुरूआत करते हैं न्यूयार्क की। जरा झांक कर देखते हैं कि क्या हो रहा है राजनगर से परे ब्रह्मांड के दूसरे सिरे पर पीटर पार्कर उर्फ स्पाइडर-मैन की दुनिया में। क्या कहा? कि ये मैंने क्या किया? कि मैंने स्पाइडर-मैन का परिचय यूं खुले आम पूरी दुनिया के समने जाहिर कर दिया? दरअसल विगत एक साल स्पाइडर-मैन की जिंदगी के बड़े ही उथल-पुथल भरे रहे हैं। उसका छिपा हुआ रहस्य जग-जाहिर हो चुका है। दुनिया जान चुकी है कि स्पाइडर-मैन और कोई नहीं, बल्कि "डेली बिगुल" का वो पिद्दी-सा दिखने वाला रिपोर्टर पीटर पार्कर ही है।
हुआ यूं कि अमरिकी सरकार ने सदन में एक बिल पारित कर सारे सुपर-हीरोज को अपना परिचय आम करने का आदेश जारी कर दिया। इस बिल को "सुपर ह्युमैन रजिस्ट्रेशन एक्ट" का नाम दिया गया है और इसके तहत हर मास्क पहनने वाले सुपर-हीरो को सरकार के समक्ष खुद को प्रस्तुत करना होगा और खुद का पंजिकरण करवाना पड़ेगा। इस तमाम प्रकरण का सुत्रधार टोनी स्टार्क उर्फ आयरन-मैन था,जिसने अमरिकी-राष्ट्रपति के साथ एक करार करते हुये ये मुहीम चलाई और स्पाइडर-मैन को तैयार कर लिया अपने संग दुनिया के समक्ष अपना परिचय खोलने के लिये।
...अब आप सब अंदाजा लगा सकते हैं कि कितनी जबरदस्त कथा-रेखा चल रही है इस वक्त मार्वल के ब्रह्मांड में। ये कहानी चल रही है(गुजर चुकी है) मार्वल से हर माह तीन बार छपने वाले अमेजिंग स्पाइडर-मैन में,जिसे मैं कई सालों से सब्सक्राइव कर रहा हूँ। अगर आप सब चाहेंगे तो मैं लगातार आप तक उस मोहक ब्रह्मांड की खबरें लाता रहूंगा।
मिलते हैं जल्द ही....
Tin-Tin के जन्मदिन पर बेतुका हंगामा
आज टिन-टिन का ८०वाँ जन्मदिन है और आज ही मैंने यह खबर पढ़ी कि टिन-टिन Gay है.. एक ब्रिटेन के कार्टूनिस्ट Parris ने यह नया विवाद शुरू किया है और उनका कहना है कि टिन-टिन Gay है.. उन्होंने यह निष्कर्ष इस बात से निकला कि अब तक के ८० सालों के टिन-टिन कि कहानियो में लगभग ३५० कैरेक्टर का समावेश हुआ है और जिनमे से अधिकतर पुरुष पात्र ही थे.. उनकी बातों में मुझे भी कुछ तर्क तो दीखता है मगर मेरा यह मानना है कि टिन-टिन एक साधारण सा मनोरंजन करने वाला कार्टून कैरेक्टर है जिसने आठ दशको तक लोगों के दिलो पर राज किया है और इस तरह कि बेतुकी बाते कहकर उनके प्रशंसको का दिल दुखाना कहीं से भी उचित नहीं है.. यह भी संभव है कि श्रीमान सस्ती लोकप्रियता पाने के चक्कर में यह कुछ कह गए होंगे जो उन्हें मिला भी.. मगर साथ ही टिन-टिन के प्रशंसको का विरोध भी झेलना पर रहा है.. Belgium में जन्मा यह कामिक कैरेक्टर अपने प्यारे कुत्ते स्नोवी के साथ पिछले ८० सालों से हजारो अखबारों में अपने जासूसी के जलवे दिखाता आ रहा है और लगभग हर भाषा और देश में बेहद पसंद भी किया गया है..
१० जनवरी सन १९२९ में पहली बार Tin-Tin नामक कामिक कैरेक्टर का जन्म हुआ था.. इसे पहली बार फ्रेंच में प्रकाशित किया गया था.. इसे बनाने वाले बेल्जियम के कलाकार का नाम Georges Remi (1907–1983) है.. टिन-टिन के प्रमुख पात्रों के नाम इसका कुत्ता स्नोवी, प्रोफेसर कैलकुलस और कैप्टन हैडोक हैं.. यह अब तक ५० भाषाओं में प्रकाशित हो चुका है और अब तक इसके लगभग ३०० मिलियन से भी ज्यादा प्रतियाँ विश्व भर में बेची जा चुकी है..
अगर अपनी बात करूँ तो सबसे पहले मैंने टिन-टिन को तब जाना जब मैं ६-७ साल का था.. एक चित्रकारी करने वाली पुस्तक खरीद कर लाया था और उसी में टिन-टिन कि तस्वीर थी.. उस तस्वीर में मैंने ना जाने कितनी ही बार पेन्सिल रंग से रंग भर कर मिटाया था.. यह सन १९८७-८८ कि बात है.. :)
अंत में, बगल साइडबार में दिखाने वाले वोट में हिस्सा लेना ना भूलें.. जो कामिक वोटिंग में जीतेगी, उसे मैं आपके पास लेकर आऊंगा.. और साथ में होगी अपने बचपन कि एक बढ़िया सी कहानी भी जो उस कामिक्स के साथ जुडी हुई हैं.. :) साथ में आपको याद दिलाता चलूँ कि कल वोटिंग कि आखिरी तारीख है..
मैंने इसे कल लिखा था मगर किसी कारणवश कल इसे पोस्ट नहीं कर सका था.. टिन-टिन का जन्मदिन कल १० जनवरी को था..
१० जनवरी सन १९२९ में पहली बार Tin-Tin नामक कामिक कैरेक्टर का जन्म हुआ था.. इसे पहली बार फ्रेंच में प्रकाशित किया गया था.. इसे बनाने वाले बेल्जियम के कलाकार का नाम Georges Remi (1907–1983) है.. टिन-टिन के प्रमुख पात्रों के नाम इसका कुत्ता स्नोवी, प्रोफेसर कैलकुलस और कैप्टन हैडोक हैं.. यह अब तक ५० भाषाओं में प्रकाशित हो चुका है और अब तक इसके लगभग ३०० मिलियन से भी ज्यादा प्रतियाँ विश्व भर में बेची जा चुकी है..
अगर अपनी बात करूँ तो सबसे पहले मैंने टिन-टिन को तब जाना जब मैं ६-७ साल का था.. एक चित्रकारी करने वाली पुस्तक खरीद कर लाया था और उसी में टिन-टिन कि तस्वीर थी.. उस तस्वीर में मैंने ना जाने कितनी ही बार पेन्सिल रंग से रंग भर कर मिटाया था.. यह सन १९८७-८८ कि बात है.. :)
अंत में, बगल साइडबार में दिखाने वाले वोट में हिस्सा लेना ना भूलें.. जो कामिक वोटिंग में जीतेगी, उसे मैं आपके पास लेकर आऊंगा.. और साथ में होगी अपने बचपन कि एक बढ़िया सी कहानी भी जो उस कामिक्स के साथ जुडी हुई हैं.. :) साथ में आपको याद दिलाता चलूँ कि कल वोटिंग कि आखिरी तारीख है..
मैंने इसे कल लिखा था मगर किसी कारणवश कल इसे पोस्ट नहीं कर सका था.. टिन-टिन का जन्मदिन कल १० जनवरी को था..
Monday, January 5, 2009
आप ध्रुव कि कौन सी कामिक्स पढना चाहते हैं?
आज मैं लेकर आया हूँ आपके पास आपकी पसंद कि ध्रुव कि बेहतरीन कामिक्स पढ़ने का मौका लेकर.. आज आप ही मुझे बताएं कि आप इनमे से कौन सी ध्रुव कि कामिक्स पढ़ना चाहते हैं? इस पोस्ट के बगल में एक पॉल भी लगा हुआ है, वहां अपना कीमती वोट देना ना भूलें.. वैसे तो मैं इन पांचो कामिक्स को एक एक करके आपके पास लेकर आऊंगा, मगर जिसे सबसे ज्यादा वोट मिलेगा उसे सबसे पहले यहाँ डालूँगा.. :)
"मैंने मारा ध्रुव को" और "हत्यारा कौन"
चुम्बा का चक्रव्यूह
किरीगी का कहर
सजा-ए-मौत
मैं आपको कामिक्स भी पढ़ने को दूंगा और उस कामिक्स से सम्बंधित अपने बचपन कि कहानिया भी सुनाऊंगा.. अब सब कुछ आपके हाथ में है कि आप कौन सी कामिक्स और कौन सी कहानी सुनना चाहते हैं.. :)
"मैंने मारा ध्रुव को" और "हत्यारा कौन"
चुम्बा का चक्रव्यूह
किरीगी का कहर
सजा-ए-मौत
मैं आपको कामिक्स भी पढ़ने को दूंगा और उस कामिक्स से सम्बंधित अपने बचपन कि कहानिया भी सुनाऊंगा.. अब सब कुछ आपके हाथ में है कि आप कौन सी कामिक्स और कौन सी कहानी सुनना चाहते हैं.. :)
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Sunday, January 4, 2009
बहादुर की लाल हवेली और नासुद कि शुरूवात
बहादुर चंबल के नामी डाकू का बेटा होते हुये भी आखिर कैसे नागरिक सुरक्षा दल(नासुद) का संस्थापक बना? इन सारी गुत्थियों को सुलझाता हुआ यह कामिक्स है.. इसमें बहादुर के बदले की आग और डाकुओं का हिंसक व्यवहार, इन दोनों को मिलाकर कहानी का तानाबाना बुना गया है.. कुल मिलाकर मैं इतना कह सकता हूं कि जो कोई भी इसे एक बार पढ़ना शुरू करे वो खत्म करके ही उठेगा..
आप यह कामिक्स इस चित्र पर क्लिक करके डाऊनलोड कर सकते हैं..
या फिर यहां क्लिक करें..
यह कामिक्स जब आयी होगी उस समय मैं शायद 5-6 साल का रहा होऊंगा, सो मुझे ज्यादा कुछ जानकारी नहीं है इस कामिक्स की.. अगर मेरे किसी मित्र को इसके बारे में जानकारी हो तो बताने का कष्ट करें.. उसे मैं अगले पोस्ट का हिस्सा जरूर बनाऊंगा.. धन्यवाद..
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यह कामिक्स जब आयी होगी उस समय मैं शायद 5-6 साल का रहा होऊंगा, सो मुझे ज्यादा कुछ जानकारी नहीं है इस कामिक्स की.. अगर मेरे किसी मित्र को इसके बारे में जानकारी हो तो बताने का कष्ट करें.. उसे मैं अगले पोस्ट का हिस्सा जरूर बनाऊंगा.. धन्यवाद..
ध्रुव के दुश्मन !!
यहाँ इस चिठ्ठे पर मेरी पहली पोस्ट है। ध्रुव मेरा सबसे पसंदीदा कौमिक हीरो है,पर आज मैं अपने उन पसंदीदा विलेनों की चर्चा करूँगा जिनका सामना ध्रुव से हुआ। ये वो किरदार है जिन्होने बार बार मुझे दीवाना बनाया है :
1. महामानव- महामानव की पहली कौमिक पढ़ने से पहले मैं इसके एक-दो और कौमिक पढ़ चुका था।ये मुझे हमेश से प्रिय था पर जब 'महामानव' पढ़ी,तब से ये मुझे राज कौमिक्स द्वारा निर्मित सबसे ज़ोरदार विलेन लगने लगा।मुझे याद है की इस कौमिक में डायनासौर के मरने की वजह पढ़के मैने राज कौमिक्स की रचनात्मकता की बहुत सराहना की थी। जलजला मे जब महामानव के किरदार को बड़ा महत्व मिला,तो इससे भी मुझे बहुत खुशी हुई। मानसिक शक्तियों से युक्त महामानव मेरे लिये सबसे खास विलेन है ।
2. क्विज़ मास्टर और विदूशक- 'क्विज़मास्टर' और 'दुश्मन' मैने लगभग एक ही समय पढ़ी थी। दुश्मन कई साल पहले मैने कहीं खो दी थी,पर क्विज़मास्टर को मैं शायद हज़ार बार पढ़ चुका हू। 'मुझे मौत चाहिये' के बाद ये मेरी पसंदीदा कौमिक्स है। 'एवर-रेस्ट','आ-हट','चट्टान' जैसे जवाबो को मैं कभी भूल नही सकता,उसी तरह इसका एक डायलौग कि 'अंधेरे के बाद और और अंधेरा आता है' मेरे लिये बहुत यादगार है।
इसी प्रकार विदूशक का किरदार भी बहुत मस्त था। जब विदूशक कहता है"बताओ मेरे पीछे भिखमंगे की तरह क्यों लगे हो",वो शायद मेरे कौमिक जीवन का शायद सबसे मज़ेदार पल है। विदूशक जितना जीवंत बहुत कम किरदार लगा है मुझे। अफ़सोस की बात है की ये दोनो सिर्फ़ एक-एक कौमिक्स में आये.गौरतलब है की ये बैटमैन के 'जोकर' और 'रिडलर' पर आधारित पात्र है,शायद ये एक वजह हो कि राज कौमिक्स ने इनका अधिक उपयोग नही किया।
3. नक्षत्र- बिल्कुल ध्रुव जैसा एक पात्र रचा गया और इसकी 'जंग' ध्रुव से हुई। नक्षत्र भी अब तक सिर्फ़ एक कौमिक्स में आया है,जो की ध्रुव की बेहतरीन कौमिको मे एक है। मुझे अब तक नक्षत्र के जेल से बाहर आने का इंतज़ार है ।
4. बौना वामन- खूनी खिलौने से ही इसने मेरे दिल मे एक जगह बना ली थी। पर बौना वामन ने एक 'स्पेशल अपीयरेंस' मे शायद सबसे अधिक मज़ा दिया। कौमिक "मैने मारा ध्रुव को" मे वह बायोट्रोन को जिस प्रकार अपनी कहानी सुनाता है,मज़ा आ गया था,आखिर बौना वामन एक ना एक ट्रिक बचाकर रखता है ।
5. डौक्टर वायरस- डौक्टर वायरस मुझे काफ़ी रीयलिस्टिक विलेन लगा है हमेशा से। काफ़ी हद तक ये शक्तिमान के डौक्टर जैकाल की याद दिलाता है। वायरस के प्लान हमेशा बहुत खतरनाक रहे है और मुझे उम्मीद है की भविष्य मे फ़िर इसे किसी ज़ोरदार कौमिक मे देखने का मौका मिले। शायद अलकेमिस्ट और डौक्टर वायरस को कभी साथ लाया जाये ।
6. अन्य विलेन- ग्रैंड मास्टर रोबो एक बहुत अहम विलेन रहा है और इसे काफ़ी महत्व भी दिया है राज कौमिक वालो ने। अगर कभी ध्रुव पर फ़िल्म बने तो मुझे पूरी उम्मीद है कि उसमे रोबो की भूमिका अहम होगी। ध्वनिराज और चुंबा को विज्ञान के सिद्धांतों पर आधारित करके बनाया गया है। चुंबा की हाल की कौमिक्स मैने नही पढ़ी है पर इससे पहले तक मेरा ये मानना है कि चुंबा का प्रयोग राज कौमिक्स ने भरपूर नही किया है ।
तो ये थे वो मुख्य विलेन जिन्होने ध्रुव के साथ मेरी कौमिक यात्रा को बेहद सुखद बनाया है। उम्मीद है की आप लोगो की भी यादें ताज़ा हुई होंगी ।
Saturday, January 3, 2009
डोगा का एनकाऊंटर
आज मैं लेकर आया हूं डोगा का एनकाऊंटर नामक कामिक्स.. यह कामिक्स 2007 के मध्य में आया था और मैंने इसे हावड़ा जंक्शन से खरीदा था.. मेरी नजर में यह डोगा के सबसे अच्छे कामिक्स में से एक है.. आज नेट पर घूमते हुये इसकी ई-कामिक्स मुझे मिल गई तो मैंने सोचा कि क्यों ना इसे आपलोगों से बांट लिया जाये.. आज इस कामिक्स के बारे में मैं ज्यादा नहीं बताऊंगा मगर एक बात जरूर कहूंगा कि डोगा कि कामिक्स में हमेशा से ही हाल-फिलहाल में घटी घटनाओं से संबंधित कहानी ही आपको मिलेगी.. ठीक जैसे इसमें एनकाऊंटर के मुद्दे को लेकर कहानी का ताना बाना बुना है तरूण कुमार वाही जी ने.. मुझे याद आता है कि डोगा कि एक कामिक्स खाकी और खद्दर में भी एनकाऊंटर को लेकर ही कहानी कि शुरूवात की गई थी.. और मुझे खुशी है कि सबसे पहले मैंने ही डोगा कि उस कामिक्स को नेट पर अपलोड किया था.. आज से लगभग 3-4 साल पहले.. जहां मैंने अपलोड किया था वह लिंक तो अब हट गया है मगर मेरे द्वारा अपलोड कामिक्स का लिंक मुझे कई दूसरे जगहों पर दिखी है.. :)
इसे RFN(राज कामिक्स फैन नेशन) नामक और्कुट कम्यूनिटी के सदस्यों ने नेट पर अपलोड किया था, जिसमें मैंने कुछ और छेड़छाड़ की और इसका साईज घटाया जिससे पाठकों को डाऊनलोड करने में कोई परेशानी ना हो, मगर क्वालिटी के साथ कोई समझौता नहीं किया है मैंने.. मैंने छेड़-छाड़ तो की मगर RFN Club के सदस्यों का नाम नहीं हटाया, जिससे मेरे नियमित पाठकों को भी उनके बारे में जानकारी मिले.. :)
इस कामिक्स को डाऊनलोड करने के लिये आप इस चित्र पर क्लिक करें या फिर यहां क्लिक करें..
इसे पढ़ने के लिये CDisplay नामक साफ्टवेयर की आवश्यकता होगी जिसे आप यहां से डाऊनलोड कर सकते हैं.. इस कामिक्स फारमेट के बारे में ज्यादा जानने के लिये आप इस पोस्ट को पढ़ें..
अब चलिये कुछ बातें करते हैं पिछले पोस्ट के बारे में.. संजय बेंगाणी जी हमेशा कि तरह आये और हमारा उत्साह बढ़ा गये.. इस बार चिट्ठाजगत के नाम भी एक कमेंट रहा.. और अंत में हमारे आलोक जी कह गये कि-
वाह.. ये विडियो राज कामिक्स कि साईट पर कुछ समय पहले देखा.. अब तक के भरतीय 3-डी एनिमेशन से इनका स्टार काफी अच्छा है.. ध्रुव के कैरेक्टर के बालों पर अभी काम कुछ बाकी लगा.. मैं खुद इस विषय पर लिखने कि सोच रहा था मगर आप तो गुरू निकले..
हमारा उनसे कहना है कि आलोक जी, आप तो लिख ही डालिये इस पर एक पोस्ट.. आपका लिखा पढ़ने में एक अलग ही आनंद है.. हर बात तथ्यपरक होती है आपकी.. :)
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अब चलिये कुछ बातें करते हैं पिछले पोस्ट के बारे में.. संजय बेंगाणी जी हमेशा कि तरह आये और हमारा उत्साह बढ़ा गये.. इस बार चिट्ठाजगत के नाम भी एक कमेंट रहा.. और अंत में हमारे आलोक जी कह गये कि-
वाह.. ये विडियो राज कामिक्स कि साईट पर कुछ समय पहले देखा.. अब तक के भरतीय 3-डी एनिमेशन से इनका स्टार काफी अच्छा है.. ध्रुव के कैरेक्टर के बालों पर अभी काम कुछ बाकी लगा.. मैं खुद इस विषय पर लिखने कि सोच रहा था मगर आप तो गुरू निकले..
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